प्रकाश कपरूवाण।
जोशीमठ। भारत-चीन सीमा से सटे देश का पहला ऐतिहासिक व धार्मिक नगर जोशीमठ के अस्तित्व का संकट दिन प्रतिदिन गहराता जा रहा है, हालत यह है कि जोशीमठ नगर के औली-सुनील से मारवाड़ी व परसारी से खोंन-होसी तक की आबादी बेहद खतरनाक स्थिति मे पहुंच गई है।
भूगर्भीय हलचल के कारण जोशीमठ के हर घर मे दरारें है जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,भूमि फटने का सिलसिला जारी है तो घरों के फर्श के नीचे जल भराव भी हो रहा है,2021 के जुलाई महीने से पूर्व जोशीमठ नगर के सुनील वार्ड, गांधी नगर वार्ड व रविग्राम के कोठलागढ़ मे जबर्दस्त भू धंसाव हुआ तब भी कई परिवारों ने घर छोड़े तो कुछ परिवार टूटे फूटे घरों मे ही रहने को विवश रहे।
भू धंसाव की तब हुई घटना के बाद वैज्ञानिकों की टीम पहुंची,सर्वेक्षण भी हुआ,रिपोर्ट भी शासन को प्रस्तुत की लेकिन कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हो सकी और दिसंबर महीने की शुरुआत मे ही भू धंसाव का सिलसिला मनोहर बाग वार्ड मे शुरू हुआ जिसने नया वर्ष आते आते सिंहधार से लेकर मारवाड़ी वार्ड को अपनी चपेट मे ले लिया।
मनोहर बाग वार्ड के करीब 80 घरों पर जमींदोज होने का खतरा मंडरा रहा है तो घरों के आस पास के खेतों के फटने का क्रम निरंतर जारी है।लोग हैरान व परेशान हैं और जिन्दगी व मौत के साये मे जीने को विवश होकर रतजगा कर किसी तरह पौष मास की हाड़ कपाने वाली ठंड मे रात गुजार रहे हैं।
हालात के बिगड़ने व सरकारी स्तर पर गंभीरता न दिखने के बाद बर्बाद होते शहरवासियों का गुस्सा सड़को पर फूट पड़ा,ऐतिहासिक चक्का जाम व अभूतपूर्व बंद हुआ,जिसका असर भी हुआ और शासन-प्रशासन हरकत मे आया, गढ़वाल कमिश्नर व आपदा प्रबंधन सचिव जोशीमठ पहुंचे और राहत व बचाव कार्य शुरू हुए।
जिला प्रशासन ने भी आपदा अधिनियम का सहारा लेते हुए एनटीपीसी की परियोजना,हेलंग-मारवाड़ी बाईपास एवं नगर मे सभी प्रकार के निर्माण कार्यो को प्रतिबंधित कर करीब 1271 लोगों के रहने के लिए सरकारी व गैरसरकारी भवनों को अधिग्रहित किया।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा व गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार ने सुनील से मारवाड़ी-विष्णुप्रयाग व रविग्राम,गांधीनगर के भू धंसाव प्रभावित एक एक घर का वैज्ञानिकों की टीम के साथ सर्वेक्षण किया और तपोवन मे एनटीपीसी की टनल के अन्दर जाकर पानी व मलबे को सैम्पल के लिए लिया।
आपदा प्रबंधन सचिव के सम्मुख हर वार्ड के नागरिकों ने एनटीपीसी की टनल व हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को जोशीमठ की इस त्रासदी का एक प्रमुख कारण बताया।
सचिव श्री सिन्हा ने तपोवन से लेकर जोशीमठ तक ब्लास्ट कंपन आंकलन के लिए अलग अलग स्थानों पर संयंत्र स्थापित करने के लिए एनटीपीसी को सख्त निर्देश भी दिए।
बहरहाल शासन-प्रशासन का पूरा अमला मय एनडीआरएफ एलर्ट मोड़ पर जोशीमठ मे तैनात है,पर इसके बावजूद आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली, भगवान बद्रीविशाल व हेमकुंड साहिब-लोकपाल का प्रवेश द्वार का अस्तित्व बच पाएगा ?इसे लेकर लोग बेहद चिंतित हैं।
शासन-प्रशासन व अब तक यहाँ पहुंचे वैज्ञानिकों के सामने जोशीमठ की भूमि के अन्दर हो रही हलचल व मलबे के साथ निरंतर हो रहे जल रिसाव के खुलासा होने की चुनौती बनी है,इसे लेकर अब ओएनजीसी से भी सहयोग लिए जाने पर वार्ता हो रही है।आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा कहते हैं कि वे इस ऐतिहासिक नगर को बचाने के लिए वे सबकुछ करने को तैयार हैं लेकिन एक बार यह स्पष्ट तो हो जाय कि किस प्रकार के ट्रीटमेंट से जोशीमठ को बचाया जा सकता है?
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