
फोटो-एनडीआरएफ के कमाडेण्ट प्रवीण तिवारी व आईटीबीपी के कमाडेण्ट बेणुधर नायक।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। ऋषि गंगा आपदा के 35दिनों बाद भी एनडीआरएफ की टीम मौके पर मौजूद है। एनडीआरएफ के कमाडेण्ट प्रवीण तिवारी 2013 की आपदा में भी महत्वपर्ण भूमिका निभा चुके हंै।
ऋषि गंगा आपदा के तुंरन्त बाद ही एनडीआरएफ की भारी-भरकम फोर्स रैणी व तपोवन पहंुच गई थी। और तब से लेकर लगातार उनके दल सर्च आपरेशन में जुटे हैं। हालांकि अब फोर्स की संख्या कुछ कम अवश्य कर दी है। वर्तमान में एक सहायक सेनानी के नेतृत्व मे 56जवान मुस्तैदी से रैणी व तपोवन व डटे हंै।
ऋषि गंगा आपदा की बतौर कमाडेण्ट कमान संभाल रहे प्रवीण तिवारी वर्ष 2013 की भीषण आपदा में भी बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं। तब वे आईटीबीपी प्रथम वाहिनी के कमाउेण्ट के पद पर तैनात थे। तब उनके नेतृत्व में लामबगड व गोविदघाट-घाॅधरिया आदि क्षेत्रों में आपदा राहत एवं बचाव कार्याे को बखूबी निभाया गया था। उनके नेतृत्व आईटीबीपी के हिमबीरों ने बदरीनाथ एंव हेमकुंड साहिब में फंसे हजारों श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने में भरपूर सहयोग किया। इसे भी संयोग ही कहेगे कि वर्ष 2013 में जब श्री तिवारी यहाॅ कमाडेण्ट के पद पर तैनात थे, उस दौरान उनके साथ तैनात द्वितीय कमान अधिकारी बेणुधर नायक वर्तमान में प्रथम वाहिनी आईटीबीपी के कमांडेण्ट पद पर तैनात हैं। इस तरह वर्ष 2013 की आपदा के बाद इस वर्ष ऋषि गंगा आपदा में भी दोनों अधिकारियों ने एक साथ होकर राहत एवं बचाव कार्यों में प्रशासन व शासन का सहयोग किया।
एनडीआरएफ के जवान जो पहले दिन से ही आपदा ग्रस्त क्षेत्र रैणी व तपोवन मे डेरा डाले हुए हैं, 35दिन बीतने के बाद भी मुस्तैदी से डटे है। हाॅलाकि जवानो की संख्या अवश्यक कम कर दी गई है। लेकिन अब भी सहायक सेनानी विकास कुमार सैनी के नेतृत्व मे 56जवानो का दल रैणी व तपोवन मे मौजूद रहकर बचाव व राहत कार्या मे जुटे है। एनडीआरएफ के जवान लगातार टनल के अन्दर व वैराज साइट के साथ अन्य स्थानों मे सर्च आपरेशन में लगे हैं।
इधर तपोवन टनल में लगातार पानी व मलबा साफ करने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन पहले दिन जिन 35 लोगों के सुरंग में फंसे होने की बात की जा रही थी, उनका अब भी पता नहीं लग सका है। एनटीपीसी के साथ ही सहायक कंपनियाॅ ऋत्विक व एचसीसी के कार्मिक व मशीनें लगातार मलबा निकालने व पंपों से पानी बाहर निकालने का काम कर रही हैं। लेकिन टनल के अन्दर मलबा इतना भरा है कि उसे पूरी तरह साफ करने में ही महीनों लग सकते हैं।