फोटो– 01 श्री बदरीनाथ मंदिर को जोडने वाला पुल जहाॅ तिल रखने की जगह नहीं होती थी।
02– बाजारों मे भी पसरा है सन्नाटा ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। आखिर कब टूटेगा श्री बदरीनाथ धाम में पसरा सन्नाटा! विगत वर्षों तक धाम के कपाट खुलने के बाद एक सप्ताह में ही तीर्थयात्रियों का आॅकडा एक लाख के पार हो जाता था। यहाॅ तक आपदा वर्ष 2013 के बाद जब वर्ष 2014 में यात्रा प्रांरभ हुई तब भी कपाट खुलने के पहले सप्ताह मे ही श्रद्धालुओं का आंकडा 40 हजार पंहुच गया था। लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी ने बदरीनाथ धाम की तस्वीर ही बदल कर रख दी। हर तरफ सन्नाटा व वीरानी छाई हुई है।
भू-वैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ में कोरोना महामारी के कारण पसरा सन्नाटा आखिर कब तक टट सकेगा! यह कहना तो अभी मुश्किल है, लेकिन इस महामारी ने बदरीनाथ यात्रा से अपनी आजीविका चलाने वाले हजारों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खडा कर दिया है। यॅू तो श्री बदरीनाथ सहित चार धाम यात्रा से देशभर के साथ ही उत्तराखंड को भी काफी लाभ मिलता है। अकेले सीमांत जनपद चमोली की बात करे तो यहाॅ के विकास खंड कर्णप्रयाग, घाट, पोखरी , थराली, गैरसैण , नारायणबगड आदि क्षेत्रों के हजरों युवा बदरीनाथ धाम मे किसी ने किसी माध्यम से रोजगार पर जुटे रहते थे,, माला व फोटो बेचेन , फोटोग्राफी करने, तप्तकुंड के गरम पानी को धर्मशालाओं व लाॅज मे पंहुचाने, चाय व खाने के ढाबे व मजदूरी करने सहित अनेक कार्यो मे जुटकर वर्षभर की आजीविका चलाते थे। और इनके पास वर्षभर की आजीविका चलाने के लिए मई व जून महीने की 20तारीख तक के पचास दिन ही महत्वपूर्ण होते है। क्योंकि इन्ही पचास दिनों मे लाखों श्रद्धालु बदरीनाथ पंहुचते हैं। इसके बाद वर्षात व देश भर मे गर्मियो की छुटटी के बाद स्कूल-कालेज खुलने से यात्रियों का आवागमन बेहद कम हो जाता है। इसीलिए रोजगार करने वाले युवावों का फोकस भी इन्ही पचास दिनो मे जी तोड मेहनत कर वर्षभर की आजीविका जुटाने मे लगा रहता है जो इस बार कोरोना महामारी की भेंट चढ गया है। बदरीनाथ धाम से रोजगार पाने वाले सीमावर्ती जनपद चमोली के युवावों के सामने रोजगार का संकट तो खडा हो ही गया परिवार के भरण-पोषण की भी समस्या खडी हो गई है।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुले आठ दिन बीत गए है,लेकिन सन्नाटा जस का तस हैं, तीिर्थयात्री तो चाह कर भी नही आ सकते लेकिन जनपद के अन्य क्षेत्रों के लोग भी बदरीनाथ नही जा पा रहे है। विगत वर्षो तक कपाट खुलने के बाद रात्रि दो बजे तक भी यात्री वाहनो का काफिला बदरीनाथ पंहुचता था , वर्ष 2019मे दस मई को भगवान नारायण के कपाट खुले थे और 22मई तक 1लाख 81हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ पंहुच गए थे। जबकि वर्ष 2018 मे 30अप्रैल को कपाट खुले थे और 22मई तक 2लाख 99हजार तीर्थयात्री भगवान बदरीनारायण के दर्शन कर चुके थे। इसी प्रकार वर्ष 2017 मे 5मई को कपाट खुले थे और 22मई तक 2लाख 29हजार श्रद्धालुओ ने श्रीहरिनारायण के दर्शनो का पुण्यलाभ अर्जित कर दिया था। यही नही वर्ष 2013 की भीषण आपदा के बाद वर्ष 2014 मे जब यात्रा शुरू हुई तब 4मई को कपाट खुले और 22मई तक बदरीनाथ पंहुचने वाले तीर्थयात्रियों का आॅकडा 40हजार तक पंहुच गया था। इस वर्ष कपाट खुलने का बाद यह आकडा अब तक जीरो पर बना हुआ है। और जिस प्रकार देश के कई प्रदेशो के साथ ही उत्तराखंड मे भी कोरोना मरीजों का आकडा दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है इसे देखते हुए नही लगता कि आने वाले समय मे यात्रा शुरू हो सकेगी।
कोरोना महामारी का असर न केवल बदरीनाथ मे रोजगार करने वाले हजारो युवावों पर पडा ब्लकि इसका सीधा असर श्री बदरीनाथ मंदिर से जुडे दूस्तूरदार हकहकूकधारी समाज के साथ ही तीर्थ पुरोहितो की आजीविका पर भी पडा है। वर्षो के इंतजार के बाद बदरीनाथ मंदिर से जुडे हकहकूकधारी समाज की बारी आती है। हकहकूक धारी समाज के लोगो का सीधा मंदिर पंरपरा से जुडाव अनादिकाल से ही है, मंदिर खुलने से लेकर कपाट बंद होने तक यह समाज अपने कर्तब्यों का निर्वहन करता है चाहे यात्री आए या नही । इसके अलावा तीर्थयात्रियों के आवागम के बाद ब्रहमकपाल व तप्तकुंड व अन्य घाटों पर भी अच्छी चहल-पहल रहती थी जो इस बार नही है। कुल मिलाकर बदरीनाथ से जुडे ब्यापारियों, तीर्थपुरोहितों हकहकूकधारी समाज, रोजगार पाने वाले युवावोें , परिवहन ब्यवसाय करने वालों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। धामो से जुडे इन लोगो की आर्थिकी कैसे मजबूत हो इस पर पर सरकारों को गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
यही नही देश के अंतिम गाॅव माणा की चहल-पहल भी कोरोना महामारी ने धूमिल कर दी है। बदरीनाथ आने वाले यात्री देश के अंतिम गाॅव माणा के साथ ब्यास गुफा, भीम पुल, गणेश गुफा, घंटाकर्ण मंदिर आदि के दर्शनो के लिए पंहुचते थे और यादगार के रूप मे माणा मे हाथ से बुनी स्वेटर, पंखी, कालीन, टोपी, , ऊनी मौजू व टोपी की खरीददारी के साथ ही जडी-बूटी भी क्रय कर ले जाते थे। लेकिन इस बार माणा गाॅव मे भी सन्नाटा पसरा हुआ है।