थराली से हरेंद्र बिष्ट।
तो क्या ब्लाक मुख्यालय देवाल में बनने वाला विकासखंड कार्यालय धीरे.धीरे लुप्त होती जा रही पौराणिक पहाड़ी नक्कासी को संरक्षित रखने के साथ ही उसे बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर पाएगा? अगर सब कुछ ठीक ठाक चलता रहे तो, नए भवन के बहारी हिस्से में लगने वाली लकड़ियों में पहाड़ी नक्कासी की झलक दिखाई पड़ेगी।
दरअसल वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार ने थराली एवं देवाल ब्लाक कार्यालयों के भवनों के नव निर्माण की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की। जिसके तहत पिछले साल ही बकायदा दोनों ही ब्लाक मुख्यालयों में पुराने जीणशीर्ण भवनों को तोड़ कर उनके स्थान पर नऐ भवनों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इसके तहत देवाल के युवा ब्लाक प्रमुख डॉ दर्शन दानू की पहल पर देवाल ब्लाक कार्यालय के बहारी हिस्सों में लगाई जाने वाली लकड़ियों में पहाड़ी मकानों की तर्ज पर नक्कासी किए जाने की मांग करना शुरू कर दिया।
लगता है कि उनका प्रयास रंग लाने लगा है। इसके तहत गत दिवस देर सायं भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी थामे ग्रामीण निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता पौड़ी मनीष मित्तल एवं अधिशासी अभियंता गोपेश्वर अल्लादीया ने पहले थराली में हो रहे निर्माण कार्य की गुणवत्ता एवं कार्य की गति का जायजा लेते हुए आवश्यक दिशा.निर्देश दिए। उसके बाद उन्होंने देवाल में निर्मित हो रहे भवन का निरीक्षण किया। इस दौरान ब्लाक प्रमुख डॉ दर्शन दानू के साथ हुई एक मीटिंग में प्रमुख दानू ने भवन के बहारी हिस्सें में लगने वाली लकड़ियों में पहाड़ी शैली की नक्कासी कर ही लगाने की मांग दोहराई, जिस पर एससी ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि विभाग का भी प्रयास यही रहेगा कि भवन के भारी हिस्सों में पहाड़ी शैली में नक्कासी की गई लकड़ी ही लगाई जाएगी।
बताया कि इसी के अनुरूप भवन का नक्शा भी तैयार किया गया हैं। इसके लिए उन्होंने स्थानी स्तर पर सहयोग की अपेक्षा जताई जिस पर प्रमुख ने इसके लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।इस संबंध में ब्लाक प्रमुख दानू ने बताया कि धीरे.धीरे पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ी शैली में नक्कास किए गए भवनों की संख्या घटती जा रही है, जिससे एक परंपरागत शैली के समाप्त होने की आंशका बड गई है। उन्होंने बताया कि भवन निर्माण स्वीकृत होते ही उनका प्रयास इसमें पहाड़ी नक्कासी को कुरेदने का था। जिसमें वे काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं। कहा कि पहाड़ी नक्कासी जों कि लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई हैं उसे संरक्षित रखने के साथ ही उसके प्रचार.प्रसार को बल मिलेगा।बताया कि अभी देवाल भवन के निर्माण के लिए 2 करोड़ 27 लाख रुपए स्वीकृत हुए हैं। इसे बढ़ाने का प्रयास जारी है, ताकि बेहतरीन भवन का निर्माण हो सकें।