आज शाम दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित फ़िल्म समीक्षक लेखक मनमोहन चड्ढा की नॉन फिक्शन पुस्तक हिंदी सिनेमा का इतिहास पर बातचीत हुई। मनमोहन चड्ढा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की जूरी के सदस्य भी रहे हैं । सिनेमा से संवाद समय साक्ष्य प्रकाशन से वर्ष 2021 में प्रकाशित हुई है यह पुस्तक समीक्षात्मक निबंधों का बेजोड़ संग्रह है। इस संग्रह में विश्व सिनेमा के इतिहास, विश्व सिनेमा के समानांतर विकास और विकास और निर्माण प्रक्रिया की समालोचना का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत है सिनेमा से संवाद को सिनेमा का एनसाइक्लोपीडिया कहा जा सकता है।
इस पुस्तक में भारतीय सिनेमा के उद्भव विकास एवं प्रगति की समीक्षात्मक व्याख्या की गई है तथा बंगाली फिल्मकारो एवं उपन्यासकारों के योगदान को भी विश्व सिनेमा के समानांतर रखकर उसका आलोचनात्मक विश्लेषण किया गया है। विशेष रूप से पाथेर पांचाली उपन्यास और फिल्म पर एक पूरा समीक्षात्मक निबंध है। विश्व सिनेमा के फिल्म निर्देशक तथा निर्माताओ पर लेखक ने तुलनात्मक शोध प्रस्तुत किया है विश्व फिल्म जगत के महान निर्देशक जापानी फिल्म कार यासुजीरो ओजू, फ्रांस के फिल्म समीक्षक आंद्रे बाजा तथा फिल्म निर्देशक फ्रासवा ट्रूफो पर लेख लिखे हैं। इसमें अनाम कोशिकर के रूप में उन लोगों का भी जिक्र किया गया है जिनको फिल्म जगत में कभी याद नहीं किया गया है लेकिन उनका फिल्मों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है इसी प्रकार से पुस्तक में क्षेत्रीय भाषाओं के सिनेमा पर भी विश्लेषणात्मक शोध प्रस्तुत किया गया है। कुल मिलाकर यह पुस्तक सिनेमा के शोधार्थियों एवं पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो बहुत ही रोचक शैली में लिखी गई है।
पुस्तक पर चर्चा करने के लिए साहित्यकार प्रोफेसर राजेश पाल, कथाकार अरुण असफल तथा संपादक एवं लेखक सुरेश उनियाल उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन समदर्शी बड़थ्वाल ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में उपस्थित लोगों का स्वागत किया और निकोलस हॉफलैंड ने कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त किया। साहित्कार मदन शर्मा ,डॉ अतुल शर्मा, राजेश सकलानी,सुंदर सिंह बिष्ट, प्रेम साहिल,आर के वर्मा,प्रवीण भट्ट,कांता डंगवाल, राजेन्द्र प्रसाद,डॉ.दिनेश प्रसाद ‘शास्त्री’ , डॉ.ओमप्रकाश जमलोकी तथा बिजू नेगी,इंद्रेश नौटियाल सहित अनेक फ़िल्मप्रेमी,रंगकर्मी, साहित्यकार,लेखक व पुस्तकालय के अनेक युवा पाठक मौजूद थे।