फोटो- श्री बदरीनाथ मंदिर का सिंहद्वार ।
प्रकाश कपरूवाण
बदरीनाथ/जोशीमठ। पंच पूजाओं के शुभारंभ के साथ ही भगवान श्री हरिनारायण के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। पंच पूजा के पहले दिन भगवान गणेश के कपाट बंद किए गए।
भू-वैकुंठ धाम भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए आगामी 17नवंबर को बंद किए जाऐगे। इससे पूर्व पौराणिक धार्मिम पंरपरानुसार कपाट बद होने से पूर्व भगवान की पॅच पूजाओ का विशेष महत्व है। पंच पूजाओं में भगवान गणेश की विशेष पूजा, आदिकेदारेश्वर भगवान की पूजा, वेदपुस्तको की पूजाए, माता लक्ष्मी विशेष पूजाए प्रमूुख है। पंच पूजाओं के क्रम मे पहले दिन बुधबार को भगवान गणेश की पूरे दिवस विशेष पूजाऐ व भोग लगाए गए। और सांय को निर्धारित मुहुर्त पर भगवान गणेश के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। भगवान गणेश के कपाट बंद होने के साथ ही भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया का भी शुभांरभ हो गया।
श्री बददीनाथ के मुख्य पुजारी श्रीरावल व धर्माधिकारी आचार्य भुवन च्रद उनियाल व अन्य आचार्यगणो की मौजूदगी मे भगवान गणेश की पूजाए संपादित हुई। मुख्य कार्यधिकारी बीडी सिह पूजा मे विशेष रूप से मौजूद रहे।
भगवान बदरीनारायण के कपाट बद होने से पूर्व होने वाली पंच पूजाओ के दूसरे दिवस अलकंनदा व तप्तकुंड मार्ग पर स्थिति भगवान आदिकेदारेश्वर भगवान की अन्नकूट पूजा होगी और उसके बाद सायं का आदिकेदारेश्वर के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जोएगे। पंच पूजाओ के तीसरे दिवस 15नवबंर को खंडक/पुस्तक का पूजन होगा और उसके बाद भू वैकुंठ धाम मे इस वर्ष के लिए वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जोऐगा। 16नवंबर को माता लक्ष्मी का विशेष पूजन के साथ मुख्य पुजारी श्री रावल द्वारा माॅ लक्ष्मी को शीतकाल के छ महीनो के लिए भगवान नारायण संग गृभ गृह मे विराजमान होने का न्यौता देगे।
17नवंबर को पूरे दिन भगवान नारायण का श्रृगंार पुष्पो से ही किया जाऐगा। मुख्य पुजारी श्री रावल द्वारा स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को गृभ गृह मे विराजित किया जाऐगा और गृभ गृह से उद्वव व कुबेर की मूर्तियो को बाहर निकालकर निश्चित स्थान के लिए प्रस्थान कराया जाऐगा। माणा की कुॅवारी कन्याओ द्वारा बुने गए ऊन के कंबल पर घृत का लेपन कर भगवान नारायण के श्री विगृह पर लेपट कर ठीक पाॅच बजकर 13 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाऐगे।