रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी /रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग : सिंगोली भटवाड़ी कैट प्लान के अन्तर्गत फाटा में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग व उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र श्रीनगर द्वारा 30.जनवरी 24 से 31जनवरी.2024 तक दो दिवसीय औषधीय एव सगंध पादपों के प्रदर्श व कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला का मुख्य उद्देश औषधीय एव सगंध पादपों के सरक्षण तथा कृषिकरण द्वारा आजीविका संवर्धन को प्रोत्साहन देना रहा।
कार्यशाला में प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि ग्रामीणों हेतु औषधीय सरक्षण एवं कृषिकरण प्रशिक्षण से वन संरक्षण में सहायता मिलेगी व अवैध विदोहन पर अंकुश लगेगा इसके अतिरिक्त औषधि पादप के संबंध में वन अधिनियम व नियम की जानकारी के साथ साथ वन विभाग द्वारा प्रस्तावित वन पंचायत में एनटीएफ़पी, हर्बल व आरोमैटिक टूरिज्म पार्क व औषधीय रोपण के प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी गई । ह्यूमन हेलर के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रवीण जोशी ने औषधीय पादपों के प्रसंस्करण से निर्मित विभिन्न उत्पाद व इसके मार्केटिंग व व्यवसाय के संबंध में आवश्यक जानकारी दी।उनके द्वारा प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में किस प्रकार से जुड़ें इसकी भी जानकारी दी गई। जिला भेषज संघ के अध्यक्ष बचस्पति सेमवाल ने स्थानीय काश्तकार द्वारा भेषज संघ में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया,नियम व शर्तों के बारे में जानकारी दी गईं। साथ उन्होंने ग्रामीणों को औषधीय पादपों की खेती करने के लिए निशुल्क पौध उपलब्ध कराने व इसके कृषिकरण व बाज़ार में बिक्री के प्रक्रिया को समझाया गया । कार्यशाला में एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर ने औषधीय एवं सगंध पादपों का परिचय के साथ साथ कृषिकरण के तकनीकी पहलू पर भी प्रतिभागियों का ज्ञान वर्धन किया।औषधीय एवं सगंध पादपों की खेती,बीज उत्पादन,मूल्य संवर्धन और विपणन के इस प्रशिक्षण में प्रदेश भर के सफल काश्तकार व इस क्षेत्र में अग्रिम पहाड़ी ग्राम के उदाहरण से स्थानीय लोगो को प्रोत्साहित किया गया।
इस अवसर पर औषधीय पादप के सैंपल,उत्पाद व कृषिकरण विधि का प्रदर्शन व इनके प्रसंस्करण से प्राप्त आय से प्रतिभागियों को कराया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन ग्रामीणों को जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान,मण्डल गोपेश्वर एवं रिसर्च विंग उत्तराखंड वन विभाग के आर्किड संरक्षण क्षेत्र,मण्डल का भ्रमण कराया गया। इस कार्यालय से वन विभाग के कार्मिक,स्थानीय ग्रामीणों व महिला समूह के क्षमता विकास के साथ साथ जड़ी बूटी संरक्षण कृषिकरण व इसके प्रसंस्करण,मार्केटिंग व जड़ी बूटी के माध्यम से आजीविका संवर्धन हेतु प्रोत्साहन व आवश्यक जानकारी प्रदान की गई।