जोशीमठ चमोली। पंचम केदार कल्पेश्वर घाटी में आजकल 9 दिनों से शिव पार्वती विवाह मेले का आयोजन हो रहा है। छठी तिथि शुक्ल पक्ष चैत्र माह से प्रथम फेरा अर्थ शादी की रस्म की पहले चरण में एक फेरे का आयोजन किया जाता है। बढ़ते क्रम में दूसरे दिन द्वितीय यह कर्मशः चतुर्दशी तिथि तक चलता रहता है। शिव की अर्धांगिनी गौरा के मंदिर में 8 दिन तक यह रस्म पूरी की जाती है। चतुर्दशी तिथि को केदार मंदिर में भगवती शिव और गोरा की शादी के 9 फेरे की रस्म पूरी करते हैं। इस दिन का विशेष भोग केदार मंदिर में श्री घंटाकरण क्षेत्रपाल के पस्वा महावीर सिंह राणा के द्वारा तैयार किया जाता है।
ऐसी मान्यता है गौरा के धर्म भाई घंटाकरण है और वह अपनी बहन को विशेष भोग और पूजा अर्चना भेंट देने के बाद भगवान शंकर के साथ उन्हें विदा करते हैं। शिव पार्वती विवाह की रस्म पूरा करने के लिए घाटी के तमाम जोड़ों के लोग उपस्थित रहते हैं। मां बहन ने मंगल गीत नंदा के लोक जागर पार्वती के लोग जागर का गायन किया जाता है। जागर के माध्यम से शिव पार्वती विवाह का वर्णन किया जाता है। भगवती पार्वती को कैलाश की विदाई के जागर सुनाएं जाते हैं।
आज तमाम देवगण शिव के बाराती यहां पहुंचते हैं इस रस्म में भागीदारी करते हैं। आज से घाटी में दो दिवसीय भव्य मेला आयोजन किया जाता है। मेले में घाटी के सभी देवता गण के निशांण मेले में सम्मिलित किए जाते हैं। चोपता मंदिर में आज रात्रि भर लोक जागर का गायन शिव सिंह काला के द्वारा किया जाएगा। चारों पहर में देवताओं के अवतारी पुरुषों के द्वारा देव निशानों से शक्ति परीक्षण किया जाएगा और क्षेत्र में समृद्धि हेतु आशीर्वाद दिया जाएगा। पंचम केदार एवं पंचम बद्री के मंदिरों में कल्पेश्वर क्षेत्र शिव पार्वती विवाह के लिए जाना जाता है।
जहां केदार मंदिर में 9 फेरे की रस्म पूरा किया गया माताएं बहने पार्वती को अर्थात गौरा को विदाई दी गई। कैलाश के लिए कहेंगे कि आने वाले भादो मास में फिर आपको बुलावा के लिए तुम्हारे प्रतिनिधि तुम्हें कैलाश बुलाने के लिए आएंगे। आज घाटी में सैकड़ों माता और बहनों भाइयों ने मां पार्वती एवं शिव के दर्शन किए और पार्वती को कैलाश विदाई के लिए उनकी डोली प्रस्थान की गई। जहां माताओं और बहनों की आंखों में अश्रु धाराएं बह रही थी। वही गौरव की डोली नचाने वाले लोगों के मन भी भावुक हो गए भीगी भीगी पलकों से भगवती गौरा को उनके भाई घंटाकर्ण ने कैलाश की विदाई की रस्म पूरी की यह मंदिर पंचम केदार कल्पेश्वर की अति निकट देवग्राम ग्राम के निचले हिस्से में स्थित प्राचीन है।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट












