
प्रधानमंत्री की पांचवी केदारनाथ यात्रा के बाद इस चुनावी मौसम में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालांकि अपने भाषण में श्रेय लेने से बचने की बात कही हो, लेकिन उनके भाषण का लब्बोलुआब यही था कि केदारनाथ का जो कायाकल्प हुआ है, वह भाजपा सरकारों की देन है। उन्होंने तो केदारनाथ के इस पुनर्निर्माण को उत्तराखंड के पलायन से जोड़ दिया। उन्होंने यहां तक दावा किया कि इससे पहाड़ों का पानी और जवानी वहां के काम आएगी, पलायन रुकेगा, जो अब तक नहीं हो पाया है।
मोदी केदारनाथ पहुंचे तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार पहुंचे उन्होंने कई मंदिरों के दर्शन किए और कहा कि भाजपा सरकार केदारनाथ में कुछ नया नहीं कर रही है, जो काम भी कर रही है वह कांग्रेस के द्वारा शुरू किए गए कामों को आगे बढ़ा रही है। इन कार्यों को कांग्रेस ही पूर्ण करेगी, जब 2022 के चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आएगी। पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि मोदी केदारनाथ अपनी पार्टी की मार्केटिंग करने आए हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव किसी के अहंकार को स्वीकार नहीं करते।
हरीश रावत ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रधानमंत्री के केदारनाथ आगमन से अपेक्षाएं थी, लेकिन उन्होंने बहुत निराश किया, उन्होंने आपदा पीड़ित उत्तराखंड और केदारनाथ के भविष्य की योजनाओं के बारे में कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने कहा कि उल्टा मोदी हमारी परंपराओं को रौंदकर चले गए। हरीश रावत ने कहा कि राष्टपति से लेकर प्रधानमंत्री तक कई बड़े नेता केदारनाथ आए, लेकिन किसी ने भी अपनी सीमाएं नहीं लांघी। उन्होंने कहा कि सी ने उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने सरी परंपराओं को तोड़कर गर्भगृह अपने पूजा-पाठ को कैमरों के जरिये प्रसारित किया, जो आज तक किसी ने नहीं किया।
बीजेपी नेता देवेंद्र भसीन ने एक बयान ट्वीट कर कहा कि 2013 में जब केदारनाथ आपदा आई थी, तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने केदारनाथ पुनर्निर्माण की इच्छा जताई थी, लेकिन सोनिया गांधी ने इससे इंकार कर दिया। अब प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी केदारनाथ का पुनरुद्द्धार कर रहे हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि भाजपा के पास खुशहाल उत्तराखंड का रोडमैप है। केदारनाथ दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावी योजनाओं की घोषणा कर इसे पुख्ता किया है, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव है, जब भी वह उत्तराखंड आते हैं, दुनिया में उत्तराखंड की छवि निखरकर सामने आती है।












