रचनाकार युगीन परिस्थितियों के अनुसार साहित्य का सृजन sकरता है तभी साहित्य का युगबोध आने वाले पाठकों और लेखकों को मिलता है। इसीलिए युगीन परिस्थितियाँ महत्त्वपूर्ण होती हैंसाहित्यकारों के लिए प्रेरणा का विषय है। रचनाकार युगीन परिस्थितियों के अनुसार साहित्य का सृजन करता है तभी साहित्य का युगबोध आने वाले पाठकों और लेखकों को मिलता है। इसीलिए युगीन परिस्थितियाँ महत्त्वपूर्ण होती हैं।पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार के साहित्य के “रिश्ता एक ऐसा भी” में मुख्य ऑनलाइन कथन में दून विश्वविद्यालय के डॉ. हरीश चंद्र अंडोला एवं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वान जनो द्वारा उक्त विषय पर अपने विचार एवं व्यक्त किया जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीमान नीरज जी, एवं उपनिदेशक श्री रघुवीर शर्मा हिंदी भाषा विज्ञान, साहित्यकार डॉ. बेचैन कंडियाल और कार्यक्रम का संचालन श्री नीरज भारद्वाज द्वारा किया गयाl अभी वक्ताओं ने उपरोक्त विषय पर अपने-अपने विचार व्यक्त कियेl कार्यक्रम के संरक्षक योगेंद्र नाथ शर्मा, संयोजक अस्थना नेगी, कार्यक्रम के आयोजक हिमालय विरासत ट्रस्ट का आभार व्यक्त कियाl भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा