देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य के सरोकारों के चिंतक, राज्य प्राप्ति आंदोलन में अग्रणीय भूमिका, पूर्व विधायक उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के पूर्व अध्यक्ष स्व०विपिन चंद्र त्रिपाठी जी की 15 वीं पुण्यतिथि को पार्टी कार्यालय 10 कचहरी रोड़ देहरादून में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया तथा विपिन दा को भावभीनी श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया।
विपिन दा को याद करते हुए श्री बी०डी०रतूड़ी ने कहा कि वह उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के शिल्पी उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। एक संघर्षशील, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी थे। महानगर अध्यक्ष सुनील ध्यानी ने कहा कि विपिन दा युवाओं के प्रेणाश्रोत रहे हैं। 23 फरवरी 1945 को अल्मोड़ा जनपद के दौला गाँव मे हुआ था। 22 वर्ष की उम्र में विपिन दा ने अनेक जनांदोलनों की अगुवाई करी, भूमिहीनों के किये आंदोलन रहा हो या शराब के खिलाफ रहा हो हमेशा जनसंघषों के लिए तत्पर रहते है। इमरजेंसी के दौरान वह 22 महीनों तक जेल में रहे। समाजवाद के पक्षधर क्षेत्रीय विचारों के साथ राज्य प्राप्ति आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। पहाड़ के गांधी स्व० इंद्रमणि बड़ोनी जी के साथ आंदोलनों की रणनीति, कार्यक्रमों को सफल बनाने की रणनीति विपिन दा ही तय करते थे। 1992 को 13, 14 जनवरी उत्तरायणी बागेश्वर के मेले में उत्तराखंड क्रान्ति दल द्वारा उत्तराखंड राज्य का ब्लू प्रिंट निकाला जिसमें राज्य की राजधानी दोनों मंडलो के मध्य गैरसैंण हो। ये पूरा खाका विपिन दा द्वारा बनाया गया था । 1992 को ही 25 दिसंबर को गैरसैंण में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति लगाकर राज्य की राजधानी घोषित हुई। जिसे चंद्र नगर गैरसैंण नाम दिया गया।यह सब विपिन दा की मुख्य भूमिका से सम्भव हुआ।राज्य के प्रथम विधानसभा चुनाव 2002 को द्वाराहाट विधान सभा से विधायक चुने गये।विधानसभा की कार्यवाही में आज भी उनके ओजस्वी भाषणों एवं संबोधनों को अन्य दल के नेता भी याद करते है।अपने सिद्धांतों मूल्यों का जीवन जीने वाले विपिन दा 30 अगस्त 2004 को इस दुनिया से विदा हुए।उनके संघर्षो के बदौलत द्वाराहाट इंजियरिंग कॉलेज आज विपिन चंद्र त्रिपाठी के नाम से चल रहा है।श्रधांजलि सभा मे श्री लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, विजय बौड़ाई, श्रीमती रेखा मिंया, उत्तम रावत, समीर मुखर्जी, अजित चौहान, अशोक नेगी, आलम सिंह नेगी आदि थे।