फोटो-पंच केदारों मे एक भगवान कल्पेश्वर का ब्रहमकमल से किया गया श्रृंगार ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ।
हिमालय के पॅच केदारों के साथ ही अन्य शिवालयों मे इन दिनों भगवान शंकर के सबसे प्रिय पुष्प ब्रहमकमल से श्रृंगार व पूजन किया जा रहा है। केदार नाथ मे जहाॅ आषाढ संक्राति को जय-विजय पुष्पों के अर्पण के साथ पूजन होता है, वही श्रावण संक्राति से ब्रहमकमल पुष्पों का श्रृंगार शुरू हो जाता है। भोले नाथ को सबसे प्रिय लगने वाला यह पुष्प उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे ही मिलता है, इस पुष्प को तोडने की भी अपनी विशिष्ठ परंपरा है, भक्त नंगे पाॅव जाकर ही ब्रहकमल पुष्प वाटिका से ब्रहमकमल को पूजन कर ही इस पुष्प को तोडते है, और भगवान के मंन्दिरों तक पंहुचाते है।
जोशीमठ पैनखंण्डा की उर्गम घाटी मे हिमालय के पंच केदारों मे एक कल्पेश्वर भगवान विराजमान है, यूॅ तो इस क्षेत्र मे नन्दाष्टमी के पर्व पर ही ब्रहमकमलों के दिब्य दर्शन सुलभ होते हैं, लेकिन श्रावण सोमवार को यहाॅ भगवान शिव के जटास्वरूप का ब्रहमकमल के पुष्पों से भब्य व दिब्य श्रृंगार किया गया था। यहाॅ दूर-दूर से पंहुचे शिवभक्तों ने जलाभिषेक के साथ ब्रहकमल के पुष्पों के श्रृंगार के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किएं
कल्पेश्वर धाम के आचार्य पंडित विजय सेमवाल के अनुसार ब्रहमकमल पुष्प भगवान शंकर का सबसे प्रिय पुष्प् है, भगवान विष्णु ने भी 101 ब्रहमकमल पुष्पों को अर्पित कर भगवान शिव का पूजन किया था। तब से ही शिव भक्त विशेषकर श्रावण मास मे भगवान शिव को ब्रहमकमल पुष्प अर्पित करते है।सोमवार केा कल्पेश्वर धाम मे भवगान शिव के श्रृंगार के लिए ब्रहकमल पुष्पों को थैंग गाॅव के शिवभक्त फकीर सिंह लेकर पंहुचे थे। कल्पेश्वर धाम मे सोमवार को सुबह से ही भक्तों का जलाभिषेक के लिए ताॅता लगा रहा। अब उर्गम घाटी मे स्थित हिमालय के पंच केदारों मे एक कल्पेश्वर मंन्दिर के समीप तक सडक बन जाने के बाद दूर-दूर से शिवभक्त यहाॅ पंहुचकर न केवल जलाभिषेंक कर रहे है, बल्कि प्रकृति की अनमोल धरोहर उर्गम घाटी के विहगमं दृष्यों को देख अभिभूत हो रहे है।