
मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
देहरादून। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में नगर निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों को अधिकारसंपन्न करने के लिए पारित किए गए 73वें, 74वें संविधान संशोधनों को केंद्र समेत सभी राज्य सरकारें भले ही लगातार नकार रही हों, लेकिन कोरोना महामारीकाल में सरकारों को अधिकारविहीन ग्राम प्रधानों की याद आई है। दूसरे राज्य तथा जिलों से घर आने वाले लोगों को क्वारेंटीन कर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को सौंपी गई है। यहां सबसे महत्पूर्ण सवाल यह भी है कि क्या हमारे ग्राम प्रधान इतने सक्षम हैं? जहां चिकित्सा सुविधाओं में बहुत पिछड़ गए राज्य के जिला मुख्यालयों के अस्पताल तक सिर्फ रेफर सेंटर बन गए हों, वहां ग्राम प्रधान कोरोना जैसे भयावह दैत्य से पंचायत भवन और गांव के स्कूल में बिना चिकित्सकों, बिना सुविधा के कैसे लड़ पाएंगे?
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने 9 बिंदुओं वाला एक कार्यालय आदेश जारी किया है। जिसकी प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने तालाबंदी काल में लोगों के आवागमन की अनुमति दी है। कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में गृह मंत्रालय भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप निगरानी के कार्य में ग्राम प्रधानों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। ग्राम प्रधानों की भूमिका के दृष्टिगत राज्य कार्यकारी समिति आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 22, एच में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए समस्त ग्राम प्रधानों पर शक्तियां प्रतिनिधानित करती है।
-जिला प्रशासन गांव में आने वाले बाहरी लोगों की सूचना तथा उनके स्वास्थ्य से संबंधित सूचनाएं संकलित कर संबंधित ग्राम प्रधान को उपलब्ध करायेगा।
-राज्य तथा जनपद स्तर पर पंजीकरण न करते हुए सीधे ग्राम सभा पहुंचने वाले व्यक्तियों का पंजीकरण करने का उत्तरदायित्व संबंधित ग्राम प्रधान का होगा।
-बाहर से आने वाले तथा पंजीकरण किए गए सभी व्यक्तियों के मोबाइल फोन पर कोविड-19 सुरक्षा हेतु आरोग्य सेतु एप इंस्टाल करवाने और इसे उपयोग में लाना सुनिश्चित कराने के साथ-साथ ग्राम सभा में निवासरत अन्य व्यक्तियों को भी इसके उपयोग के लिए प्रेरित करने की जिम्मेदारी प्रधान की होगी।
-उत्तराखंड के अन्य जनपदों में क्वारंटीन किए गए व्यक्तियों के अतिरिक्त ग्राम सभा में आने वाले अन्य व्यक्ति को अनिवार्यतः 14 दिन के क्वारंटीन करने का उत्तरदायित्व संबंधित ग्राम प्रधान का होगा।
-घर पर क्वारंटीन न होने की स्थिति में ग्राम प्रधान द्वारा इन व्यक्तियों को 14 दिनों की निर्धारित अवधि के लिए निकटवर्ती विद्यालय, पंचायतघर, उप सामुदायिक केंद्र में क्वारंटीन किया जाएगा, इन स्थानों में बिजली, पानी, साफ सफाई की व्यवस्था की जाएगी।
-ग्राम प्रधान द्वारा विद्यालय, पंचायतघर, सामुदायिक केंद्र में क्वरंटीन किए जाने की स्थिति में इस व्यय की प्रतिपूर्ति गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य राज्य आपदा मोचन निधि से व्यय के मानकों के संबंध में संबंधित जिलाधिकारी सुसंगत अभिलेखों के साथ आवेदन करेंगे।
-समस्त जिलाधिकारी उपरोक्त बिंदु के अनुसार व्यय की गई धनराशि की प्रतिपूर्ति के लिए यह सूचना संबंधित ग्राम प्रधानों को उपलब्ध कराएंगे।
-विद्यालय, पंचायत घर, सामुदायिक स्थानों में क्वारंटीन किए गए व्यक्तियों की नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करवाने तथा इन व्यक्तियों को कोविड-19 के लक्षण पाये जाने की स्थिति में उक्त को संबंधित जिले के सीएमओ एवं उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के संज्ञान में लाने के लिए संबंधित ग्राम प्रधान उत्तरदायी होंगे।
-ग्राम प्रधान के द्वारा कोविड-19 की रोकथाम हेतु घरों में व्यक्तियों को क्वारंटीन किये जाने के संबंध में दिये गये निर्देशों का पालन न करने या उक्त के क्रम में किये जा रहे कार्यों में व्यवधान डालने के दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के साथ-साथ ऐपिडेमिक डिजीजेस एक्ट 1897 तथा उत्तराखंड एपिडेमिक डिजीजेस कोविड-19 रेगुलेशन 2020 के अंतर्गत विधिक कार्यवाही आरंभ की जा सकेगी।












