स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखंड की वीरांगनाओं ने भी निभाई थी अहम् भूमिका
गैरसैंण। डिग्री कॉलेज गैरसैंण में इतिहास विभाग की ओर से परिषदीय कार्यक्रम के तहत शनिवार को भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम, द्वतीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण.पत्र व पुरस्कार वितरित किए गये। स्वाधीनता आंदोलन में उत्तराखंड की भूमिका विषय पर भाषण प्रतियोगिता में मनीष व भावना जुयाल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
विभिन्न विषयों पर कॉलेज की आठ टीमों ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागी मनीष ने कहा कि उत्तराखंड के चंपावत निवासी कालू मेहरा को प्रथम स्वतंत्रता सैनानी कहा जाता है। उन्होंने क्रांतिवीर नामक संगठन बनाया था, जिससे प्रभावित हो कर सन् 1857 में एक हजार क्रांतिकारियों ने हल्दवानी शहर को घेरा था। कार्यक्रम के समापन अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ डीपी पंत और विभाग के प्रभारी डॉ विनोद फर्स्वाण ने स्वाधीनता आंदोलन में उत्तरखंड की भूमिका प्रर प्रकाश डालते हुए कहा कि पंडित गोबिंद बल्लभ पंत और बद्रीदत पांडे आदि के सहयोग से 1916 में कुमाउ परिषद का गठन किया गया, जिसका कालांतर में कांग्रेस में विलय हो गया।
सन् 1918 में अनुसूया प्रसाद बहुगुणा एवं बैरिस्टर मुकुन्दी लाल ने गढ़वाल कांग्रेस कमेटी का गठन किया और उन्होंने 1919 में अमृतसर कांग्रेस अधिवेशन में प्रतिभाग किया। कहा कि उत्तराखंड में गांधी जी के आंदालनों का बहुत पभाव रहा। जिससे 1920 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में उत्तराखंड के आम जन मानस ने बढ़चढ कर भाग लिया। उत्तराखंड की कुन्ती वर्मा, दुर्गावती पंत, पदमा जोशी, भीवंदी देवी,
विशनी देवी आदि वीर नारियों ने भी स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभायी।
अप्रैल सन् 1930 का पेशावर कांड तो जग जाहिर है, इस दौरान डॉ इंद्र सिंह कोहली, डॉ हुकम सिंह, डॉ. दीपक भंडारी, डाँ निशा, डॉ गंगा, डॉ सुबोध कुमार, डॉ गिरजेश, मो तस्लीम, चंद्र प्रकाश, शिवराज शाह, मनीष चंद्र, कॉलेज के छात्र-छात्राऐं, कर्मचारी मौजूद रहे।