डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पतित पावनी गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी
हकीकत ठीक उलट है. आज गंगा नदी अपनी अविरलता और निर्मलता के लिए तड़पती नजर आ रही है.
ऐसा ही हाल तीर्थनगरी ऋषिकेश में देखने को मिल रहा है. जहां चंद्रेश्वर नगर के पास पतित पावनी मां
गंगा सालों से दूषित हो रही है. दूषित होने की वजह ढालवाला से आ रहा एक गंदा नाला है, जो चंद्रेश्वर
नगर से होते हुए सीधे गंगा में मिल रहा है.इस गंदे नाले को गंगा में मिलने से रोकने के लिए सालों से
स्थानीय लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों के कानों तक शायद स्थानीय लोगों की
आवाज नहीं पहुंच रही है. गंदा नाला टैप नहीं होने की वजह से प्रधानमंत्री के स्वच्छ गंगा के सपने को भी
पलीता लग रहा है. जबकि, सरकार गंगा को स्वच्छ रखने के लिए अरबों रुपए खर्च करने में लगी है.
जिम्मेदारों की अनदेखी होने से त्रिवेणी घाट समेत अन्य गंगा घाटों पर आ रहे लाखों श्रद्धालु गंगा में मिल
रहे इस गंदे नाले के पानी का अनजाने में आचमन ले रहे हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था और उनके स्वास्थ्य के
साथ बड़ा खिलवाड़ है. हैरानी की बात ये है कि चंद्रेश्वर नगर के जिस कोने से यह गंदा नाला सीधे गंगा में
मिल रहा है, उसके ठीक बगल में नमामि गंगे का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ है. लोग इस गंदे नाले को
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने की मांग भी कर चुके हैं, लेकिन लोगों की मांग पर अभी तक कोई ध्यान
नहीं दिया गया है. पतित पावनी मां गंगा को इस गंदे नाले से दूषित होने से बचने के लिए लोग लगातार
प्रयास करने में लगे हैं, लेकिन उनकी आवाज का कोई असर नहीं दिख रहा है. इस संबंध में चंद्रेश्वर नगर
निवासी ने एक ज्ञापन मेयर शंभू पासवान को दिया है. ज्ञापन में रघुनाथ ने इस गंदे नाले को गंगा में मिलने
से रोकने के लिए प्रबंध करने की मांग की है. वहीं, मांग पूरी नहीं होने पर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर
आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है.नाले में संभवत कहीं पर जल स्रोत फूटा हुआ है और उसमें सीवर
लाइन का पानी मिल रहा है. जिसकी खोज की जा रही है. जैसे ही यह जानकारी स्पष्ट होगी, उस आधार
पर नाले के पानी को साफ कर गंगा में पहुंचाने का काम किया जाएगा. प्रोजेक्ट मैनेजर, गंगा अनुरक्षण
इकाई (नमामि गंगे) गंगा नदी की स्वच्छता को लेकर 'नमामि गंगे परियोजना' चलाई जा रही है. जिसे
साल 2014 में प्रधानमंत्री ने शुरू किया था. जो पीएम मोदी ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है. जिसका मकसद
गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और इसकी पवित्रता को बनाए रखना है. इसके अलावा गंगा की सफाई,
संरक्षण और कायाकल्प करना है. जिसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा गया था. ताकि, गंगा
को निर्मल और अविरल रूप दिया जा सके, लेकिन कई जगहों पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है. ऋषिकेश में
तो पहाड़ों से उतरते ही गंगा दूषित हो रही है. जिस पर कई सवाल उठ रहे हैं. छोटी छोटी गंगा की
सहायक नदियां खत्म हो रही है जिससे गंगा और गंगा के जल की गुणवत्ता पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा
है। प्रो डीएस मलिक का मानना है कि सरकार की तरफ से तो कई योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन अगर
गंगा को सही मायनों में स्वच्छ और अविरल बनाना है तो उस पर आम लोगों को भी जागरूक होकर साथ
देना पड़ेगा, बिना जनमानस के सहयोग के गंगा कभी भी स्वक्ष नहीं हो सकती। सरकार के द्वारा गंगा की
स्वच्छता और निर्मलता के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर दिए लेकिन फिर भी गंगा की हालत दयनीय
बनी हुई है यहां पर सीधे सीधे सीवर का गंदा पानी गंगा में जा रहा है लोगों का आरोप है कि सरकार ने
गंगा के नाम पैसों को ठिकाने लगाया है,स्थानीय पार्षद ने बताया कि गंगा ने दूषित पानी गिरने की
शिकायत कई बार विभाग को की गई लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नही दिया,जसिकी वजह से आज
गंगा अपने मायके में ही मैली होती जा रही है। प्रधानमंत्री बने जिसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब
गंगा स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गंगा को लेकर कई दावे करते
हुए था कि गंगा हमारी माँ है और अपनी को हम दूषित नही होने देंगे,लेकिन आज 10 वर्ष से अधिक का
समय बीत चुका है लेकिन गंगा की स्थिति बदतर होती जा रही है। सरकार चाहे लाख दावे कर ले गंगा
स्वच्छता को लेकर परंतु गंगा को स्वच्छ करने में सरकार अभी भी असफल दिखाई दे रही है *लेखक ने अपने*
*निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*