अल्मोड़ा। महाशिवरात्रि के महापर्व पर द्वादश ज्योतिर्लिंग जागेश्वर धाम में सुबह पांच बजे से ही शिव भक्तों का तॉता लगा रहा, ज्योतिर्लिंग जागेश्वर, महामृत्युंजय, माता पुष्टी देवी व केदारनाथ सहित मंदिर परिसर में हजारों श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ के दर्शन व जलाभिषेक किया। मंदिर परिसर में हर हर महादेव की गूंज से समूह शिवमय रहा। गाजियाबाद से पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर समूह को फूलों से सजाया गया।
हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का विशेष महापर्व मनाया जाता हैए देवाधिदेव महादेव के पूजन का सबसे महत्वपूर्ण व मनवांछित फल का पर्व महाशिवरात्रि उनके दिव्य अवतरण का मंगल सूचक हैए जागेश्वर धाम के प्रधान पुजारी पं हेमन्त भट्ट के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में किया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि शिव की आराधना इच्छा.शक्ति को मजबूत करती हैए और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है। शिव से वरदान प्राप्त के लिए यह दिन विशेष माना जाता है महाशिवरात्रि को ही देवाधिदेव महादेव का विवाह संपन्न हुआ था।
महाशिवरात्रि पर जागेश्वर धाम सहित प्रमुख धामो मे भगवान शिव की चार पहर की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भोलेनाथ की चारों पहर की पूजन जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जागेश्वर धाम में चौथे पहर की पूजा भोलेनाथ के 1008 नामों के साथ की जाती है। जिसे 11 विद्वान ब्राह्मणों के मंत्र उच्चारण के साथ रात्रि 12 बजे से महाभोग के साथ शुभारंभ की जायगी ।
जागेश्वर धाम मे देश की कई संतानहीन महिलाए संतान प्राप्ति के लिए हाथ मे दिया लेकर पूरी महाशिवरात्रि की रात्रि तपस्या मे खडी रहती हैए इस तप से महादेव आशिर्वाद से संतानहीन महिलाओ को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति की यह परंपरा यहा हजारो साल पुरानी है।
मंदिर प्रबंधन समिति व जिला प्रशासन के द्वारा महाशिवरात्रि के अवसर पर भीड को काबू करने के लिए पुलिस व पीआरडी के जवानो को तैनात किया गया। कई भक्तो के द्वारा भंडारे का भी आयोजन किया गया












