रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी/ रूद्रप्रयाग.
रूद्रप्रयाग: कहते हैं एक शिक्षक छात्र-छात्राओं को सरस्वती के मन्दिर से,शेक्षणिक,सामाजिक,सांस्कृतिक, ज्ञान के साथ साथ देश भावना के प्रति आदर सीखने का मार्ग दर्शक भी होता है,
इसीलिए सतयुग से लेकर आजतक शिक्षक को सबसे महत्वपूर्ण स्थान गुरु के रूप में दिया गया है। इसीलिए कहा जाता है कि बिना गुरु के ज्ञान सम्भव नहीं है। आपको बताते चलें कि नोकरी में एक कर्मचारी का स्थानांतरण होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा होता है, मगर कुछ लोगों के स्थानांतरण (ट्रांसफर) होना सभी के दिलो को भावुक बनाने पर मजबूर कर देता है। जनपद रुद्रप्रयाग मुख्यालय स्थित अटल उत्कृष्ट राइका रुद्रप्रयाग में बतौर हिंदी के सहायक अध्यापक विनोद प्रकाश भट्ट ने अपनी 9 सालों की सेवा दी है, इन नो वर्षो में विद्यायल के छात्र छात्राओं ने भी अपने शिक्षकों के मार्ग दर्शन में बहुत कुछ ज्ञान अर्जित करते हुए विद्यालय के साथ साथ अपना भी नाम रोशन किया है।अटल उत्कृष्ट राइका रुद्रप्रयाग में हिंदी के सहायक अध्यापक रहे विनोद प्रकाश भट्ट एक ऐसे शिक्षक है जिन्होंने सुगम सेवा के बाद स्वैच्छा से दुर्गम विद्यालय राइका बसुकेदार को चुना,जबकि आज हर शिक्षक दुर्गम से सुगम यानि मैदानों की ओर जानें के जुगाड़ों में लगे रहते हैं। ऐसे में शिक्षक विनोद प्रकाश भट्ट ने सभी को एक मिसाल भी दी है। वही शिक्षक विनोद प्रकाश भट्ट के स्थानांतरण होने पर विद्यायल के छात्र छात्राएं बड़े भावुक होते नजर आए, उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य का जो ज्ञान गुरुजी ने पढ़ाया व दिया उसे हमेशा याद रखेंगे।अधिकतर विद्यार्थियों की आंखे अपने गुरु को विदाई देते झलक आई। यहीं पल होते हैं जब एक सच्चे गुरु और शिष्य के बीच ज्ञान रूपी भंडार की अनुभूति समझी जा सकती है।
एक नज़र शिक्षक विनोद प्रकाश भट्ट, पर
गढ़ गुंजन गीत काव्य वर्ष 2007
वर्ष 2018 से राष्ट्रीय पत्रिका
‘चंद्रदीप्ति’का प्रकाशन व संपादन।
वर्ष 2018 में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो हेतु उत्तराखंड सरकार द्वारा शैलेश मटियानी पुरस्कार.
वर्ष 2019 में शिक्षक के रूप में कर्तव्य परायणता हेतु मंत्री विद्यालय शिक्षा उत्तराखंड सरकार देहरादून द्वारा सम्मानित। वर्ष 2022 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार. हिंदी व संस्कृत भाषा विषयों में वर्ष 2008 -09 वर्ष 2009 -10 वर्ष 2010-11 में निरंतर उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम के लिए निदेशक विद्यालयी शिक्षा विभाग उत्तराखंड द्वारा सम्मानित। वर्ष 2010 में योग प्रशिक्षण के लिए पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा योग शिक्षक नियुक्त . वर्ष 2014 में छात्रों में संस्कृति ज्ञान के क्षेत्र में सराहनीय सहयोग हेतु अखिल भारतीय गायत्री परिवार द्वारा सम्मानित।
वर्ष 2016 में अग्नि सुरक्षा जागरूकता के लिए जन जागरण हेतु वन विभाग उत्तराखंड द्वारा सम्मानित वर्ष 2018 में यातायात सुरक्षा हेतु जागरूकता के लिए पुलिस अधीक्षक रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित। वर्ष 2017 में मतदाता जागरूकता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी नोडल अधिकारी SVEEP द्वारा सम्मानित। विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रमों में भाषा सहभागिता हेतु मुख्य शिक्षा अधिकारी जनपद रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित जनपद रुद्रप्रयाग में हिंदी व संस्कृत भाषा के शिक्षकों को निरंतर पांच वर्षों तक प्रशिक्षण देने के लिए मुख्य शिक्षा अधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित। हिंदी व संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार हेतु शिक्षा में नवाचार के लिए वर्ष 2017 में मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा सम्मानित. वर्ष 2021 में राजकीय कार्यों का पूर्ण निष्ठा एवं तत्परता से संपादन हेतु जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित। वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय कार्यों का पूर्ण निष्ठा एवं तत्परता से संपादन करने हेतु मुख्य विकास अधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित। वर्ष 2019 में मतदाताओं को जागरूक करने हेतु आयोजित विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रमों को संपादित करने हेतु श्रीमान जिलाधिकारी/ जिला निर्वाचन अधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा सम्मानित। वर्ष 2019 में अपनी संस्कृति और भाषा के क्षेत्र में प्रेरणादाई कार्यों के लिए अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती द्वारा भाऊ राव देवरस सम्मान से सम्मानित। वर्ष 2018 ,वर्ष 2019 और वर्ष 2023 में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार हेतु उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा सम्मानित। वर्ष 2020 में कोरोना योद्धा सम्मान देवभूमि जन सेवा संस्थान नैनीताल द्वारा सम्मानित। वर्ष 2020 में जिलाधिकारी/ जिला निर्वाचन अधिकारी रुद्रप्रयाग द्वारा लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2019 में सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचन सहभागिता के अंतर्गत मतदाताओं को जागरूक करने हेतु सम्मानित.हिंदी भाषा साहित्य संस्कृति सभ्यता एवं मातृभाषा के उत्थान हेतु कई बार गोष्ठियों का आयोजन।अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता लाने के लिए सुलेख, निबंध, कहानी ,कविता, संस्मरण आदि लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन। अब आप भी अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस शिक्षक के पास इतनी ज्ञान रूपी भंडार का खजाना हो, तो उनके पढ़ाए छात्र छात्राएं उनके कैसे भूल जायेंगे, इसीलिए विधायल में स्थानांतरण की विदाई के दौरान छात्रों की आंखे झलक आई, उन्होंने अपने गुरुजी से आशीर्वाद भी लिया,जल्द दोबारा वापस आने का वादा किया।