
एनजीटी ने कमेटी निर्देश पर तीन सदस्यी कमेटी का गठन
देहरादून। जिले के अंतर्गत राजवाला विकासनगर में स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से एक लाख से अधिक पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर खाली की गई जमीन में प्लाटिंग करने के मामले को एनजीटी ने गंभीरता से लिया है। राज्य के वन विभाग के मुखिया, जिलाधिकारी देहरादून तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को निर्देशित कर एक संयुक्त कमेटी का गठन कर 15 दिन के अंदर इस संबंध में निर्णय लेकर एनजीटी को अवगत कराने का कहा गया है।
राज्य के वन विभाग के मुखिया को इस संयुक्त कमेटी को नोडल अफसर बनाया गया है। एनजीटी ने 16 अगस्त को यह नोटिस जारी किया है। इसके 15 दिन के अंदर संयुक्त कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। एनजीटी ने शिकायतकर्ता के हवाले से कहा है कि राजवाला के बाडवाला क्षेत्र में एक लाख पेड़ों का कटान पिछले कुछ सालों से हा रहा है। स्थानीय प्रशासन इसे रोकने के बजाय आरोपियों के साथ सहयोग करता हुआ दिखाई देता है। एनजीटी ने कहा कि संदीप कौशिक उर्फ चिंपू पेड़ों का कटान कर रहा है। उसे जेसीबी का उपयोग करने की बकायदा इजाजत दी गई। रेवन्यू अफसर रामभोज शर्मा और एसडीएम विकासनगर ऐसा करने की अनुमति दे रहे हैं। अवैध पातन के खिलाफ प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस कोविड महामारी के दौर में जब आक्सीजन की कमी से देश दुनिया जूझ रही है, इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटकर हालात को और खराब किया जा रहा है।
इन हालातों के मद्देनजर एक कमेटी का गठन किया जाता है, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, राज्य के वन विभाग के मुखिया और जिलाधिकारी देहरादून जिसके सदस्य होंगे। 16 अगस्त 2021 से पंद्रह दिन के भीतर संयुक्त बैठक कर इस पूरे प्रकरण के खिलाफ वाजिक एक्शन लिया जाए। आदेश आदर्श कुमार गोयल सीपी, सुधीर अग्रवाल जेएम, ब्रजेश सेठी जेएम, डा.नागिन नंदा ईएम के हस्ताक्षरों से जारी किया गया है।
गौरतलब है कि राजवाला, बाडवाला के अंतर्गत एक लाख से अधिक पेड़ों का कटान पिछले कई सालों से हो रहा है। इस कटान को रोकने की जगह पर स्थानीय प्रशासन जंगल काटने वालों को पूर्ण संरक्षण देता रहा है। इस मामले में दबाव बनने पर पहले तीन मजदूरों को गिरफ्तार किया गया। नवक्रांति स्वराज मोर्चा के हस्तक्षेप के बाद मुख्य आरोपी संदीप कौशिक एवं एक अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो पाई, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई। मामला मुख्यमंत्री के पास भी पहुंचने के बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई, समझा जा सकता है कि आरोपी को कितना बड़ा संरक्षण मिला हुआ है। अब एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में न्याय होने की संभावना जग गई है।












