अयोध्या, मर्यादापुरूषोत्तम भगवान राम की जन्मभूमि का विवाद देश के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के साथ सुलझ गया है। राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ जमीन को एक लंबे समय से विवादित भूमि कहकर पुकारा जा रहा था, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अब इस जमीन का मामला सुलझ गया है। यह जमीन राम लला विराजमान को सुपुर्द की गई है। सरकार को तीन महीने में एक टस्ट बनाने को कहा गया है, जो राम मंदिर की योजना तैयार कर मंदिर का निर्माण करेगा।
40 दिन की रिकार्ड सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में निर्णय आया है। निर्णय के अनुसार सिया वक्फ वोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावों को खारिज किया गया है। मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी राम लला विराजमान को सौंपी गई है, जो टस्ट के सहयोग से मंदिर का निर्माण करेगा। मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ वोर्ड को सरकार पांच एकड़ जमीन मुहैया कराएगी।
इस निर्णय का सबसे बड़ा प्रभाव यह हुआ है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम चंद्रजी के जन्म स्थान के रूप में जिस भूमि को चिन्हित किया गया है, विभिन्न तथ्यों के कोर्ट के सामने आने के बाद जिस तथ्य को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया है, वह पवित्र भूमि अब गैर विवादित हो गई है। करोड़ों की हिंदुओं की आस्था का केंद्र भगवान राम अब टेंट में नहीं रहेंगे, बल्कि भव्य मंदिर में रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद पक्ष तथा विपक्ष सभी ने इसका स्वागत किया है, सिर्फ कुछ ऐसे लोग जिन्हें विवाद खड़ा करके अपनी राजनीति को चमकाना है, उन्होंने इसका विरोध किया है, इसी आधार पर उनकी आगे की राजनीति भी चलती रहेगी।












