• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

देशभक्ति का जुनून ऐसा कि पीयू के पूरे पेपर में लिख आए थे जय भारत

07/07/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
विक्रम बत्रा का जन्म देवभूमि हिमाचल के पालमपुर के छोटे से गांव घुग्गर में हुआ था. वर्ष 1974 के सितंबर महीने की वो 9 तारीख थी, जब ये परमवीर इस धरा पर आया. अपनी मां की कोख से विक्रम बत्रा अकेले नहीं आए, उनके साथ जुड़वां भाई के रूप में विशाल ने भी जन्म लिया. पिता जीएल बत्रा छुटपन से ही विक्रम को महान देशभक्तों व बलिदानियों की गौरव गाथा सुनाते थे. इन गाथाओं को सुनकर ही विक्रम ने भारतीय सेना का हिस्सा बनने की ठान ली थी. डीएवी स्कूल पालमपुर में आरंभिक पढ़ाई के बाद विक्रम बत्रा चंडीगढ़ आकर कॉलेज की पढ़ाई करने लगे. वर्ष 1996 में वे सैन्य अकादमी देहरादून के लिए चयनित हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई. इस तरह विक्रम बत्रा की सैन्य पारी आरंभ हो गई थी.भारत मां का अमर लाल विक्रम बत्रा…करगिल के इस शेर की कहानियों का रंग न कभी फीका होगा और न ही इन कहानियों का शौर्य कभी मिट सकता है. करगिल युद्ध में अदम्य साहस वाला ये शूरवीर पाकिस्तान की नापाक फौज पर काल बनकर टूटता था. बेशक इस वीर ने 7 जुलाई को भारत मां के लिए सर्वोच्च बलिदान दे दिया, परंतु ये महानायक सदा-सर्वदा के लिए भारतीय शौर्य गाथाओं में चमकता सितारा रहेगा. इसी वीर के लिए उस समय के भारतीय थल सेना के मुखिया जनरल ने कहा था-अगर ये लड़का करगिल से लौट आया होता तो पंद्रह साल बाद देश का सबसे युवा सेनाध्यक्ष बनता. करगिल की चोटियों के हर कण में विक्रम की शौर्य गाथा घुली हुई है. उस गाथा की सुगंध अभी भी अनुभूत की जा सकती है. भारत की सैन्य परंपरा के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र के साथ विक्रम बत्रा का नाम अमर हो चुका है. यहां इस परमवीर की कुछ प्रेरक कहानियां हैं. आज की और भविष्य की पीढ़ी को निरंतर इन शौर्य गाथाओं का सुमिरन करना चाहिए. नापाक देश पाकिस्तान ने करगिल की चोटियों पर घुसपैठ कर ली थी. भारतीय सेना को एक ऐसे युद्ध का सामना करना पड़ा, जिसमें दुश्मन सैनिक चोटी पर थे और भारत के वीर जमीन से एक कठिन संघर्ष में उलझ चुके थे. देश की सरकार ने करगिल की चोटियों को दुश्मन के कब्जे से छुड़वाने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया. इस ऑपरेशन में देश को विजय मिली, लेकिन उस विजय की भारी कीमत चुकानी पड़ी. विक्रम बत्रा की डेल्टा कंपनी को करगिल में पॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना की हर बाधा को ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने पॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. विक्रम बत्रा ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए थे. युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा और उनके साथियों को एक के बाद एक सफलता मिलती चली गई. इसी सफलता में विक्रम का उद्घोष-ये दिल मांगे मोर एक पावन मंत्र बन गया था. नापाक देश पाकिस्तान ने करगिल की चोटियों पर घुसपैठ कर ली थी. भारतीय सेना को एक ऐसे युद्ध का सामना करना पड़ा, जिसमें दुश्मन सैनिक चोटी पर थे और भारत के वीर जमीन से एक कठिन संघर्ष में उलझ चुके थे. देश की सरकार ने करगिल की चोटियों को दुश्मन के कब्जे से छुड़वाने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया. इस ऑपरेशन में देश को विजय मिली, लेकिन उस विजय की भारी कीमत चुकानी पड़ी. विक्रम बत्रा की डेल्टा कंपनी को करगिल में पॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना की हर बाधा को ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने पॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. विक्रम बत्रा ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए थे. युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा और उनके साथियों को एक के बाद एक सफलता मिलती चली गई. इसी सफलता में विक्रम का उद्घोष-ये दिल मांगे मोर एक पावन मंत्र बन गया था. द्रास सेक्टर में पॉइंट 5140 को फतह करने वाली विक्रम बत्रा की 13 जैक राइफल्स को नई जिम्मेदारी मिली. ये जिम्मेदारी पॉइंट 4875 पर कब्जे की थी. पहली जुलाई 1999 को बटालियन के वीर मश्कोह घाटी में इकट्ठे हो गए. तीन दिन तक योजना बनाई गई और फिर आक्रमण कर दिया गया. इसी लड़ाई में विक्रम बत्रा के एक और साथी और वीरभूमि के वीर सपूत राइफलमैन संजय कुमार भी थे. जी हां, वही संजय कुमार जो इस समय सूबेदार मेजर हैं और परमवीर चक्र से अलंकृत हुए हैं. चार जुलाई को राइफलमैन संजय कुमार ने ही पॉइंट 4875 की समतल चोटी वाले हिस्से पर कब्जे के लिए आगे बढ़कर नेतृत्व किया था. इस समतल चोटी पर संजय कुमार की अतुलनीय वीरता के कारण ही उन्हें परमवीर चक्र दिया गया था. खैर, 4875 के नार्थ वाले हिस्से पर कब्जे के बिना ये लड़ाई नहीं जीती जा सकती थी. इस नार्थ वाले हिस्से को फतह करने वाले वीर विक्रम बत्रा ही थे. 7 जुलाई 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा ने अपने सैनिकों का नेतृत्व करने का फैसला लिया. आक्रमण का नेतृत्व भी कैप्टन बत्रा ने खुद किया. आमने-सामने की लड़ाई में विक्रम बत्रा ने पांच पाकिस्तानी फौजी मार गिराए. इस दौरान वे बुरी तरह से घायल हो गए थे. साथियों ने उन्हें मोर्चे से हटने के लिए आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने. पहली जुलाई से लेकर अब तक विक्रम बत्रा काफी थक भी गए थे. जनरल लिखते हैं कि आखिरकार जो कार्य सैन्य दृष्यि से असंभव माना जाता था, विक्रम बत्रा उसे पूरा करने में सफल हुए.आह! दुख और पीड़ा ये कि इस युद्ध अभियान में विक्रम बत्रा ने सर्वोच्च बलिदान दे दिया. उन्हें इस अप्रतिम शौर्य के लिए परमवीर चक्र (बलिदान उपरांत) दिया गया” कैप्टन विक्रम बत्रा बेशक करगिल युद्ध में बलिदान हो गए, लेकिन उन्हीं के नेतृत्व में वीरों ने सबसे कठिन पॉइंट 4875 को अपने कब्जे में लिया था. इस युद्ध में विक्रम के असाधारण शौर्य के कारण ही विजय का मार्ग प्रशस्त हुआ. पाकिस्तान के फौजियों में विक्रम के नाम का खौफ था. विक्रम का कोड नेम शेरशाह था. सचमुच विक्रम बत्रा करगिल का शेर ही था. युद्ध के दौरान टीवी पर विक्रम का एक छोटा सा साक्षात्कार आया था. उसमें बढ़ी हुई दाढ़ी में सचमुच का शेर लग रहे भारत मां के इस सपूत ने जब ये दिल मांगे मोर का उद्घोष किया था तो नई पीढ़ी के युवाओं का भारतीय सेना के प्रति आकर्षण और बढ़ गया था.हिमाचल के विख्यात शायर अमर सिंह फिगार की एक रचना की पंक्तियां हैं-
हर कदम बिखरा के अपना खून अपनी बोटियां
जब शहीदों ने बचाई करगिल की चोटियां’
सचमुच विक्रम बत्रा सरीखे वीरों के कारण ही भारत मां को गर्व करने के अनेक अवसर मिले हैं. पालमपुर से लेकर चंडीगढ़ और देहरादून से लेकर कश्मीर तक विक्रम बत्रा के शौर्य की गाथा गाई जाती है. यही नहीं, सरहद लांघ कर दुनिया के सभी कोनों में जितने भी सैन्य अभियान हुए हैं, उनमें सबसे कठिन युद्ध करगिल का जिक्र विक्रम बत्रा के बिना अधूरा है. विक्रम के भाई विशाल एक दफा स्कॉटलैंड की यात्रा पर गए थे. वहां एक टूरिस्ट प्लेस पर विजिटर बुक में जब विशाल ने अपना नाम लिखा तो वहां मौजूद भारतीय ने बत्रा सरनेम लिखा देखकर पूछा-क्या आप विक्रम बत्रा को जानते हैं? विशाल अपने भाई के बारे में सुनकर हैरत में रह गए. सोचने लगे…इतनी दूर विदेश में भी विक्रम बत्रा अपने नाम के साथ जीवित हैं. इससे बढ़कर गर्व की बात भला और क्या होगी. ओ भारत मां के लाल, ये देश आपके प्रति कृतज्ञ रहेगा. विक्रम की शहादत के बाद परिवार ने पालमपुर में एक संग्रहालय बनवाया है, जहां उनके पत्र, तस्वीरें और युद्ध से जुड़ी स्मृतियां सजी हैं। उनकी दिल की इच्छा है कि बेटे विक्रम के नाम पर शहर में कोई स्मारक या किसी चीज का नामकरण किया जाए। बेटे ने चंडीगढ़ का नाम दुनिया में प्रसिद्ध किया है। जब-जब विक्रम का जिक्र आता है तो चंडीगढ़ का नाम गर्व से लिया जाता है। ऐसे में चंडीगढ़ प्रशासन को उनके सम्मान में कुछ करना चाहिए। स्वयंसेवी संस्था वर्ल्ड हिमाचली आर्गेनाईजेशन ने प्रशासक गुलाबचंद कटारिया से हाल ही में यह आग्रह किया है। इस पर प्रशासक ने भी अधिकारियों के साथ चर्चा करने का आश्वासन दिया है।। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
Previous Post

फूलों की घाटी’ का दरवाजा प्लास्टिक प्रतिबंधित

Next Post

हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में डॉ. आई.डी. भट्ट ने कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) के रूप में पदभार ग्रहण किया

Related Posts

उत्तराखंड

हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में डॉ. आई.डी. भट्ट ने कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) के रूप में पदभार ग्रहण किया

July 7, 2025
1
उत्तराखंड

फूलों की घाटी’ का दरवाजा प्लास्टिक प्रतिबंधित

July 7, 2025
2
उत्तराखंड

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चार माह से अवरुद्ध वेतन जारी करने की मांग

July 7, 2025
11
उत्तराखंड

एयरपोर्ट टेंडर घोटाला: 7.50 करोड़ की राशि हड़पने पर हाईकोर्ट से स्टे, पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप

July 7, 2025
6
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री से भेंट कर राज्य में कृषि से सम्बधित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में विशेष सहयोग का किया अनुरोध

July 7, 2025
1
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने दिए हाई अल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन की शुरुआत करने के निर्देश

July 7, 2025
6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में डॉ. आई.डी. भट्ट ने कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) के रूप में पदभार ग्रहण किया

July 7, 2025

देशभक्ति का जुनून ऐसा कि पीयू के पूरे पेपर में लिख आए थे जय भारत

July 7, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.