प्रोफेसर नीरज तिवारी, पूर्व निदेशक, सोबन सिंह जीना विश्व विद्यालय, परिसर अल्मोड़ा ने कहा कि अलमोड़ा नव श्रृजित विश्वविद्यालय में बीएससी में स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम चलाया जाना उचित एवं नियमानुकूल नहीं है। नये विश्वविद्यालय को इस उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया है कि सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों के गरीब विद्यार्थियों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा प्रदान की जा सके। नये विश्वविद्यालय में सभी पाठ्यक्रमों में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि अधिकाधिक संख्या में गरीब छात्र भी उच्च शिक्षा का लाभ उठा पायें। इसके लिए कुलपति महोदय को सरकार से शीघ्रातिशीघ्र नये पदों के श्रृजन एवं प्रयोगशालाओं हेतु अनुदान राशि प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। छात्रों से अधिक शुल्क वसूल कर स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम चलाना किसी भी प्रकार से समस्या का समाधान नहीं माना जा सकता है। इसके बजाय सरकार पर दबाव बना कर सरकार से अतिरिक्त सीटों के लिए संसाधनों की मांग की जानी चाहिए।
परिसर प्रशासन द्वारा इस वर्ष बीएससी में गत कई वर्षों की तुलना में न्युनतम सीटें निर्धारित किया जाना भी छात्र हित में उचित प्रतीत नहीं होता है। विश्वविद्यालय छात्रों के हित में कार्य करने के लिए बनाया गया है और हम सभी का कर्तव्य होता है कि हम छात्र हितों को देखते हुए ही निर्णय लें।
मंहगाई और कोरोना जैसी महामारी का सामना करती हुई पर्वतीय आंचल की गरीब जनता पर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर अतिरिक्त शुल्क का बोझ डालना उचित प्रतीत नहीं होता है। जो पाठ्यक्रम नियमित मोड में परिसर में पूर्व से संचालित हो रहे हैं, उन्ही पाठ्यक्रमों को साथ.साथ स्ववित्त पोषित मोड में चलाया जाना उत्तराखंड शासन के शासनादेशों के भी अनुरूप नहीं है। मैं इस नव श्रृजित विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रोफेसर नरेन्द्र सिंह भण्डारी जी से विनम्र निवेदन करता हूँ कि वो इस विषय पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए समाज एवं छात्रों के हित में निर्णय लेने का कष्ट करें ताकि नव श्रृजित विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके एवं उच्च शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने में सफल हो सके।