देहरादून। कक्षा. 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए ई.कोर्सेज ज्ञानांकुरण का ऑनलाइन शुभारम्भ आज महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा उत्तराखण्ड, देहरादून बंशीधर तिवारी ने राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय, ननूरखेड़ा, देहरादून स्थित वर्चुअल स्टुडियो के माध्यम से किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान सूचना क्रान्ति के समय में सूचना सम्प्रेषण तकनीकी को हमें अपने जीवन में अपनाना होगा, नहीं तो हम समय के साथ चल नहीं पायेंगे। सूचना सम्प्रेषण तकनीकी के साधनों के माध्यम से सीखने की गति को बढ़ाने की दिशा में ज्ञानांकुरण एक सार्थक प्रयास है। ऐसे प्रयासों से बच्चों में सीखने के प्रति रुचि बढ़ जाती है। आधुनिक प्रणाली का उपयोग करने से विद्यार्थी विश्व पटल पर अपनी रचनात्मक उपस्थिति दर्ज कर पायेंगे। कक्षा. 6 से 12 तक संचालित पाठ्यक्रम एवं पाठ्य पुस्तक की विषयवस्तु पर आधारित है। ज्ञानांकुरण में उपलब्ध ई.सामग्री वीडियो, लेक्चर, आकलन, एक्टिविटि के बीच कोई अन्तर न होने से इससे विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धि में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षण मात्र एक व्यवसाय नहीं बल्कि हम सबका एक नैतिक दायित्व भी है। उन्होंने नैतिकता पर आधारित कहानियों को भी ई.पोर्टल के लिए विकसित करने की आवश्यकता जताई।
संयुक्त निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, कंचन देवराड़ी ने ज्ञानांकुरण का परिचय देते हुए कहा कि भारत में उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जो विद्यार्थियों के लिए दीक्षा पोर्टल/मोबाइल एप्लीकेशन पर ई.कोर्सेज के माध्यम से सीखने में सहायता उपलब्ध कराने जा रहा है। पर उनकी रचनात्मकता को विकसित करने के लिए मंच प्रदान कर रहा है। इस कार्यक्रम से बच्चों में ऑनलाइन पढ़ने की आदत के विकास के साथ ही विषय से सम्बन्धित अवधारणायें भी स्पष्ट हो सकेंगी, विद्यार्थी इसे जब चाहे तब पढ़ सकते हैं यह धीमी गति से सीखने वाले बच्चों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि बच्चे जब चाहे अपनी सुविधानुसार इसका प्रयोग कर अपनी क्षमता का विकास करने साथ.साथ अपनी पढ़ने के प्रति जागरुकता का भी संवर्धन कर सकते हैं।
उप निदेशक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड, हिमानी बिष्ट ने कहा कि ज्ञानांकुरण कार्यक्रम के लिए हमें शत् प्रतिशत पंजीकरण का लक्ष्य रखना होगाए इसके लिए पंजीकरण तथा लॉग.इन की जानकारी का होना जरुरी है। इसके लिए शिक्षकों द्वारा बच्चों को गाइड करने के साथ व्यावहारिक रुप से सहयोग भी देना होगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए ज्ञानांकुरण के राज्य समन्वयक डॉ रमेश पंत, प्रवक्ता, एससीईआरटी उत्तराखण्ड ने जानकारी दी। इसमें विद्यार्थी के द्वारा कोर्स पूर्ण किए जाने के उपरान्त सम्बन्धित कोर्स का डिजिटल प्रमाण पत्र उपलब्ध होगा, इसमें नियत अंक प्राप्त करने की बाध्यता नहीं होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि बच्चे ग्रीम एवं शीतकालीन अवकाश के दौरान गृह कार्य के साथ ज्ञानांकुरण से सम्बन्धित गतिविधियों को भी कर सकते हैं।
अश्विनी शर्मा, राज्य प्रबन्धक, दीक्षा उत्तराखण्ड, संजय सिंह, टीम दीक्षा, नई दिल्ली तथा ज्ञानांकुरण के राज्य तकनीकी समन्वयक नितिन कुमार, प्रधान सहायक, एससीईआरटी उत्तराखण्ड ने ज्ञानांकुरण पर पंजीकरण, लॉगिन करने, कोर्स पूर्ण करने एवं सुलभ संचालन के क्रियान्वयन हेतु जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर उनके द्वारा प्रतिभागियों के द्वारा उठाये गये प्रश्नों का समाधान करते हुए जिज्ञासाओं को शांत किया गया।
इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के लगभग 500 वर्चुअल लैब के माध्यम से मुख्य शिक्षा अधिकारी, प्राचार्य, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक/प्रारम्भिक शिक्षा, जनपद समन्वयक, विकासखण्ड स्तरीय खण्ड शिक्षा अधिकारी उप शिक्षा अधिकारी, तकनीकी सहायक तथा प्रधानाचार्य के साथ विद्यालय के शिक्षकों द्वारा कुल 1351 प्रतिभागियों द्वारा ऑनलाइन भाग लिया।
इस अवसर पर डॉ उमेश चमोला, एवं डॉ राकेश गैरोला, प्रवक्ता, एससीईआरटी उत्तराखण्ड द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए गए।