शिबेन्द्र गोस्वामी
अल्मोड़ा। चाय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चाय विकास बोर्ड द्वारा नई पालिसी बनाने की कवायद शुरू हो गई है। अब चाय विकास बोर्ड 30 साल के लिए किसानों की भूमि को लीज पर लेगा और चाय बागान विकसित करेगा। इसके अलावा निजी उत्पादकों को सरकार द्वारा मदद भी उपलब्ध कराई जाएगी।
बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने चाय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चाय विकास बोर्ड के अधिकारियों, अपर मुख्य सचिव, कृषि आयुक्त व संबंधित अधिकारियों की मौजूदगी में समीक्षा बैठक ली। जिसमें बोर्ड द्वारा चाय विकास के तीन मॉडल प्रस्तुत किए थे। इन तीन मॉडलों के आधार पर किसानों की भूमि को तीस साल के लिए लीज पर लिया जाएगा। इसके अलावा किसानों द्वारा स्वयं भी चाय बागान विकसित किए जाएंगे। जिसके लिए सरकार द्वारा उन्हें मदद भी उपलब्ध कराई जाएगी। निजी उद्यमियों द्वारा क्लस्टर के रूप में बोर्ड द्वारा चयनित भूमि में बागान स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा अन्य औषधीय वनस्पतियों जैसे दालचीनी, लैमन ग्रास, काली मिर्च, बड़ी इलायची के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। चाय उत्पादक काश्तकारों को चयनित कर उनके समूह बनाए जाएंगे और उन्हें होम स्टे योजना से जोड़ा जाएगा। इसके लिए प्रथम चरण में रामगढ़, पदमपुरी, कौसानी, जागेश्वर जैसे क्षेत्रों से इसकी शुरूआत की जाएगी। समीक्षा बैठक में तय किया गया कि उत्तराखंड टी की पैकिंग और मार्केटिंग कंसलटेंट को छह महीने के लिए अनुबंध पर लिया जाएगा। उत्पादन का परीक्षण टी टेस्टिंग संस्थान से कराई जाएगी। चाय विकास बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि नई पॉलिसी में और अधिक सुधार के लिए काश्तकारों से सुझाव भी मांगे जाएंगे।












