• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

उत्तराखण्ड की बहुउपयोगी वनस्पति रिंगाल में रोजगार देने की क्षमता

21/10/19
in उत्तराखंड, संस्कृति
Reading Time: 1min read
0
SHARES
1.1k
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
रिंगाल या रिंगलु, उत्तराखंड के लगभग हर बच्चे से लेकर बड़े तक का रिंगाल से जरूर वास्ता पड़ता है। बचपन में रिंगाल की कलम से लिखना और घर में उससे बनी कई वस्तुओं का उपयोग जैसे सुपु, ड्वारा, कंडी, चटाई, डलिया आदि। बचपन में रिंगाल की कलम से लिखने का बहुत शौक था। हम मानते थे कि बांस से बनी कलम की तुलना में रिंगाल की कलम से अधिक अच्छी लिखावट बनती है। गांव में रिंगाल कम पाया जाता था लेकिन हम किसी भी तरह से रिंगाल ढूंढ ही लेते थे। वैसे रिंगाल या बांस से बनी तमाम वस्तुएं हम हर रोज उपयोग करते थे।
आज हम घसेरी में इसी रिंगाल पर चर्चा करेंगे जो पहाड़ों में रोजगार का उत्तम साधन बन सकता है। रिंगाल को बौना बांस भी कहा जाता है। बौना बांस मतलब बांस की छोटी प्रजाति। बांस के बारे में हम सभी जानते हैं कि यह बहुत लंबा होता है लेकिन रिंगाल उसकी तुलना में काफी छोटा होता है। बांस जहां 25 से 30 मीटर तक लंबे होते हैं वहीं रिंगाल की लंबाई पांच से आठ मीटर तक होती है। बांस की तरह यह भी समूह में उगता है। यह मुख्य रूप से उन स्थानों पर उगता है जहां उसके लिये पानी और नमी की उचित व्यवस्था हो। यह विशेषकर 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर उगता है। उत्तराखंड में कई स्थानों पर इसकी व्यावसायिक खेती भी होती है। उत्तराखंड में मुख्य रूप से पांच प्रकार के रिंगाल पाये जाते हैं। इनके पहाड़ी नाम हैं गोलू रिंगाल, देव रिंगाल, थाम, सरारू और भाटपुत्र। इनमें गोलू और देव रिंगाल सबसे अधिक मिलता है। गोलू रिंगाल का वानस्पतिक नाम DREPANOSTACHYUM FALCATUM जबकि देव रिंगाल का THAMNOCALAMUS PATHIFLORUS है। अमेरिका में ARUNDINERIA FALCATA प्रजाति का रिंगाल मिलता है जिसे उत्तराखंड में सरारू नाम से जाना जाता है। इनमें से गोलू रिंगाल अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर मिलता है जबकि देव रिंगाल निचले स्थानों यानि 1000 मीटर की ऊंचाई पर भी पाया जाता है। THAMNOCALAMUS JONSARENSIS यानि थाम भी अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर उगता है। इसे सभी रिंगाल में सबसे मजबूत और टिकाऊ माना जाता है। इसलिए इस रिंगाल की लाठियां बनायी जाती हैं।
उत्तराखण्ड में उत्तराखण्ड में मुखयतः पांच तरह के बांस पाए जाते हैं। रिंगाल की इन प्रजातियों के स्थानीय व वानस्पतिक नाम देव रिंगाल (Thamnocalamus Pathiflorus), थाम (ThamnocalamusJonsarensis), भाटपुत्र यानि देशी रिंगाल हैं। रिंगाल से दैनिक जीवन में काम आने वाले जरुरी उपकरण तो बनते ही हैं, इनसे कई तरह के आधुनिक साजो.सामान भी बनाये जा सकते हैंण् प्रदेश में कई इलाकों में रिंगाल से कई आधुनिक उपकरण और सजावट के सामान बनाये जा रहे हैं। इनमें लैम्प शेड, गुलदस्ते, हैंगर, स्ट्रॉ, पेन, पेन स्टैंड, टेबल लैम्प, डस्टबिन ट्रे आदि प्रमुख हैं।
Ringal Multifunctional plant of Uttarakhand रिंगाल का काम पारंपरिक रूप से उत्तराखण्ड की अनुसूचित जाति शिल्पकार की उपजातियों द्वारा किया जाता रहा है। इस काम में ज्यादा अवसर न देख इन जातियों की आने वाली पीढ़ियों ने इस काम को त्यागना ज्यादा बेहतर समझा। सवर्ण जातियां अपने जातीय पूर्वाग्रहों के चलते इन कामों को करने से कतराया करती हैं। रिंगाल की कलम का पहले ही जिक्र किया जा चुका है। यह तो इस पौधे का छोटा सा उपयोग है। काश्तकार इससे कई अन्य उपयोगी वस्तुएं तैयार करते हैं। इनमें सुपा या सुपु अनाज से भूसे को अलग करने के लिये, टोकरी, डोका या ड्वक घास, चारा, कोदा, झंगोरा जैसे अनाज लाने के लिये, डलिया, बड़ी कंडी, हथकंडी, ड्वारा या नरेला अनाज रखने के लिये, चटाई, फूलों को इकट्ठा करने के लिये बाल्टी, बक्सा, थाली, फूलदान, कलमदान, कूड़ादान, झाड़ू, ट्रे, पेस्टदान, टेबल लैंप, सोल्टा आदि प्रमुख हैं। घर में चावल साफ करने हैं या झंगोरा सुपु के बिना संभव नहीं हैं। जब चावल ओखली में कूटे जाते हैं तो सुपु की मदद से ही भूसे को अलग किया जाता है। घर में रोटी रखने के लिये अलग से टोकरी होती है जो मुख्य रूप से रिंगाल से ही तैयार की जाती हैं। कंडी से तो कई यादें जुड़ी हैं। खेतों में काम करने वाले के लिये कंडी में खाना रखकर ले जाया जाता है। गांव में पैणा बांटने हैं तो वह भी कंडी में ही रखे जाते हैं। उत्तराखंड में दौण कंडी का प्रचलन वर्षों से चला आ रहा है। कुमांऊ में डलिया को पवित्र माना जाता है।
भिटौली त्योहार में मां डलिया में ही बेटी के लिये कपड़े और पकवान रखकर भेजती है। बेटी के घर बच्चा होने पर भी डलिया भेंट करने की परंपरा रही है। रिंगाल पहाड़ी लोगों के दैनिक जीवन का अहम अंग रहा है। हालाँकि अब सामाजिक बदलावों के कारण कुछ लोग इस काम में आगे आ भी रहे हैं। रिंगाल के उत्पादों में प्लास्टिक को जनजीवन से पूरी तरह बेदखल करने की संभावना हैए सरकारों की इच्छाशक्ति के बगैर फिलहाल इसकी सम्भावना कम ही दिख रही है। रिंगाल को लगभग उसी तरह उपयोग में लाया जा सकता है जैसे कि उत्तर पूर्व में बांस को। सरकारी उदासीनता के अलावा उत्तराखण्ड में मौजूद जातिवादी मूल्य इस दिशा में बड़ी बाधा हैं। सरकार द्वारा रिंगाल को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने के ठोस प्रयास नहीं किये गए हैं। न ही रिंगाल उद्योग में लगे व्यक्तियों, संस्थाओं को उचित प्रोत्साहन ही दिया जाता है। रिंगाल की पत्तियां भी उपयोगी होती हैं। इनका उपयोग पशुओं के लिये चारे के रूप में किया जाता है। पशु इसकी पत्तियों को बड़े चाव से खाते हैं। खेतों में रिंगाल से बाड़ तैयार की जाती है और सूखने पर इसका उपयोग जलावन के लिये किया जाता है। यहां तक मिट्टी से बने घरों में छत बांस और रिंगाल के बिना तैयार नहीं की जा सकती है। रिंगाल बहुउपयोगी होने के बावजूद सरकारों से उसे शुरू से नजरअंदाज किया।
सरकार स्वरोजगार को बढ़ाने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है। वहीं सरकार के दावों के बावजूद सीमांत जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ के न्वाली गांव के रिंगाल हस्तशिल्पियों के दिन नहीं बहुर रहे हैं। जो आज भी अच्छे दिनों की उम्मीद में दिन काट रहे हैं। रिंगाल से पारंपरिक हस्तशिल्प तैयार करने वाले कारीगरों के इस गांव मे करीब 35 परिवार ऐसे है जो रिंगाल की तरह.तरह की वस्तुओं को बनाते हैं। वहीं बाजार में रिंगाल के बने वस्तुओं के उचित दाम नहीं मिलने से हस्तशिल्प कारीगरों को रोजी.रोटी की चिंता सता रही है। इससे जुड़े कारीगरों को प्रोत्साहित करने की कोशिश नहीं की गयी जबकि यह रोजगार का अच्छा साधन हो सकता था। सरकार को स्थानीय लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये प्रयास करने चाहिए। रिंगाल उद्योग भी इनमें शामिल है। हालाँकि अब सामाजिक बदलावों के कारण कुछ लोग इस काम में आगे आ भी रहे हैं। रिंगाल के उत्पादों में प्लास्टिक को जनजीवन से पूरी तरह बेदखल करने की संभावना है, सरकारों की इच्छाशक्ति के बगैर फिलहाल इसकी सम्भावना कम ही दिख रही है।
उत्तराखंड की संस्कृति एवं जनजीवन से ताल्लुक रखने वाली पारम्परिक काष्ठ से निर्मित वस्तुएं मसलन दही जमाने के लिए ठेकी, दही फेंटकर मट्ठा तैयार करने वाली ढौकली, अनाज मापन के लिए नाली व माणा तथा खाद्यान्न के संग्रहण के लिए भकार वगैरह अब संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं। यह वस्तुएं सीमांत इलाकों के कुछेक गांवों तक सिमट गई हैं। भले ही पुरानी वस्तुएं अपनी अलग छाप छोड़ने के साथ ही असुविधा के दौर में मानव जीवन के लिए खासे मददगार रहे होंए किंतु आधुनिकता इन पर भारी पड़ी। जिस कारण यह विलुप्ति की ओर बढ़ती जा रही हैं। वैज्ञानिक राजकीय संग्रहालय काष्ठ कला से जुड़े ऐसी प्राचीन वस्तुओं को तलाशने व उनका संग्रहण करने का काम उचित प्रोत्साहन दिया जाता हैं। रिंगाल को लगभग उसी तरह उपयोग में लाया जा सकता है जैसे कि उत्तर पूर्व में बांस कोण् सरकारी उदासीनता के अलावा उत्तराखण्ड में मौजूद जातिवादी मूल्य इस दिशा में बड़ी बाधा हैं। सरकार द्वारा रिंगाल को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने के ठोस प्रयास नहीं किये गए हैं, न ही रिंगाल उद्योग में लगे व्यक्तियों, संस्थाओं को उचित प्रोत्साहन ही दिया जाता था।

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

एक महीने पहले दुल्हन बनकर आईं हिना प्रधान बनी

Next Post

उत्तराखंड के 12 निशानेबाजों ने किया नेशनल के लिए क्वालिफाई

Related Posts

उत्तराखंड

खराब मौसम ने रोकी हेलिकॉप्टर की राह

June 18, 2025
21
उत्तराखंड

कांग्रेस कमेटी के श्रम विभाग चमोली का जिलाध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेसियों ने केदार दत्त कुनियाल का जोरदार स्वागत किया

June 18, 2025
2
उत्तराखंड

बैंक सखी योजना के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी : मुख्य विकास अधिकारी

June 18, 2025
3
उत्तराखंड

नंदा राजजात यात्रा में यात्रा मार्ग पर दूरसंचार की व्यवस्थाओं के साथ डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम बनाया जाए- मुख्यमंत्री

June 17, 2025
15
उत्तराखंड

इको सिस्टम को प्रभावित कर रही हेलीकॉप्टरों की गड़गड़ाहट

June 17, 2025
15
उत्तराखंड

किताब कौतिक अभियान के तहत 14वां पुस्तक मेला पिथौरागढ़ जिले के ऐतिहासिक शहर डीडीहाट में संपन्न

June 17, 2025
15

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

खराब मौसम ने रोकी हेलिकॉप्टर की राह

June 18, 2025

कांग्रेस कमेटी के श्रम विभाग चमोली का जिलाध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेसियों ने केदार दत्त कुनियाल का जोरदार स्वागत किया

June 18, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.