कोटद्वार। आज प्रातः 3 बजकर 25 मिनट के लगभग कोटद्वार के साप्ताहिक दुंदभि के सम्पादक व वरिष्ठ पत्रकार सुधींद्र नेगी को सांस की तकलीफ़ के चलते अंतिम सांस ली। लगभग सुबह 3 बजे उनको बेस अस्पताल कोटद्वार लाया गया, जहां उनके फेफड़ों के काम न करने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई।
उनकी मृत्यु की खबर लगते ही कोटद्वार ही नहीं सम्पूर्ण उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई। नेगी काफी समय से बीमार थे, उनका इलाज चल रहा रहा था, लेकिन वे अंतिम समय तक हौसले व हिम्मत के साथ बीमारी से लड़े। वे अपनी बीमारी में भी मुस्कराते रहे। वरिष्ठ पत्रकार नेगी एक जिंदादिल इंसान, कलम के धनी नेगी निर्भीक और समाज को दिशा देने वाली पत्रकारिता के लिए हमेशा याद किए जायेंगे। उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय भूपेन्द्र सिंह नेगी जो जनसरोकारों से जुड़े हुए थे, को कई सरकारी नौकरी को छोड़कर पत्रकारिता जगत में आगे बढ़ाया। 2005 में साप्ताहिक ठहरो के बाद पत्रकार भूपेन्द्र सिंह नेगी द्वारा चतुरलाल की चौपाल, व्यंग शैली के लेखों को पत्रकारिता जगत में एक अलग ही पहचान बनाई।
निर्भीक पत्रकारिता, उन्हें अपने पिता कामरेड भूपेंद्र सिंह नेगी से विरासत में मिली थी, उनके दादा गोकुल सिंह नेगी स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका पत्रकारिता का सफर 80 के दशक से शुरू हुआ, ठहरो साप्ताहिक से शुरू यह सफर 2005 में दुंदुभी साप्ताहिक के साथ निरंतर चलता रहा। ठहरो के आर्टिकल शोध छात्रों के लिए बहुत ही खास होते थे। सुधींद्र नेगी पत्रकार ही नहीं एक सम्पूर्ण कलाकार, बाँसुरी, संगीतकार, निर्देशक रंगमंच के निर्देशक में भी महारत हासिल थी।
सबसे बड़ी बात उनके भीतर मानवीय मूल्यों के प्रति बड़ी संवेदना उनमें थी। वे एक सच्चे धार्मिक, दया, धर्म, नीति से पूर्ण व्यक्तित्व थे। वे हमेशा पत्रकारों की आवाज बनकर पत्रकारों के सुख.दुख में खड़े होते थे, आज हमने अपना भाई, एक मजबूत पत्रकारिता के स्तम्भ को खो दिया है। हम लोगों के लिए तो वे पत्रकारिता के जानकारों में से एक मजबूत व निर्भीक पत्रकारए बड़े भाई जैसे संरक्षक भी थे। परमपिता परमेश्वर को यही मंजूर था। बस यही कहेंगेए हम जीवन भर तुम्हें यूं भुला ना पाएंगे। उनके परिजनों के द्वारा प्राप्त जानकारी के तहत उनका अंतिम संस्कार कण्वाश्रम स्थित पैतृक घाट पर किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके निज आवास झंडीचौड़ में पत्रकारों, राजनेताओं तथा समाज से जुड़े लोग तथा उनके दोस्तों का बड़ा हुजूम लगा था। सबकी आंखें आज नम दिखाई दी।