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मलारी से मिलम को जोड़ने का सपना होगा साकार

29/01/21
in उत्तराखंड, चमोली
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फोटो– बार्डर एरिया मे चटटान को काट कर सडक बनाता बीआरओ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। ’’मलारी से मिलम’’ को सडक से जोडने का सपना अब जल्द सकार होगा। सुमना से टोपी ढुॅगा तक 72किमी सडक निर्माण की स्वीकृति मिली। टोपी ढुॅगा तक सडक बन जाने के बाद मात्र तीन दिनों में मिलम पंहुचा जा सकेगा।


भारत-चीन सीमा से सटे सरहदी क्षेत्रों को सडक संपर्क से जोडने की कवायद पर तेजी से काम शुरू होन के बाद नीती व माणा दर्रे तो सडक से जुड चुके है। अब चमोली से पिथौरागढ की आवाजाही नीती दर्रे से हो सके इसकी कवायद भी शुरू हो गई है। चमोली जनपद के नीती धाटी के मलारी से पिथौरागढ के मिलम तक एक ट्रैक रूट है जिस पर प्रतिवर्ष कोई ने कोई टैªकिंग दल ट्रैक करता है। मलारी-मिलम नाम के इस खूबसूरत ट्रैक रूट पर आसानी से नही जाया जा सकता जिसका प्रमुख कारण बार्डर एरिया का होना भी है। और आम टैªकर दलों को परमीशन भी आसानी से नही मिलती। वर्तमान मे मलारी से मिलम तक करीब सात दिनो का ट्रैक है। जो मलारी से सुमना होते हुए टोपी ढुॅगा से होता हुआ है। मलारी से सुमना तक सडक का निर्माण हो चुका है। और अब सुमना से टोपी ढुॅगा तक 72किमी सडक निर्माण की स्वीकृति भी मिल चुकी हैं। जिस पर बीआरओ शीध्र कार्य शुरू करने जा रहा है। यह सडक सुमना-11,400फीट की ऊॅचाई से टोपी ढुॅगा-15हजार फीट की ऊॅचाई पर निर्मित होगी। टोपी ढुॅगा तक सडक बन जाने के बाद मिलम के लिए दो या तीन दिनों का ही ट्रैक रहेगा। और निश्चित ही आने वाले समय मे टोपी ढुॅगा से मिलम तक भी सडक का निर्माण होगा।

चमोली जनपद के नीती घाटी से पिथौरागढ जनपद के मिलम तक संडक सपर्क मार्ग बन जाने के बाद दोनो सीमावर्ती जनपदों के लिए पर्यटन के माध्यम से रोजगार की असीम संभावनांए विकसित होगी। सडक निर्माण के बाद इस सडक पर पर्यटको की आवाजाही के लिए भी प्रसास होगे। और यह सडक निकट भविष्य मे कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगी।


वर्ष 2014के बाद बार्डर एरिया मे सडको के निर्माण मे निश्चित रूप से तेजी दिखाई दे रही है। पूर्व वर्ती सरकारे सीमा तक सडक पंहुचाने मे न जाने किन कारणो से परहेज करती रही हैं लेकिन जब पडोसी देश चीन तिब्बत तक न केवल सडको का जाल विछा चुका है ब्लकि रेल लाइन पंहुचा रहा है ऐसे मे भारत को भी समय रहते अपनी सीमा को सडक संपर्क से जोडना चाहिए था जो पहले नही हो सका। अब विगत वर्षो से बार्डर एरिया मे सीमाओं तक सडको को पंहुचाने का काम तेजी से शुरू हुआ है, फलस्वरूप चमोली जनपद से लगने वाली चीन सीमाओं मे नीती-माणा दर्रो तक सडक का निर्माण हो चुका है। नीती-माणा दर्रो मे माणा की ओर माणा पास तक खारदु्रंगला के बाद सबसे ऊॅचाई 18192फीट पर बीआरओ ने सडक तैयार कर ली है जिस पर 40किमी का डामरी करण भी हो चुका है और शेष 15किमी मे इस वर्ष डामरीकरण का कार्य पूरा हो जाऐगा। इसी प्रकार नीती घाटी मे नीती पास व बाडाहोती से पहले रिमखिम तक भी सडक का निर्माण हो चुका है। अब सुमना से टोपी ढुॅगा तक सडक निर्माण की कवायद शुरू हुई है।
दरसअल टोपी ढुॅगा की ओर से नीती-माणा दर्रो की तरह ही अन्य सरहदे भी है जहाॅ मौजूद भारतीय चैकियों तक पंहुचने के लिए अभी भी सुमना से मीलों पैदल जाना होता हैं और जरूरी सामान भी पोर्टर व खच्चरो के माध्यम से ही अग्रिम दरौ तक पंहुचाया जाता है। सुमना से टोपी ढुॅगा तक 72किमी0 सडक बन जाने के बाद संचूतला व छू-जाॅग जैसी अग्रिम चैकियों तक पंहुच आसान हो सकेगी।


पर्वतीय दर्रो के चप्पा-चप्पा तक पंहुचने वाले उत्तराख्ंाड के पूर्व वन मंत्री मोहन सिंह रावत’’गाॅववासी’’ ने वर्ष 2001 मे मलारी -मिलम की यात्रा की थी। श्री गाॅववासी कहते है कि मलारी से मिलम को ट्रैक रूट बेहद खूबसूरत है। उन्होने 21जुलाई 2001को मलारी से मिलम की यात्रा शुरू की थी और करीब सात दिनो के ट्रैक के बाद वे मिलम पंहुचे थे। उन्होने टोपी ढुॅगा तक सडक निर्माण की स्वीकृति पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि टोपी ढुॅगा तक सडक बन जाने के बाद मिलम का ट्रैक मात्र तीन दिनों का रह जाऐगा। उनका कहना था कि निकट भविष्य मे मिलम तक सडक निर्माण होने के बाद यह मार्ग पर्यटको की आवाजाही के लिए भी खोला जाना चाहिए ताकि लोग इस सडक के माध्यम से रोजगार से तो जुडेगें ही पिथौरागढ से नीती घाटी की पंहुच भी आसान हो सकेगी।


वास्तव मे वर्ष 1962 भारत-चीन युद्ध के बाद तिब्बत ब्यापार गॅवा चुके घाटी के लेागो के लिए सडको का विस्तार स्वरोजगार की दिशा मे मील का पत्थर साबित हो सकते है। हाल ही मे नीती घाटी मे कुरकुटी से नीती तक की 20किमी सडक को डबल लेन बनाने का निर्णय करते हुए बीआरओ को डबल लेन बनाने की जिम्मेदार दी गई है। इस सडक के डबल लेने बनने के बाद तो नीती घाटी के टिम्मर सैण महादेव जो बाबा बर्फानी के नाम से भी मशहूर है,, वहाॅ भी बेहतर यात्रा का संचालन होगा। और पर्यटको के साथ ही धार्मिक पर्यटक भी बडी संख्या मे यहाॅ पंहुचे

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