चमोली। उत्तराखंड के जाने माने सर्वोदय नेता मुरारी लाल जिन्होंने दसोली ग्राम स्वराज मंडल के साथ मिलकर हजारों जनसभा एवं महिला संगठनों को सशक्तिकरण का काम किया इतना ही नहीं इन्होंने अपने गांव पपडियांणा गोपेश्वर में मिश्रित जंगल भी तैयार किया जिंदगी के आखिरी सफर तक समाज के लिए काम करते रहे पर्यावरण संरक्षण महिला सशक्तिकरण छुआछूत जात पात के खिलाफ लगातार संघर्ष करते रहे जिंदगी के आखिरी कदम तक समाज के लिए समर्पित एक योद्धा के रूप में काम करते रहे चिपको आंदोलन के एक सिपाही के रूप में सघन रूप से जनपद चमोली में काम करते रहे। शुक्रवार के प्रातः ऋषिकेश एम्स में मुरारी लाल जी ने आखिरी सांस ली। मुरारी लाल का जन्म गोपेश्वर के अति निकट पपडीयांणा गांव में जन्म 10 अक्टूबर 1933 को हुआ यशकयी छोटिया लाल माता सुंदरी देवी के घर में हुआ था अपने पीछे नरेंद्र भारती बिहारी लाल पुत्री गौरा देवी को छोड़ गए उन्होंने 1970 की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र में पधारोपण का कार्य करवाते रहे जनपद चमोली में मध्य निषेध का प्रचार प्रसार का कार्य किया 19 75 में भूमि आवंटन भूमिहीन को पट्टा दिलवाने 1995 से लेकर 99 तक ग्रामीण विकास अभिकरण चमोली में मनोनीत सदस्य रहे वर्ष 1975 में पपड़ियांणा में श्रमदान से विद्यालय का निर्माण करवाया अपने गांव में महिला संगठन के सहयोग से वनीकरण का निर्माण किया 1970 में भूदान आंदोलन में भी भाग लिया वे एक अच्छे वक्ता के साथ एक अच्छे कवि भी थे चिपको के हर गीत उनको याद थे उनके जीवन में कहीं महत्वपूर्ण घटनाएं घटी किंतु समाज परिवर्तन का काम नहीं छोड़ा मुरारी लाल जी को वर्ष 20009 10 में जनपद चमोली से इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया किंतु यह पुरस्कार उन्हें नहीं मिल पाया इसके अलावा उन्हें गौरा देवी पर्यावरण पुरस्कार उर्गम घाटी की तरफ से दिया गया और देश-विदेश में भी मुरारी लाल जी का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। सर्वोदय नेता मुरारी लाल की निधन पर कई समाजसेवी संगठनों ने दुख व्यक्त किया।