डोईवाला (प्रियांशु सक्सेना)। विख्यात पर्यावरणविद् एवं पाणी राखो अभियान के प्रणेता सच्चिदानंद भारती ने कहा कि आज देश का प्रत्येक हिस्सा जल और जंगल के संकट से जूझ रहा है इसमें देवभूमि उत्तराखंड भी शामिल है। पिछले कुछ वर्ष में हमने एक हजार वर्ग किमी के जंगल विकास की अंधी दौड़ में समाप्त कर दिये है जिससे हिमालय की पारिस्थिकी और जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और आज हम धराली जैसी मानव निर्मित आपदाओं का सामना कर रहें है। हमारे इसी अनियोजित विकास के कारण वर्ष 2013 में हमने केदारनाथ आपदा का सामना किया था। आज हिमालय के संरक्षण के लिए एक विशेष अलग नीति की अति आवश्यकता है। यह बात उन्होंने स्पर्श हिमालय विश्वविद्यालय एवं हिमालयीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज, डोईवाला के संयुक्त तत्वाधान में 16वें हिमालय दिवस पर आयोजित संघोष्ठी में कही। कुलपति प्रो0 रजवार ने हिमालय की आजीविका विषय एवं प्रतिकुलपति प्रो0 राकेश सुन्दरियाल ने हिमालय राज्यों में जैव विविधता से रोजगार विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कालेज के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम नाटिका, पारम्परिक नृत्यों एवं योग प्रदर्शन की प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में डॉ निशंक ने कहा कि हिमालय केवल एक पर्वत श्रृखंला नहीं भारत की आत्मा है। हिमालय त्याग और तपस्या का प्रतीक है। हिमालय के अस्तित्व पर खतरे मंडरा रहे हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जंगल कट रहे हैं और पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है। यदि हमने अभी कदम नहीं उठाए, तो आने वाली पीढ़ियों को यह धरोहर हम सौंप नहीं पाएँगे। इसलिए आज हमें संकल्प लेना होगा कि हम हिमालय की नदियों को स्वच्छ रखेंगे, उसके वनों की रक्षा करेंगे, उसके पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखेंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो प्रदीप कुमार, सचिव बालकृष्ण चमोली, कुलसचिव अरविन्द अरोड़ा, आयुर्वेद कालेज प्राचार्य डा नीरज श्रीवास्तव, डा0 अंजना विलियम्स, डॉ0 निशान्त राय जैन, डा0 प्रदीप कोठियाल आदि थे।