फोटो- विष्णु प्रयाग-जोशीमठ पंहुचे साुध समाज ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हरिद्वार कुंभ से निकले साधु संन्त अब बदरीनाथ पहंुचने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। कई साधु बिना कोरोना टेस्ट के ही विष्णुप्रयाग, गोविन्दघाट व हनुमान चट्टी तक पंहुच गए हैं। एसडीएम के अनुसार बिना कोविड टेस्ट के किसी को भी बदरीनाथ नहीं जाने दिया जाऐगा।
पैदल चलने वाली साुधओं की टोली अब बदरीनाथ मार्ग के विभिन्न पैदल पडावों पर देखी जा सकती हैं। ये सभी लोग हरिद्वार कंुभ के बाद बदरीनाथ धाम पंहुचने के लिए पैदल चल रहे हैं। लेकिन इनमें से कितनांे के पास कोराना नेगेटिव रिपोर्ट है, कहा नहीं जा सकता। ये लोग विष्णुप्रयाग संगम बने रैन सैल्टर व यात्री प्रतीक्षालय के साथ ही गोविन्दघाट गुरूद्वारे तक भी पंहुच रहे हैं। हेमकुंड साहिब मैनेजमेंन्ट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंन्धक सरदार सेवा सिंह के मुताबिक यहाॅ प्रतिदिन साधु-संत पंहुच रहे हैं। गुरूद्वारा होने के नाते किसी को भोजन व विस्तर के लिए ना नहीं कहा जा सकता। अभी भी दो साधु पिछले चार दिनांे से यहीं पर हंै और कुछ साधु हनुमान चटटी से लौटकर भी आए हैं। उनका कहना था कि अब तक जो भी यहाॅ पहंुचे उनके पास कोरोना की आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं थी। लेकिन जब कोई गुरू के द्वार पर पंहुच रहा है तो कोविड नियमांे का पालन करते हुए उसे भोजन व विस्तर व्यवस्था की जा रही है।
संपर्क करने पर जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी के बताया कि कोई भी पर्यटक, तीर्थयात्री व साधु-संन्त बिना अनुमति के हनुमान चटटी से आगे किसी भी दशा में नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय माणा व बामणी गाॅव के निवासी जो अपनी खेती-बाडी के लिए जा रहे उन्हें भी कोविड टेस्ट रिपोर्ट के बाद ही भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गौचर से पैदल अथवा वाहनांे से आने वाले कोई भी पर्यटक, तीर्थयात्री व साधु समाज बिना टेस्ट रिपोर्ट के ना आने पाए इसके लिए उन्हांेने जिला आपदा प्रबंन्धन अधिकारी व कोविड नोडल अधिकारी से भी वार्ता की है। सवाल यह भी उठ रहा है कि हरिद्वार से जोशीमठ पहुंच गए, लेकिन किसी भी बैरियर में उन्हें रोका नहीं गया। क्या प्रदेश में आने वालों की राज्य के किसी बैरियर पर कोई जांच नहीं हो रही है?
दससअल इस वर्ष कोराना काल में हुए कुंभ के बाद से लगातार कंुभ में शामिल होने वाले साधु-संन्तांे के कोरोना के कारण मरने के दुखद समाचार मिल रहे हैं, ऐसे मंे पैदल चलने वाले साधु यदि बिना कोविड टेस्ट के सीधे हनुमान चटटी तक पंहुचते हैं तो इससे संक्रमण का ही खतरा होगा। ऐसी स्थिति में हर हाल में पैदल चलने वाले साधु समाज का भी गौचर प्वाइंट पर आवश्यक रूप से आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाना बेहद आवश्यक हो गया है।