रिपोर्ट:लक्ष्मण सिंह नेगी
चमोली। हिमालय में कई सुंदर एवं रमणीक स्थान है जिनको देखने के लिए लोग दूर-दूर से हर वर्ष यहां आते हैं। आध्यात्मिक रूप से अत्रि मुनि का आश्रम एवं अनसूया आश्रम की अपनी बड़ी महिमा रही है हर वर्ष निसंतान दंपति अनसूया के चरणों में आकर भगवती से गोद भरने की मांग करते हैं और मन्नत मांगते हैं यह परंपरा सैकड़ो सालों से चली आ रही है जो भी संतान बालक या बालिका होती है अधिकतर उसका नाम लोग आज भी अनसूया रख देते हैं आज लाखों की भीड़ में कई अनसूया अनसूया आश्रम पहुंचकर उन्होंने अपनी मन्नत मांगी रास्ते में लोग विशेष कर महिलाएं यह कहती हुई मिली कि मेरी बेटी या बेटा इस वर्ष में अनुसूया आश्रम आने के बाद हुई इस तरह की परंपराएं चलती रहती है हर वर्ष यहां चतुर्दशी तिथि को मागसीर मास की पूर्णमासी को यहां दो दिवसीय भव्य मेला लगता है और यहां पर लोग संतान की प्राप्ति के लिए भगवती से प्रार्थना करते हैं। इस वर्ष भी सैकड़ो की तादात में यहां लोग आकर मन्नत मांग रहे थे।
निसंतान दंपतियों को सपने में देती है भगवती फल।
चतुर्दशी तिथि को सात गांव से अनुसूया माता की बहाने डोलियों में वहां अनसूया को मिलने आती है और पूर्णमासी तिथि को मेले के बाद डोलियों का अपने-अपने क्षेत्र के लिए प्रस्थान होता है। जनपद चमोली के मंडल घाटी में अनसूया आश्रम मंडल गांव से 4 किलोमीटर दूरी पर पैदल यात्रा करके पहुंच जाता है अत्यधिक सुंदर एवं रमणीक स्थान होने के कारण हर वर्ष यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच जाते हैं लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर यह स्थान अपने में बहुत ही सुंदर है ऐसी मान्यता है कि एक वार ब्रह्मा विष्णु, शिव के द्वारा मां लक्ष्मी मां पार्वती सरस्वती के कहने पर उन्होंने अनसूया आश्रम में आकर भगवती की परीक्षा लेनी चाहिए और उनके सतीत्व की कठिन परीक्षा लेने के कारण भगवती से कहा कि हम तुम्हारे यहां हम भोजन तब करेंगे जब तुम नंगी होकर हमें भोजन ग्रहण करायेगी अनुसूया माता ने भगवान का स्मरण करते हुए उन्हें तीनों को बालक रूप में आने को कहा और भगवती ने नंगे होकर तीनों को स्तनपान कराया कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा देवर्षि नारद के द्वारा शिवलोक और विष्णु लोक में जाकर कहा गया कि तुम्हारे पति अत्रि मुनि अनसूया आश्रम में बच्चों के रूप में स्तनपान कर रहे हैं यह सुनकर तीनों देवियों को बड़ा अचम्वा हुआ कि वह स्त्री हमसे भी कितनी पतिवरता और धार्मिक है वह तीनों स्वयं परीक्षा लेने के लिए अनूसूया आश्रम पहुंच गए और कहां की हमारे पति कहां है मां अनुसूया ने कहा कि तीनों बच्चे ब्रह्मा विष्णु महेश पालकी में है तुम पहचानो और ले जाओ महामाया अनसूया की शक्ति के कारण वे तीनों अपने पति को नहीं पहचान पाए और अपनी गलती का एहसास होने लगा मां अनुसूया के चरणों में नतमस्तक होकर हमें माफ करने की विनती करने के बाद मनसूया ने अपने सत्य को स्मरण कर तीनों देवों को मूल रूप में आने के लिए प्रार्थना की और फिर ब्रह्मा विष्णु महेश प्रकट हुए तीनों देवों ने जाते समय मां से कुछ वर मांगने के लिए कहा मां ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए किंतु जब तीनों लोकों के त्रिदेव जाने लगे मां अनुसूया के आंखों से आंसू आने लगे भगवान ने यह देखकर मां अनुसूया को कहां की तुम्हारा एक पुत्र होगा जिसका नाम दत्तात्रेय होगा और उनके तीन सिर होंगे । इसी दिन से संतान प्राप्ति की देवी अनुसूया को कहा जाता है और हजारों की संख्या में लोग विभिन्न गांवों और विभिन्न प्रदेशों से अनसूया आश्रम आते हैं यह मंदिर वर्ष पर खुला रहता है। जनपद चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर से अति निकट मंडल घाटी में अनसूया आश्रम स्थित है।