जोशीमठ/चमोली। कल्प क्षेत्र केक श्री कल्पेश्वर पंचम केदार के शीर्ष पर स्थित है फ्यूंला नारायण जो समुद्र तल से 10000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। फ्यूंला नारायण मंदिर के कपाट 12 सितंबर को ठीक 2:00 बजे श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे हर वर्ष श्रावण संक्रांति के दिन भगवान नारायण के कपाट खोले जाते हैं और नंदा अष्टमी के नवमी तिथि को भगवान नारायण के कपाट बंद कर दिए जाते हैं नंदा देवी स्वनुल लोग जात कार्यक्रम के वाद भगवान नारायण की एक दिन की पूजा देने का विधान है जो नवमी की तिथि को राजभोग देने के बाद आगामी वर्ष के लिए कपाट बंद कर दिये जाते हैं फ्यूंला नारायण मंदिर में कपाट बंद करने की प्रक्रिया प्रातः से शुरू कर दी जाती है। जैसे ही भगवती स्वनुल नंदा की जात यात्रा भर्की गांव अष्टमी तिथि को पहुंचती है उसे दिन से ही भगवती नंदा को 12 किलो चावल 2 किलो आटे की पूरी खीर मेवा मिष्ठान के साथ राजभोग दिया जाता है। जिसे ठय्या बैठना कहा जाता है इस प्रक्रिया के बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया मानी जाती है। सबसे पहले प्रातः नारायण का स्नान नंदा देवी स्वर्ण सुंदरी दाणी जाख भूमियाल वन देवियां वरुण देवता सहित कई देवताओं की पूजा की जाती है उसके बाद नारायण जी के कपाट बंद कर दिए जाते हैं मूतू नमक खुशबूदार वनस्पति को भगवान के चारों तरफ लगाया जाता है और भगवती के स्थान को भी भर दिए जाते हैं जिसे कपाट बंद करना कहा जाता हैऔर भगवान नारायण की धूनी में लकड़ी लगा दी जाती है। ऐसी मान्यता है कि पूजा के बाद यहां के पुजारी जाख देवता करते हैं। सैकड़ो की संख्या में भक्तजन नारायण धाम पहुंचकर भगवान के दर्शन करते हैं। कपाट बंद होने के बाद भर्की गांव में दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसे नवमी दशमी मेला कहा जाता है और अगले वर्ष के लिए नारायण धाम के पुजारी की नियुक्ति भी कर दी जाती है।