रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट।
थराली/देवाल। पिंडर क्षेत्र के तीनों रेंजों में लगातार बढ़ रही दवानल की घटनाओं को रोकने के लिए बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने स्वयं क्षेत्र में पहुंच कर मोर्चा संभाला लिया है। उन्होंने दवानल को रोकने के लिए जहां वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।वही ग्रामीणों को दवानल को रोकने के लिए विभाग को सहयोग करने की अपील कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से पिंडर घाटी के दक्षिणी पिंडर रेंज नारायणबगड़,मध्य पिंडर रेंज थराली एवं पूर्व पिंडर रेंज देवाल के जंगलों में एक के बाद एक जंगल दवानल की चपेट में आते जा रहे हैं।इस क्षेत्र के अधिकांश जंगल चीड़ बाहुल्य होने के कारण तमाम प्रयासों के बावजूद भी वन विभाग इस नियंत्रण नही कर पा रहे हैं। हालात इतने बत्तर बने हुए हैं, कि पिंडर क्षेत्र में पिछले एक सप्ताह से गहरी धुंध छाई हुई हैं।इस के कारण जहां दमा के मरीजों को जहां खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। वही लोगों को सरदर्द, आंखों में जलन सहित अन्य कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा हैं।इस क्षेत्र में बढ़ रही वनाग्नि को देखते हुए बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के डीएफओ सर्वेश दुबे ने स्वयं मोर्चा संभाला लिया है। सोमवार को डीएफओ नारायणबगड़ होते हुए थराली पहुंचे और उन्होंने दवानल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर वन कर्मियों के साथ आग बुझाई और कर्मियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के साथ बैठके कर जंगलों में फैल रही दवानल को रोकने के लिए वन विभाग का सहयोग करने एवं जानबूझ कर जंगलों में आग लगने वाले व्यक्तियों की सूचना वन विभाग, पुलिस, प्रशासन को गोपनीय रूप से देने की अपील करते हुए सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखने की बात कही।इस दौरान थराली रेंज के रेंजर हरीश थपलियाल भी साथ चल रहें थे। मंगलवार को डीएफओ ने पूर्वी पिंडर रेंज देवाल के रेन,ओडर,बोरागाड़, सुयालकोट,नलधुरा,मेलखेत,खेता मानमती आदि गांवों में जाकर वन कर्मियों से मुलाकात कर उन्हें दवानल को नियंत्रित करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश देते हुए ग्रामीणों के साथ बैठके कर दवानल रोकने में वन विभाग को सहयोग देने की अपील की। डीएफओ सर्वेश दुबे ने बताया कि आज लिगड़ी गांव के जंगल में आग लगने की सूचना पर वें वहां पहुंचे और वन विभाग के कर्मचारियों के साथ ही ग्रामीणों को प्रेरित कर 20 से अधिक ग्रामीणों ने आग बुझाने में सक्रिय भूमिका निभाई और आग पर नियंत्रण पा लिया गया। उसके बाद खेता के जंगलों में आग की सूचना पर वें वहा गयें और वन विभाग के साथ ही ग्रामीणों को दवानल पर नियंत्रण करने के लिए प्रेरित किया और 15 से अधिक ग्रामीणों के सहयोग से उस पर भी नियंत्रण पा लिया गया है।