डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
1999 की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में मौसम आमतौर पर शांत और कठोर था। हर साल की तरह इस बार भी बर्फ की मोटी चादर पहाड़ियों पर बिछी हुई थी। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग थी। पाकिस्तान की सेना ने आतंकियों के भेष में कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। उनका मकसद था—भारत की सामरिक रणनीति को कमजोर करना और लद्दाख को भारत से काट देना।इन घुसपैठियों के पास आधुनिक हथियार, भारी बैग और राशन सामग्री थी। वे उच्च चोटियों पर बंकर बना रहे थे और पूरी तैयारी के साथ युद्ध छेड़ने आए थे। पाकिस्तान ने सोचा था कि भारत इस साजिश को देर से समझेगा और जब तक जवाब देगा, तब तक वह सामरिक रूप से निर्णायक स्थानों पर कब्जा कर चुका होगा। कारिगिल युद्ध एशिया के इतिहास के लिहाज से रणनीतिक संतुलन बदलने वाली लड़ाई थी। कारगिल युद्ध के कई नतीजे निकले और एक नतीजा ये था कि इजरायल, भारत का एक अटूट दोस्त बन गया। 26 जुलाई 1999 को भारत ने पूरी तरह से कारगिल युद्ध को जीत लिया था और ‘ऑपरेशन विजय’ कामयाब हुआ था। आज कारगिल युद्ध में विजय दिवस के मौके पर पूरा देश अपने बहादुर बेटों के बलिदान को याद कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 में शुरू हुआ कारगिल युद्ध, तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद, 26 जुलाई को ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल समापन के साथ खत्म हुआ था। जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों को भारतीय सेना ने खदेड़ दिया और रणनीतिक ठिकानों पर फिर से कब्जा कर लिया।लेकिन कारगिल युद्ध के दौर में जब अमेरिका, पाकिस्तान का पक्का दोस्त हुआ करता था, उस वक्त भारत को एक अदद मददगार की जरूरत थी। ऐसी स्थिति कुछ दोस्त थे जो भारत के साथ खुलकर खड़े हुए। जिनमें सबसे आगे था इजरायल। अमेरिका, जो कारगिल युद्ध से पहले तक पाकिस्तान के पाले में खड़ा रहता था, उसने पहली बार दक्षिण एशिया को लेकर अपनी स्ट्रैटजी बदली और पाकिस्तान को फटकार लगाई थी। भारत के रौद्र रूप के सामने पाकिस्तान डर गया था और कौन भूल सकता है जब नवाज शरीफ भागते हुए वॉशिंगटन पहुंचे थे और अमेरिका के सामने भारत से बचाने की गुहार लगाई थी। कारिगिल युद्ध एशिया के इतिहास के लिहाज से रणनीतिक संतुलन बदलने वाली लड़ाई थी। कारगिल युद्ध के कई नतीजे निकले और एक नतीजा ये था कि इजरायल, भारत का एक अटूट दोस्त बन गया। 26 जुलाई 1999 को भारत ने पूरी तरह से कारगिल युद्ध को जीत लिया था और ‘ऑपरेशन विजय’ कामयाब हुआ था। आज कारगिल युद्ध में विजय दिवस के मौके पर पूरा देश अपने बहादुर बेटों के बलिदान को याद कर रहा है, उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच मई 1999 में शुरू हुआ कारगिल युद्ध, तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद, 26 जुलाई को ‘ऑपरेशन विजय’ के सफल समापन के साथ खत्म हुआ था। जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों को भारतीय सेना ने खदेड़ दिया और रणनीतिक ठिकानों पर फिर से कब्जा कर लिया।लेकिन कारगिल युद्ध के दौर में जब अमेरिका, पाकिस्तान का पक्का दोस्त हुआ करता था, उस वक्त भारत को एक अदद मददगार की जरूरत थी। ऐसी स्थिति कुछ दोस्त थे जो भारत के साथ खुलकर खड़े हुए। जिनमें सबसे आगे था इजरायल। अमेरिका, जो कारगिल युद्ध से पहले तक पाकिस्तान के पाले में खड़ा रहता था, उसने पहली बार दक्षिण एशिया को लेकर अपनी स्ट्रैटजी बदली और पाकिस्तान को फटकार लगाई थी। भारत के रौद्र रूप के सामने पाकिस्तान डर गया था और कौन भूल सकता है जब नवाज शरीफ भागते हुए वॉशिंगटन पहुंचे थे और अमेरिका के सामने भारत से बचाने की गुहार लगाई थी। कारलिग युद्ध के दौरान भारत को एक दोस्त और सहयोगी की सख्त जरूरत थी। उस वक्त भारत ने इजरायल से मदद मांगी थी, जो इस तरह की लड़ाई में माहिर था। इजरायल अच्छे से जानता था कि आतंकवादियों को कैसे खदेड़ा जाता है, उन्हें कैसे खत्म किया जाता है। भारत को उस वक्त ऐसे हथियारों की जरूरत थी जो पाकिस्तानी आतंकवादियों और उनके सैन्य ठिकानों पर सटीक हमला करे। सैन्य एक्सपर्ट निकोलस ब्लैरेल ने अपनी किताब “द इवोल्यूशन ऑफ इंडियाज इजरायल पॉलिसी में लिखा है कि भारत को अपने लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोनों के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइलें इजरायल से मिलीं थीं। साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के कारगिल युद्ध हुआ था. यह दोनों देशों के बीच की चौथी जंग थी. इस जंग में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी. आज भी इस जंग की यादें लोगों की आंखें नम कर देती हैं कारगिल की लड़ाई, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। इस लड़ाई की जीत के उपलक्ष्य में भारत 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाता है। बता दें कि पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने LoC करके भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हालांकि इंडियन आर्मी के बहादुर जवानों ने न सिर्फ पाकिस्तान को इस लड़ाई में धूल चटाई, बल्कि शौर्य की एक ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बना गई कारगिल की लड़ाई में भारत ने जहां बहुत कुछ खोया, वहीं पाकिस्तान पूरी तरह बर्बाद होकर रह गया। इस जंग में जहां भारत के 527 सैनिक शहीद हुए थे, वहीं पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मुताबिक उनके 2700 से 4000 सैनिक मारे गए थे। जंग के बाद पाकिस्तान में राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और नवाज शरीफ की सरकार को हटाकर परवेज मुशर्रफ सत्ता पर काबिज हो गए। वहीं, भारत में जंग ने देशप्रेम को उफान पर ला दिया और अर्थव्यवस्था को भी काफी मजबूती मिली। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फिल्में भी बनीं जिनमें LoC कारगिल, लक्ष्य और धूप का जिक्र खासतौर पर किया जा सकता है। ।. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*