देहरादून। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र जुगरान ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी का नियम विरूद्ध किए गए निलंबन को समाप्त कर, उन्हें बहाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बडोनी दस माह से निलंबित हैं, लेकिन उन्हें अभी तक आरोप पत्र तक नहीं दिया गया है।
पत्र में उन्होंने सवाल उठाए हैं कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव 1 सितंबर 2022 को निलंबित किया गया था, जबकि उन्हें इससे पूर्व 16 अगस्त 2022 को आयोग के सचिव पद से हटा दिया गया था। इस स्थिति में वह जांच को प्रभावित नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्हें निलंबित करने की आवश्यकता ही नहीं थी। उन्होंने कहा है कि निलंबन को दस माह हो चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई आरोप पत्र नहीं दिया गया है। 23 फरवरी 2003 को निलंबन को लेकर जारी किए गए शासनादेश में निलंबन के मामलों के शीघ्र निस्तारण की व्यवस्था दी गई है। शासनादेश में कहा गया है कि किसी अधिकारी/कर्मचारी को निलंबन तभी किया जाना चाहिए, जब साक्षों से यह पुष्टि हो रही हो कि संबंधित अधिकारी पर वृहद दंड बनता है। अधिकारी को स्थानांतरित कर पहले जांच हो फिर निलंबन हो। उसे तीन सप्ताह के भीतर अधिकतम तीन माह के भीतर आरोप पत्र दिया जाए। जिन अधिकारियों को निलंबन के छह माह तक आरोप पत्र न दिया गया हो उन्हें तत्काल बहाल किया जाए। उन्होंने कहा है कि बडोनी के मामले में उक्त सभी प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है, जो संबंधित अधिकारी को प्रताड़ित करने जैसी कार्यवाही लगती है।
जुगरान ने सचिवालय सेव के अधिकारी संतोष बडोनी के उद्योग विभाग से लेकर पर्यटन संस्कृति तथा आपदा विभाग में रहते हुए किए गए उल्लेखनीय योगदान का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ आपदा के बाद राहत बचाव कार्यों में बढ़चढ़कर सहयोग करने, रेस्क्यू कार्यों में योगदान के लिए राज्यपाल की ओर से सम्मानित किए जाने और एयर फोर्स द्वारा उनके कार्यों की प्रसंसा किए जाने का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे अधिकारी को बिना कारण प्रताड़ित किया जाना उनके मनोबल को तोड़ने जैसा है। पांच साल से अधिक समय तक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में रहते हुए ओएमआर शीट की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने वाले अधिकारी के खिलाफ इस तरह के उत्पीड़न की कार्यवाही का उन्होंने आरोप लगाया है।