रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट।
थराली। पिंडर घाटी के कई गांवों के ग्रामीणों को अब आने वाले दिनों में सूर्य उदेय एवं सूर्य अस्त के दौरान ही नदियों को अगले 4 महिनों तक आरपार करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
इन गांवों के ग्रामीणों को ब्लाक, तहसील, जिला मुख्यालय सहित अन्य जगहों को आनेजाने के लिए समय का विशेष ध्यान रखना होगा। एक तरह से पूरी स्वतंत्रता के साथ आनेजाने पर प्रतिबंध लगा रहेगा। दरअसल 2013 में विकास खंड थराली के अंतर्गत पिंडर नदी में हरमनी झूला पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने,इसी ब्लाक के अंतर्गत प्रणामती नदी में डाडरबगड़, देवाल ब्लाक के अंतर्गत पिंडर नदी में ओडर,भौरियाबगड़ एवं कैल नदी पर सुपलीगाड़ झूला पुलों के बह जाने के बाद लोनिवि थराली ने इन स्थानों पर इलैक्ट्रिकल ट्रालियों की स्थापना की गई हैं। ताकि ग्रामीणों को आने जाने में अधिक दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। लोनिवि थराली के द्वारा इन ट्रालियों को मानसून की शुरुआत होने पर 15 जून के आसपास शुरू करवाया जाता है और इन का संचालन 15 अक्टूबर तक नदियों में जल स्तर के घटने तक किया जाता है।शेष आठ महीने ग्रामीणों के द्वारा लकड़ी के अस्थाई पुलों के जरिए नदियों में आवाजाही की जाती है। बरसात शुरू होने एवं नदियों में जलस्तर बढ़ जाने के कारण लकड़ी के अस्थाई पुल नदियों की भेंट चढ़ जातें हैं। इन ट्रालियों का संचालन पूरे 24 घंटों में मात्र 3 घंटे ही किया जाएगा है।आम तौर पर 3 से 4 लोगों के नदी के आरपार खड़े होने पर ही ट्राली स्टार्ट कर लोगों को नदियों से आरपार कराया जाता है। ट्रालियों के संचालन के लिए विगत दिनों आमंत्रित की गई निविदाओं के तहत 120 दिनों में मात्र 360 घंटे ही ट्रालियों को संचालित करने का लक्ष्य रखा गया हैं।जोकि गांव की जनसंख्या को देखते हुए किसी भी तरह से प्रयाप्त नही माना जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों को काफी अधिक दिक्कतें आ सकती हैं।
आपातकालीन स्थिति में ही रात में ट्रालियों का होगा संचालन-गुप्ता खतरनाक होता है रात में ट्रालियों का संचालन
24 घंटों में प्रतिदिन मात्र 3 घंटे ही ट्रालियों के संचालन के संबंध में पूछे जाने पर निर्माण खंड लोनिवि थराली के अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता ने बताया कि ऐसा नही है कि प्रति दिन केवल 3 ही घंटे ट्रालियों का संचालन किया जाएगा आमंत्रित निविदाओं में केवल एक लक्ष्य निर्धारित किया गया है। परंतु लोगों के आवागमन के अनुसार ट्रालियों का संचालन किया जाएगा। लोगों के आवागमन के अनुसार कितने भी घंटे ट्राली दिन में चलाईं जा सकती हैं। अवर अभियंता जनरेटरों में दर्ज रिकॉर्ड को लाॅक बुक में दर्ज करेंगे और रीडिंग के अनुसार ही बिल बनाकर ठेकेदार को ठेकेदार को घंटों के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। ईई गुप्ता ने बताया कि नियमानुसार सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक ही ट्रालियों का संचालन किया जा सकता है। हालांकि आपातकालीन स्थिति में रात के वक्त भी ट्रालियों को संचालन किया जा सकता है किन्तु रात को ट्रालियों का संचालन सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक साबित हो सकता हैं।इस लिए विभाग का प्रयास रहेगा कि रात में सूर्य अस्त के बाद ट्रालियों का संचालन नही किया जाएं।