• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

यूपी-झारखंड में लहलहाए लेकिन उत्तराखंड में मुरझाए क्षेत्रीय दल

04/01/22
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
181
SHARES
226
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डा.हरीश चंद्र अंडोला
उत्तराखंड की राजनीति भले ही मुख्य तौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सिमटी रही हो, बावजूद इसके चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाने के इच्छुक दलों की संख्या राज्य में तीन दर्जन के पार पहुंच चुकी है। 70 विधानसभा सीटों पर 45 राजनैतिक दल अपने किस्मत अजमाना चाहते हैं। इसके बावजूद भी कई दल आयोग के दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रहे हैं।

भारत निर्वाचन आयोग की तरफ से मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार प्रदेश में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के अलावा अमान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों की संख्या 36 के पार पहुंच चुकी है। इसमें आधे से अधिक 19 दल देहरादून जिले में पंजीकृत हैं, जबकि आठ हरिद्वार और चार नैनीताल में पंजीकृत हैं। इसके अलावा भी आयोग को हाल के समय स्पॉक्स पार्टी, अपनी पार्टी सहित छह दलों की तरफ से उत्तराखंड में चुनाव लड़ने के आवेदन प्राप्त हुए हैं।

अभी अन्य राज्यों में मान्यता प्राप्त कुछ और दलों के उत्तराखंड के चुनावी दंगल में कूदने की संभावना जताई जा रही है। उत्तराखंड की राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए तकरीबन सभी दल हामी भरते हैं। लेकिन मात्र एक दल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने गैरसैंण के पते पर खुद का पंजीकरण कराया है। इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग की सूची में शामिल 36 में से आठ दलों का नामकरण उत्तराखंड के नाम पर है, हालांकि उत्तराखंड में एक भी दल राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके अलावा 12 दलों के नाम में भारत या भारतीय शामिल है। उत्तराखंड नामधारी छह दलों का पंजीकरण देहरादून के पते पर हुआ है।

दल भारत कौमी दल, भारत परिवार पार्टी, भारतीय बेरोजगार मजदूर किसान दल, भारतीय जनक्रांति पार्टी, भारतीय मूल निवासी समाज पार्टी, भारतीय सम्राट सुभाष सेना, भारतीय शक्ति सेना, भारतीय अंत्योदय पार्टी, भारतीय ग्राम नगर विकास पार्टी, भारतीय सर्वोदय पार्टी, भारतीय सेवक पार्टी, भारतीय युवा एकता शक्ति पार्टी, गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रंट, हमारी जनमंच पार्टी, मैदानी क्रांति दल, न्याय धर्मसत्ता पार्टी, पहाड़ी पार्टी, पीपुल्स पार्टी, प्रगतिशील लोकमंच, प्रजामंडल पार्टी, प्रजातंत्र पार्टी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय आदर्श पार्टी, राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी, राजष्ट्रीय जन सहाय दल, राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी, सैनिक समाज पार्टी, सर्व विकास पार्टी, सुराज सेवा दल, उत्तराखंड जनशक्ति पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड क्रांतिदल (डेमोक्रेटिक), उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी, उत्तराखंड रक्षा मोर्चा, उत्तराखंड जनवादी पार्टी, उत्तराखंड जनएकता पार्टी। उत्तराखंड का एक मात्र क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल भी राज्य में अपनी राजनीतिक जमीन खोता जा रहा है.

42 सालों से राजनीति के अखाड़े में जमा उत्तराखंड क्रांति दल इन दिनों अपने ही राज्य में सियासी जमीन तलाशने को मजबूर है. राज्य गठन से लेकर अब तक यूकेडी राज्य में अपना जनाधार खोता चला गया, यही वजह रही कि 2017 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी का एक भी विधायक चुनकर विधानसभा तक नहीं पहुंचा पाया. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभाने वाला एकमात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी राज्य में लगभग अपनी सियासी जमीन खो चुका है. राज्य गठन से लेकर अब तक यूकेडी का उत्तराखंड में लगातार जनाधार गिरता चला गया. प्रदेश की जनता का भरोसा यूकेडी से उठता जा रहा है.

2002 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी के चार विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे और उस वक्त यूकेडी को 5.49 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन, 2007 के चुनाव में ये खिसकर 3 विधायकों पर आ गया और वोट प्रतिशत घटकर 3.7 फीसदी के लगभग पहुंच गया. 2012 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी का जनाधार गिरकर 1.93 फीसदी पर आ गया और एक ही विधायक यूकेडी का जीत पाया.

साल दर साल गिरे यूकेडी के ग्राफ से लोगों का भरोसा 2017 में पूरी तरह से खत्म हो गया, इन चुनावों में यूकेडी का एक भी विधायक नहीं जीत पाया और वोट प्रतिशत घटकर 0.7 फीसदी पर पहुंच गया. हालांकि, यूकेडी के नेता इसके पीछे भाजपा और कांग्रेस की रणनीति को मानते हैं कि दोनों दलों ने मिलकर यूकेडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया. प्रदेश में क्षेत्रीय दल को धनबल के बदौलत पनपने नहीं दिया गया, इसके साथ ही नेताओं की महत्वाकांक्षा भी इस पर हावी रही. उत्तराखंड में यूकेडी के जनाधार के ना बढ़ने की वजह यूकेडी के खुद के नेताओं की महत्वकांक्षा रही. 2007 में यूकेडी ने भाजपा को समर्थन दिया और यूकेडी कोटे से दिवाकर भट्ट कैबिनेट मंत्री बने.

2012 के चुनावों में भी यूकेडी के एकमात्र विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कांग्रेस को समर्थन दिया और यूकेडी के कोटे से सरकार में मंत्री रहे. खास बात ये रही कि जो भी विधायक सरकारों में मंत्री बने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. दिवाकर भट्ट को 2012 में पार्टी से निकाला गया और उसके बाद प्रीतम सिंह पंवार को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. यही वजह रही कि नेताओं की महत्वकांक्षा और आपसी गुटबाजी की वजह से यूकेडी का जनाधार गिरता पर चला गया, और इस बात को खुद भाजपा और कांग्रेस के नेता भी मानते हैं. उत्तराखंड के निर्माण से लेकर राज्य के हर मुद्दों को उठाने में उत्तराखंड क्रांति दल की अहम भूमिका रही है, लेकिन वक्त के साथ-साथ नेताओं की महत्वकांक्षा बढ़ना और बेहतर लीडरशिप का ना होना यूकेडी के जनाधार खोने की बड़ी वजह है.

20 सालों में जिस पार्टी को सरकार बनाने तक पहुंच जाना था, वे आज अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने को मजबूर है उत्तराखंड में क्षेत्रीय सरोकारों की राजनीति करने वाली पार्टियां सत्ता का ताला नहीं खोल पाई। पहाड़ के जनमानस को राज्य आंदोलन का नेतृत्व करने वाली उत्तराखंड क्रांति दल से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन राज्य में अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों का इतिहास बताता है कि जहां उत्तरप्रदेश में क्षेत्रीय राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रहे, वहीं जन भावनाओं और संभावनाओं के बावजूद क्षेत्रीय दल मुरझाते चले गए। वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल सरकार ने तीन नए राज्य उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड बनाए। झारखंड की सियासत में क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा(झामुमो) एक मजबूत राजनीतिक ताकत के तौर पर स्थापित है। वर्तमान में वहां सत्ता की कमान झामुमो के हेमंत सोरेन के हाथों में है।

लेकिन यह सौभाग्य उत्तराखंड में सक्रिय क्षेत्रीय दलों का नहीं रहा। जनाकांक्षाओं, अस्मिता और संवेनदाओं की प्रतीक होने के बावजूद यूकेडी जनमत हासिल करने में नाकाम रही। उत्तराखंड क्रांति दल(यूकेडी) की स्थापना की। तब यही सपना था कि भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों से एकदम भिन्न उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के जनसरोकारों के लिए यूकेडी अलग राज्य की लड़ाई का नेतृत्व करेगी। अपना राज्य होगा और अपनी सरकार बनेगी। उत्तरप्रदेश के समय से ही ऐरी उत्तराखंड क्रांति दल की संभावनाओं की उम्मीद जगाते रहे। वह डीडीहाट विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक तीन बार विधायक रहे। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद 2002 ऐरी फिर विधानसभा पहुंचे। उक्रांद इस चुनाव में क्षेत्रीय राजनीतिक दल, सामाजिक संगठनों के साथ सीट साझा करेगी।

इसके लिए वह जल्द क्षेत्रीय राजनीतिक दलों और अन्य सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर रणनीति बनाएंगे।उन्होंने उत्तराखंड की स्थायी राजधानी को लेकर भाजपा और कांग्रेस पर प्रहार किए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जब अलग राज्य की घोषणा की थी, तब केंद्र ने कहा था कि राजधानी को लेकर चुनी हुई विधानसभा फैसला करेगी। आज राज्य बनने के बाद चार विधानसभाएं चुनकर आ गई हैं लेकिन स्थायी राजधानी को लेकर किसी भी सरकार ने सदन में कोई भी प्रस्ताव पास नहीं किया।उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के निर्माण में उक्रांद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य बनने के बाद पार्टी का जनाधार घटा है, उसके लिए वह ही दोषी हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनीति मुद्दे न होकर धनबल, बाहुबल, शिकारबल हो गए हैं। जिससे राज्य को काफी नुकसान है। उन्होंने कहा कि उक्रांद का जन्म ही जन्म मुद्दों के लिए लड़ने के लिए हुआ है। आगे भी वह जन मुद्दों के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने किसान आंदोलन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि किसानों ने आंदोलन के जरिये मोदी जैसे अड़ियल व्यक्ति को झुका दिया। राज्य आन्दोलन के दौरान लोगों का समर्थन जरुर मिला है, लेकिन चुनाव में पार्टी को जनादेश नहीं मिलता है. यूकेडी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि सत्ता हासिल करना पार्टी का लक्ष्य नहीं था, पार्टी का लक्ष्य था कि हर कीमत पर राज्य का गठन किया जा सकें. एक वजह यह भी रही पार्टी को आंदोलन में तो जनसमर्थन मिला बाद में नहीं.वरिष्ठ पत्रकार शंकर सिंह भाटिया का कहना है कि राज्य गठन के बाद कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता का जमकर संघर्ष हुआ और दोनों ही दल आर्थिक रुप से मजबूत दल है. यूकेडी 2002 और 2007 के चुनाव में जनता के विश्वास पर खरा उतरने में कामयाब नहीं हो सकी. धीरे धीरे पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया और पार्टी नेतृत्व के अभाव में यूकेडी अपनी सशक्त भूमिका नहीं बना सकी.

उत्तराखंड राज्य का गठन लम्बे संघर्षो और शहादत की बुनियाद पर हुआ है. जिसमें उत्तराखंड क्रांति दल की भूमिका भी अहम रही है. मगर राज्य गठन के 21 सालों के बाद भी यूकेडी प्रदेश में एक सशक्त क्षेत्रीय दल के तौर पर नहीं उभर सकी है. उत्तराखंड क्रांति दल राज्य का पहला ऐसा दल है जिसने सबसे पहले अपना घोषणा पत्र जारी किया है। ऐरी ने कहा कि राजधानी का सवाल उत्तराखंड क्रांति दल के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है और वह गैरसैंण को पहाड़ की आत्मा मानता है।ऐसे में हमारा शुरू से ही मानना है कि गैरसैंण राजधानी एक जगह का नाम नहीं है, क्योंकि यह पहाड़ में विकास के विकेंद्रीकरण का दर्शन भी है। गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने राज्य के पर्वतीय क्षेत्र की जनता के सपने को दोनों ने मिलकर चकनाचूर किया है और दोनों दलों ने राज्य की जनता ने छल किया है।

उत्तराखंड क्रांति दल गैरसैण के मुद्दे के साथ साथ चुनाव मैदान में शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे को भी लेकर जनता के बीच जाएगा। उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना के पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यहां की जनता को लगता था कि उत्तर प्रदेश में रहकर इस पर्वतीय क्षेत्र के आठ जिलों का विकास इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि लखनऊ और दिल्ली में बैठे नेता और नौकरशाह पहाड़ के भूगोल को नहीं जानते। और वह यहां की नदियों जंगल और संस्कृति भाषा को नहीं जानते ।चौंकाने वाली बात ये है कि आजादी के 75 साल में पहाड़ में जितना प्लान नहीं हुआ उससे कई गुना राज्य बनने के किस वर्ष में हुआ। एक बार फिर जन मुद्दों को लेकर जनता के बीच आया है।

राज्य गठन के बाद कई बार विघटन का सामना कर चुके दल ने इस बार प्रतिबद्धता जताई है कि राज्य की परिकल्पना और उसे मूर्तरूप देने के लिए दल ने जो लंबा संघर्ष किया है, उससे वह विमुख नहीं हुआ है। उक्रांद ने अपना घोषणापत्र भी जारी किया है, जिसमें नए जिलों का गठन, नए विकासखंडों की स्थापना, स्थायी राजधानी गैरसैंण, महिला सुरक्षा व भ्रष्टाचार रहित उत्तराखंड के वादे किए गए हैं। पहाड़ का पानी, पहाड़ की जवानी पहाड़ में रोकने का नारा देते हुए उत्तराखंड राज्य की मांग को सरल एवं संक्षिप्त शब्दो में परिभाषित किया उनका यही नारा उत्तराखंड क्रांति दल का मूलमंत्र बना दल ने बिपरीत परिस्थितियों में भी राज्य के निर्माण के संकल्प को पूरा किया राज्य बनने के 20बर्ष बाद भी उनके इस नारे को साकार करने के लिए उक्रांद आज भी संघर्षरत हैं।

Share72SendTweet45
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

तलवाड़ी कालेज में 15-18 आयु वर्ग के छात्र-छात्राओं का टीकाकरण

Next Post

ट्रेचिंग ग्राउंड के खिलाफ नगर पालिका में ग्रामीणों का प्रदर्शन, उक्रांद ने दिया समर्थन

Related Posts

उत्तराखंड

बहरीन में चल रहे यूथ एशियन गेम्स में कबड्डी में उत्तराखण्ड के खिलाड़ियों ने किया देश और प्रदेश का नाम रोशन

October 26, 2025
20
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को भगवान बद्रीविशाल के दर्शन पूजन कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की

October 26, 2025
11
उत्तराखंड

“देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव 2025” में स्थानीय समुदायों, पर्यटकों और गणमान्य अतिथियों की उत्साहपूर्ण सहभागिता देखने को मिली

October 26, 2025
4
उत्तराखंड

माणा गाँव में देवभूमि सांस्कृतिक महोत्सव का भव्य समापन — सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन और आर्थिकी को नई उड़ान

October 26, 2025
9
उत्तराखंड

इंटर कॉलेज मोटाढाक में हुआ ब्लॉक स्तरीय विज्ञान महोत्सव संपन्न

October 26, 2025
41
उत्तराखंड

उत्तराखंड ग्रामीण बैंक ने आपदा प्रभावितों की सहायता एवं पुनर्निर्माण कार्यों के लिए ₹ 35,49,371 की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की

October 25, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67470 shares
    Share 26988 Tweet 16868
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

बहरीन में चल रहे यूथ एशियन गेम्स में कबड्डी में उत्तराखण्ड के खिलाड़ियों ने किया देश और प्रदेश का नाम रोशन

October 26, 2025

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को भगवान बद्रीविशाल के दर्शन पूजन कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की

October 26, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.