फोटो-ऐतिहासिक अल्मोड़ा जेल
अगस्त क्रांति की 78 वीं वर्षगांठ पर विशेष
शिवेंद्र गोस्वामी
अल्मोड़ा। जंग ए आजादी के इतिहास में अल्मोड़ा जेल गवाह है। इस जेल की महत्ता कम नहीं है। अल्मोड़ा जेल की देश में अपनी अलग पहचान है। अंग्रेजों के बर्बर क्रूर शासन काल की मूक दर्शक रही अल्मोड़ा जेल 1872 में बनी। इस जेल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, खान अब्दुल गफ्फार खॉ सहित करीब 580 क्रांतिकारियों की स्मृतियां आज भी ताजा हैं। सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जहां हजारों क्रांतिकारी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। वहीं उनमें से अधिकांश क्रातिकारियों को अल्मोड़ा जेल में ही क्रूर यातनाएं दी गई।
इस जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सन 1933-34 में अपनी आत्म कथा एन-आटो बायोग्राफी लिखी। अल्मोड़ा की इस ऐतिहासिक जेल में महात्मा गांधी, सीमांत गांधी, खान अब्दुल गफ्फार खॉ, सैय्यद अली, आचार्य नरेंद्र देव, सरला बहन, भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, कुमांऊ केसरी, बद्री दत्त पाण्डे, पेशावर काण्ड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, विक्टर मोहन जोशी, हरी प्रिया देवी, दुर्गा सिंह रावत सहित 580 क्रांतिकारियों को कैद रखकर तमाम यातनायें दी गई।
जिस वार्ड में पंडित जवाहर लाल नेहरू कैद रहे, वर्तमान में उसे नेहरू वार्ड नाम दिया गया है और प्रतिवर्ष 9 अगस्त के दिन यहां पर स्थित अमर शहीद स्मारक स्थल पर हर वर्ष अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनायी जाती है। इस ऐतिहासिक जेल में पंडित नेहरू द्वारा उपयोग में लाया गया गांधी चरखा, दीपक, थाली, कटोरा, गिलास, कुर्सी, रसोईघर आज भी बड़ी सावधानी के साथ सहेज कर रखे गये हैं। वहीं नेहरू वार्ड के समीप पुस्तकालय स्थित है। जहां पर पंडित नहरू ने अपनी आत्म कथाा लिखी थी। जेल परिसर में स्थित फांसी घर भी कई स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है। यह फांसी की सजा का मूक गवाह बना हुआ है। नेहरू वार्ड में प्रतिवर्ष अगस्त क्रांति दिवस 9 अगस्त पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और समारोह में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व उन्हें दी गई तमाम यातनाओं की स्मृतियां ही आज लोगों की आंखें नम करने को काफी हैं।
इस बार भी अगस्त क्रांति की 78 वीं वर्षगांठ पर जिला कारागार के ऐतिहासिक नेहरू कक्ष मेंं आयोजन की जायेगी। लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुये इस बार केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को श्रद्धांजलि ही दी जायेगी। कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नही होंगे।