हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत “मैती” ने सुरक्षित भविष्य के लिए पहाड़ों पर स्थित बुग्यालों के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि बुग्यालों का संरक्षण नही होने पर निश्चित ही प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी। कहा कि बुग्यालों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आनेवाले वर्ष से 2 सितंबर को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाने की घोषणा की हैं, जोकि सराहनीय है। राजकीय महाविद्यालय तलवाड़ी के लालबहादुर शास्त्री सभागार में “पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए जैव सक्रिय यौगिकों की आपूर्ति के रूप में पौधों की जैवविविधता”विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा देश की अधिकांश नदियों का उद्गम ग्लेशियरों से हैं, उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में तो लगभग सभी नदियों की जन्नी ग्लेशियर ही हैं किंतु जिस तेजी के साथ ग्लेशियर पिघल रहे हैं वह आने वाले समय के लिए एक बड़े संकट की ओर इशारा कर रही हैं। रावत ने ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए पेड़,पौधों के संरक्षण के साथ ही पौधारोपण कर उन्हें संरक्षित करने, बुग्यालों को बचाने के ठोस प्रयास करने की पहल करने की आवश्यकता पर बल दिया।इस मौके पर उन्होंने मैती आंदोलन पर चर्चा करते हुए कहा कि आज इस आंदोलन के विश्व के कई देश अपनाएं हुए हैं।जोकि आंदोलन की सार्थकता की ओर संकेत कर रहे हैं। उन्होंने इस आंदोलन को जन-जन का आंदोलन बनाने के लिए आगे आने की भी अपील की।इस सेमिनार का उद्घाटन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग के प्राचार्य प्रो.वीएन खाली ने दीप प्रज्वलित कर करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को पौधारोपण के लिए आगे आना होगा। ताकि आने वाले भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।इस मौके पर तलवाड़ी के प्राचार्य डॉ.योगेंद्र चंद्र सिंह व कार्यक्रम संयोजक डॉ.प्रतिभा आर्य ने अतिथियों का स्वागत किया।इस मौके पर रिसोर्स पर्सन प्रो.एससी सती,प्रो. अब्दुल फारूख, डॉ.कपील खुल्वे, मध्य पिंडर रेंज के रेंजर हरीश थपलियाल ने सेमिनार में अपने वक्तव्य दिए इस मौके पर डॉ.इंद्रेश कुमार पांडे, डॉ.शंकर राम, डॉ.नीलम सिंह,तलवाड़ी की प्रधान दीपा देवी, पूर्व प्रधान गोपाल सिंह फर्स्वाण, महिपाल सिंह, प्रशांत कुमार, महेंद्र लाल टम्टा कीर्ति राम, अर्चना सती आदि बतौर अतिथि मौजूद रहे।