• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

आज भी हिमालय के अभिभावक है रघुनंदन सिंह टोलिया

07/12/24
in उत्तराखंड, देहरादून, पिथौरागढ़
Reading Time: 1min read
0
SHARES
34
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
जोहार भूमि के ग्राम टोला निवासी डॉक्टर रघुनंदन सिंह टोलिया हिमालय राज्यों के विकास के लिए समर्पित एक नाम है। उत्तराखंड मूल के प्रथम मुख्य सचिव तथा मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर रहे उत्तराखंड ही नहीं भारत के प्रमुख नौकरशाहों में एक डॉक्टर टोलिया की पुण्यतिथि 6 दिसंबर 2023 को है। 8 पुण्यतिथि पर पहली बार मुनस्यारी में उनकी मातृभूमि उन्हें याद कर रही है। विकासखंड मुनस्यारी के ग्राम टोला के निवासी डॉक्टर रघुनंदन सिंह टोलिया का जन्म 15 नवंबर 1947 को दीवान सिंह टोलिया के परिवार में हुआ। डॉक्टर टोलिया ने एमएससी गणित, एमए इतिहास करने के बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। रूरल विकास का इतना जूनून उनको था कि उन्होंने डिप्लोमा इन रूरल सोशियल डेवलपमेंट ( रीडिंग यूके ) की उपाधि को भी प्राप्त किया।भारत के भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक ऐसे नाम है, जिन्हें आज भी देश याद करता है।डॉक्टर टोलिया बिना आरक्षण के भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर 1971 के बैच के आईएएस अधिकारी बने।
डॉक्टर टोलिया ने उत्तर प्रदेश में रहते हुए पर्वतीय विकास विभाग का पृथक रूप से गठन करने में मुख्य भूमिका निभाई। इस विभाग के सचिव रहते हुए डॉक्टर टोलिया ने हमेशा उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के विकास के लिए कार्य किया।उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राज्य मूल्य के प्रथम मुख्य सचिव बनने के बाद डॉक्टर तोलिया हिमालय क्षेत्र के विकास के लिए एक लंबी लकीर खींचने चाहते थे, प्रदेश के राजनेताओं के सहमत नहीं होने के कारण आज भी उनका सपना सपना ही बना हुआ है।
16 घंटा काम करने वाले डॉक्टर टोलिया को हिमालयवासियों का अभिभावक भी कहा जाता है। मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने कभी भी अपने वाहन पर लाल बत्ती नहीं लगाई। पुलिस स्काउट व्यवस्था भी स्वीकार नहीं किया।एक साधारण साधक के रूप में मुख्य सचिव के पद पर कार्य करते रहे। उनके आगे पीछे कभी काफिला भी नहीं रहता था। राज्य की नौकरशाही के उच्च पद पर रहते हुए सादगी के साथ उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।डॉक्टर टोलिया चाहते थे, कि हिमालय क्षेत्र के लिए विकास की अलग नीति बननी चाहिए।विकास की तकनीकी पर भी वे हिमालय के अनुरूप नीति चाहते थे। महिला स्वयं सहायता समूह के निर्माण में उनके योगदान को कोई भूला नहीं सकता है। उत्तर प्रदेश में रहते हुए महिला डेरी उन्हीं के दिमाग की उपज थी। आज उत्तराखंड में आंचल के नाम से जो दुग्ध उत्पाद हमें दिखाई देते है।उसकी रचना भी उन्होंने ही की थी। रामबांस प्रोजेक्ट उनकी ही देन है। उत्तराखंड में इस बात को विशेषज्ञ कहते थे कि चीड के जंगल में कोई दूसरा पौधा पैदा नहीं हो सकता है। डॉक्टर टोलिया ने उत्तराखंड बनने के बाद चाय विकास बोर्ड का गठन किया। आज उत्तराखंड में चीड के जंगलों के नीचे चाय के लह लहराते बागान डॉक्टर टोलिया के उत्तराखंड के पर्वतीय प्रेम को दर्शाता है।उत्तराखंड में वन विभाग को कार्यदायी संस्था का स्वरूप भी डॉक्टर टोलिया के द्वारा दिया गया। वन पंचायत के लिए नया वन पंचायत एक्ट लाकर डॉक्टर टोलिया ने इन पंचायत को नया जीवन दिया। उत्तराखंड राज्य निर्माण के समय ग्राम्य विकास आयुक्त तथा सचिव के रूप में कार्य करते हुए डॉक्टर टोलिया ने उत्तराखंड के पर्यटन, ऊर्जा, जड़ी बूटी, पशुपालन, कृषि और उद्यान, हस्तशिल्प को राज्य की इकोनमी का आधार बनाने के लिए योजना बनाई। एक नौकरशाह होते हुए राजनेताओं के साथ तालमेल करते हुए अपनी योजनाओं को धरातल में उतारना बेहद कठिन था।फिर भी डॉक्टर टोलिया ने इन शब्दों को आमजन का शब्द तो बना ही दिया। उन्हें घूमने, पढ़ने और लिखने का शौक रहा है।एक व्यस्त नौकरशाह होने के बाद भी उनका अध्ययन इस स्तर का था, कि उन्हें आज भी एक चलता फिरता स्कूल कहा जाता है।उत्तराखंड के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त बनने के बाद उन्होंने सूचना के अधिकार को आमजन में लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य किया। सेवानिवृत्ति के बाद इतने बड़े पदों में रहने के बाद भी डॉक्टर टोलिया ने मुनस्यारी स्थित ग्राम पंचायत सरमोली में अपना निवास बनाया।मुनस्यारी में रहते हुए स्वध्याय और चिंतन के साथ राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित उनका लेखन जारी रहा। सेवानिवृत्ति के बाद हिमालय राज्यों को एकजुट करते हुए डॉक्टर टोलिया हिमालय नीति बनाने में जुटे हुए थे, कि उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा।
6 दिसंबर 2016 को 69 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा बोल दिया।
डॉक्टर टोलिया जब भी मुनस्यारी आते थे, अपनी बैठक में जिलाधिकारी को पूछते थे कि वह मिलम गांव गए कि नहीं?एक बार जब उनसे ही यह सवाल पूछा गया कि आप हर जिलाधिकारी से यह सवाल क्यों पूछते है, तो डॉक्टर टोलिया का जवाब था, कि जब नौकरशाह कठिन जिंदगी में रहने वाले लोगों के बीच जाएंगे, तभी वह समझ पाएंगे कि हिमालय क्षेत्र के लोग किन कठिनाइयों में रहते है।
डॉक्टर टोलिया का हमेशा यह मानना रहा कि प्रत्येक आईएएस तथा पीसीएस अधिकारियों को विकास की बारीकी समझने के लिए सबसे पहले खंड विकास अधिकारी के पद पर कम से कम 3 वर्ष कार्य करनाचाहिए।डॉक्टर टोलिया के निधन के बाद दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर 908 पेज का एक महाग्रंथ तैयार किया है। इस महाग्रंथ में डॉक्टर टोलिया द्वारा लिखे गए महत्वपूर्ण पुस्तक, रिपोर्ट्स, मोनोग्राफ्स, आलेख, नोट्स और सार्वजनिक व्याख्यान को स्थान दिया गया है।“THE ESSENTIAL R.S.TOLIA” के नाम से संपादित इस महाग्रंथ में हिमालय क्षेत्र के विकास के स्वरूप को आज भी हम पढ़ व समझ सकते सकते है। एटीआई नैनीताल का नाम डाक्टर टोलिया के नाम पर रखा गया है।एटीआई नैनीताल में एक कक्ष में उनका प्रकाशित साहित्य रखा गया है। बताते है कि एटीआई नैनीताल को प्रशिक्षण संस्थान का स्वरूप तथा यहां पुस्तकालय का विकास इसके
महानिदेशक के रूप में उनके द्वारा ही किया गया।उनके जीवन और उनके कार्यों पर वर्ष 2000 में उत्तराखंड सरकार के तत्कालीन ग्राम्य विकास मंत्री रहे डॉक्टर मोहन सिंह रावत गांववासी कहते है कि मंसूरी अकादमी में आईएएस अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टर टोलिया पढ़ाया जाना चाहिए।वे कहते है कि अकादमी में डॉक्टर टोलिया के दर्शन पर तीन दिवसीय व्याख्यान माला भी आयोजित की जानी चाहिए तभी उत्तराखंड की सेवा में आने वाले नौकरशाहों की दृष्टि उत्तराखंड के प्रति स्पष्ट होगी।

डाॅ. रघुनंदन सिंह टोलिया
जन्मतिथि- 15 नवम्बर, 1947
जन्मस्थान- देहरादून
शिक्षा- एम.एस.सी (गणित), एम.ए. (इतिहास) पीएच.डी.
डिप्लोमा इन रूरल सोशियल डेवलपमैंट (रीडिंग यू.के.)
सेवा- भारतीय प्रशासनिक सेवा वर्ष- 1971
प्रशासनिक सेवायें
1. उपजिलाधिकारी डुण्डा, लैंसडोन
एवं अन्य पदों पर 1971-1978
2. संयुक्त सचिव, भारत सरकार, नई दिल्ली 1978-1982
3. निबंधक, सहकारी समितियां, लखनऊ 1982-1983
4. जिलाधिकारी, बनारस 1883-1986
5. आयुक्त, ग्रामीण विकास
एवं पंचायतीराज, लखनऊ 1986-1987
6. गन्ना आयुक्त, लखनऊ 1988-1989
7. सचिव एवं आयुक्त, दुग्ध विकास, लखनऊ 1990-1992
8. आयुक्त, गोरखपुर मंडल 1992-1992
9. सचिव, पर्वतीय विकास विभाग, लखनऊ 1992-1994
10. निदेशक, राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, लखनऊ 1994-1995
11. आयुक्त, कुमाऊं 1995-1996
12. निदेशक, उ.प्र. प्रशासनिक अकादमी, नैनीताल 1996-2000
13. प्रमुख सचिव एवं एफआरडीसी, देहरादून 2000-2003
14. मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन, देहरादून 2003-2005
15. महानिदेशक, प्रशासनिक अकादमी, नैनीताल 2005-2005
16. मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयोग, देहरादून 2005-2010
थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल’ के वे प्रतिमूर्ति थे। वह दून विश्वविद्यालय में पब्लिक पॉलिसी सेंटर के अध्यक्ष और कुमाऊं विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य थे।पहाड़ की सभी संस्थाओें में उनकी मार्गदर्शी भागेदारी रहती थी। उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास सचिव रहते हुए वे पहाड़ के विकास के लिए उत्तराखण्ड राज्य के आज के संपूर्ण शासन-प्रशासन से कहीं ज्यादा प्रतिबद्ध, सशक्त, प्रभावी और सक्रिय थे। उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि वे सामने वाले व्यक्ति में सकारात्मक सोच के साथ नयी ऊर्जा का संचार कर देते थे। हिमालयी क्षेत्र के मुद्दों को लेकर जीवन पर्यंत सक्रिय रहे। योजना आयोग में भी पर्वतीय विकास एजेंडे से जुड़ी समितियों के सदस्य रहे पर्वतीय विकास सचिव रहते हुए वह अलग उत्तराखंड राज्य के लिए गठित कौशिक समिति के संयोजक भी थे इस समिति के माध्यम से उत्तराखण्ड राज्य के स्वरूप पर स्थानीय निवासियों और विभिन्न प्रकार के जन प्रतिनिधियों ने अपनी राय दी। बलदेव सिंह आर्य की अध्यक्षता में बनायी गयी जंगलात सम्बन्धी समिति 1959 के बाद यह दूसरी और अन्तिम समिति थी जिसमें इतना गहन विचार.विमर्श हुआ था। जो लोग अपना लिखित प्रतिवेदन नहीं दे सके, उनसे सीधे बात करने के लिए वे अनेक जगहों पर गये। बच गये लोगों, जनप्रतिनिधियों और विशेषज्ञों को नैनीताल और लखनऊ की अन्तिम बैठकों में बुलाकर कार्य पूरा किया गया।अन्य मामले छोड़ भी दें तो भावी उत्तराखण्ड की राजधानी के बारे में इस समिति ने निर्विवाद रूप से जनता की और जन प्रतिनिधियों की उस सर्वसम्मत राय को सामने रख दिया, जिसमें सभी गैरसैण को नये राज्य की नयी राजधानी के रूप में देखना चाहते थे। आशा की जानी चाहिए कि उत्तराखण्ड में उनके जैसा प्रशासक, नीति.निर्धारक और शिक्षाविद नयी पीढ़ी से सामने आयेगा।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

ShareSendTweet
Previous Post

हजार फिट से अधिक ऊचांई पर ड्यूटीरत होमगार्ड्स स्वयंसेवकों को पुलिस कार्मिकों एवं एस०डी०आर०एफ० की भांति प्रति जवान को 200 रू. प्रतिदिन अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जायेगी

Next Post

फील्ड के अधिकारी बढाएं जनमानस से संवाद, तभी क्षेत्र की समस्याओं से होंगे वाकिफः डीएम

Related Posts

उत्तराखंड

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025
32
उत्तराखंड

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
7
उत्तराखंड

स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे हिन्द के दादा नैरोजी – अनिल नौरिया

June 30, 2025
6
उत्तराखंड

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को मिलकर साकार करें: धामी

June 30, 2025
5
उत्तराखंड

हिमालय पर्वत  श्रृंखला में क्यों ज्यादा होते हैं भूस्खलन?

June 30, 2025
14
उत्तराखंड

हेमकुण्ड साहिब तीर्थ यात्रा पर पहुँच रहे कुछ सिरफिरे सिख तीर्थ यात्री आए दिन कहीं न कहीं बबाल काट रहे

June 30, 2025
14

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.