• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

दीपावली पर बढ़ा उल्लुओं की तस्करी का खतरा

02/11/21
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
230
SHARES
288
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला:

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) इंडिया ने कहा कि उल्लुओं की ऐसी 16 प्रजातियों की पहचान की गयी है जिनकी आमतौर पर भारत में तस्करी की जाती है। ये पक्षी अंधविश्वास और रीति रिवाजों की बलि चढ़ते हैं।उल्लुओं की इन प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनकी पहचान में मदद के लिए ‘ट्रैफिक’ और ‘डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया’ ने एक सूचनात्मक पोस्टर बनाया है जिसमें लिखा है ‘अवैध वन्यजीव व्यापार से प्रभावित भारत के उल्लू’।

ट्रैफिक एक संगठन है जो यह सुनिश्चित करने का काम करता है कि वन्यजीव व्यापार प्रकृति के संरक्षण के लिए खतरा न हो। उसने उल्लुओं की 16 प्रजातियों की पहचान की है जिनकी आम तौर पर भारत में तस्करी की जाती है। ट्रैफिक के भारत कार्यालय के प्रमुख डॉ. साकेत बडोला ने कहा, ‘‘भारत में उल्लुओं का शिकार और तस्करी एक आकर्षक अवैध व्यापार बन गया है जो अंधविश्वास पर टिका है।

संगठनों ने कहा, ‘‘भारत में उल्लू अंधविश्वासों और रीति रिवाजों के पीड़ित हैं जिनका प्रचार अकसर स्थानीय तांत्रिक करते हैं।’’ उन्होंने बताया कि दुनियाभर में पायी जाने वाली उल्लुओं की तकरीबन 250 प्रजातियों में से करीब 36 प्रजातियां भारत में पायी जाती हैं।डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया ने कहा कि कानूनी पाबंदियों के बावजूद हर साल सैकड़ों पक्षियों की अंधविश्वास, कुल देवता और वर्जनाओं से जुड़े रीति रिवाजों और अनुष्ठानों के लिए बलि दे दी जाती है। दिवाली के त्योहार के आसपास यह बढ़ जाती है।कार्बेट टाइगर रिजर्व, रामनगर वन प्रभाग व तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगलों में उल्लुओं की तस्करी रोकने की कवायद शुरू हो चुकी है।

वन विभागों में रेंज के स्टाफ को गश्त तेज करने व उल्लुओं की मौजूदगी वाली जगह में निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। तस्‍करी में लिप्‍त मिलने वालों के खिलाफ जंगलात कड़ी कार्रवाई करेगा। दीपावली पर कुछ लोग अंधविश्वास के चलते उल्लू की बलि देकर कई तरह के अनुष्ठान कर अपने हित साधने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा कई लोग उल्लु को पकडक़र दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के साथ उसकी पूजा भी करते हैं। क्योंकि उल्लु मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता।

ऐसे में बाजार में उल्लुओं की मांग बढ़ती है। जिससे जंगल में तस्करी का खतरा बढ़ जाता है। यह हाल तब है जब उल्लुओं के शिकार पर कानूनी पाबंदी है। भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित है। इसके शिकार में पकड़े जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है। उल्लुओं को पालना व शिकार करना प्रतिबंध है। वन्य जीवों के अंगों के व्यापार को रोकने काले ट्रैफिक संगठन के मुताबिक दुनिया में मिलने वाली 250 उल्लुओं की प्रजाति में से 36 भारत में मिलती है। रामनगर के पक्षी विशेषज्ञ के मुताबिक 16 प्रजाति उल्लू कार्बेट टाइगर रिजर्व व उसके आसपास के जंगल में पाई जाती है।

इन दिनों इनकी तस्करी का खतरा बढ़ जाता है। दुनिया का सबसे बड़ा उल्लू खतरे में है. इसकी आबादी दुनिया में मौजूद टाइगर्स से भी कम हो चुकी है. इस प्रजाति को बचाने के लिए अब प्रयास करने मे एशिया के कुछ इलाकों में मिलने वाले इस उल्लू का प्राकृतिक निवास खत्म हो रहा है.रिपोर्ट में देश के उन बाजारों को भी चिन्हित किया गया है जहां उल्लुओं का अवैध कारोबार होता है। बिहार की राजधानी पटना के मिर्सीकार टोली, रांची के कांटा टोली, वाराणसी के बहेलिया टोली, लखनऊ में चौक बाजार, नख्खाश, मुरादाबाद के भूड़ चौराहा, प्रयागराज के नख्खाश कोना, मेरठ के कुमार मोहल्ला, अंबाला के चिड़ीमार मोहल्ला, हैदराबाद के महबूब चौक, दिल्ली के चिड़िया बाजार, जामा मस्जिद और लाल किले के सामने, अहमदाबाद के वागरी बस्ती, मुंबई के एमजे फुले बाजार, भोपाल के जहांगिरबाद, कोलकाता के मटिया ब्रिज और नरकुल डंगा, कटक के थोरिया शाही, बैंगलोर के रसेल मार्केट, चेन्नई के ओल्ड आयरन बाजार, मदुरै के तमिल संगम मार्केट, रायपुर के गुड़ियारी और जयपुर के शिकारी बस्ती में उल्लुओं का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर होता। उल्लू पारिस्थितिकी प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और किसानों की उपज को उन नुकसानदायक कीटों से भी बचाते हैं जो फसल बर्बाद करते हैं।

ऐसे में उल्लू की उच्च पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक महत्ता बहुतज्यादाहै।अंधविश्वास के चलते एक विलुप्त होती प्रजाति को खतरा बढ़ गया है। यह खतरा तब और अधिक बढ़ जाता है जब दीपावली का त्योहार आता है। हम बात कर रहे है मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की जिसकी जान को इस त्योहार में अधिक खतरा बढ़ जाता है। कहा जाता है कि तांत्रिक दीपावली पर जादू टोना तंत्र-मंत्र और साधना के लिए उल्लू की बलि देकर रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं। वहीं दूसरी ओर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सहित प्रदेश की अन्य जिलों में भी वन विभाग ने उल्लू की तस्करी करने वालों पर लगाम कसने के लिए जंगल में गश्त बढ़ा दी है। दीपावली के शुभ मौके पर लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अंधविश्वास के चलते मां लक्ष्मी का वाहन कहे जाने वाले उल्लू की जान के पीछे पड़ जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि तांत्रिक जादू टोना तंत्र-मंत्र और साधना विद्या में उल्लू का प्रयोग करते हैं। उल्लू की बलि दिए जाने से तंत्र मंत्र विद्या को अधिक बल मिलता है। इसकी बलि दी जाने से जादू टोना बहुत कारगार सिद्ध होते हैं। जानकारों की मानें तो दीपावली के समय में उल्लू की मांग अधिक बढ़ जाती है। जिसके चलते लोग उल्लुओं को पकड़ने के लिए जंगलों की ओर रुख करते हैं। बताया जा रहा कि कई प्रदेशों में उल्लू की अधिक मांग होती है। इस अंधविश्वास के चलते दुर्लभ होती प्रजाति पर लोग अत्याचार कर रहे हैं। उल्लुओं के मारे जाने से ईको सिस्टम पर भी इसका असर पड़ता है। शास्त्रों की नजर से देखें तो उल्लू मां भगवती का वाहन है।

उल्लू की आंख में उसकी देह की तीन शक्तियों का वास माना जाता है। उल्लू के मुख्य मंडल, उसके पंजे, पंख, मस्तिष्क, मांस उसकी हड्डियों का तंत्र विद्या में बहुत महत्व माना जाता है, जिनका तांत्रिक दुरुपयोग करते हैं. शास्त्रों के जानकारों के अनुसार दीपावली पर मां लक्ष्मी को खुश करके अपने यहां बुलाने के लिए कुछ लोग उल्लू की बलि देते हैं और इस मौके पर लाखों रुपए खर्च करके उल्लू की व्यवस्था करके रखते हैं। बताया यह भी जाता है कि दीपावली के समय दक्षिण भारत की यह परंपरा है। दक्षिणी भारत में दाक्षडात्य ब्रित और रावण संगीता नामक शास्त्रों में उल्लेख है कि उल्लू की बलि दिए जाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, लेकिन कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं हैं।

उनका मानना है कि मां लक्ष्मी का वाहन कहे जाने वाले उल्लू की जब आप बलि देंगे तो मां लक्ष्मी कैसे प्रसन्न हो सकती हैं। जानकार यह भी बताते हैं कि दीपावली में आज से लेकर अमावस्या तक सभी दिन साधना के दिन कहे जाते हैं। लोग दिन और रात साधना करते हैं। कुछ लोग अपने कल्याण के लिए इन दिनों सिद्धि करते हैं और कुछ लोग साधना का दुरुपयोग करते हैं। तांत्रिक जादू टोना आदि तंत्र विद्या के लिए आरोह अवरोह का पाठ करते उल्लू की बलि देते हैं।

बावजूद इसके जानकारों का कहना है कि लोगों को अपनी वैदिक परंपरा का पालन करते हुए अपना और अपने समाज का कल्याण करना चाहिए। इसके लिए एक निर्बल प्राणी की बलि देना महापाप है और यह आवश्यक नहीं है। वहीं, दीपावली पर तस्कर उल्लू पकड़ने के लिए जंगल का रुख करते हैं। ऐसे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी नेशनल पार्क का जंगल उनकी आंखों में खटकने लगता है क्योंकि कॉर्बेट में 600 से अधिक प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।

जिसमें से अकेले उल्लू की ही कई प्रजातियां पायी जाती हैं। उल्लू की तस्करी करने वालों के लिए यहां का जंगल बड़ा मुफीद होता है। दीपावली के मौके पर उल्लू का शिकार या उसकी तस्करी किसी भी सूरत में रोकने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने कमर कस ली है. कॉर्बेट की एसओजी टीम द्वारा यूपी से लगी दक्षिणी सीमा पर गश्त की जा रही है और चैकसी को और टाइट किया गया है। साथ ही ऐसे लोगों पर भी नजर रखी जा रही है जो उल्लू की तस्करी में शामिल रहते हैं। उनका पूरा डेटा इकट्ठा किया जा रहा है।

आज के डिजिटल युग में उल्लू जैसे पक्षी की बलि देकर अपने कष्टों को दूर करने की सोच रखने वाले यह भूल जाते हैं कि जिसको वह खुश करने का प्रयास कर रहे हैं। असल में वह मां भगवती का वाहन है, मां लक्ष्मी कैसे उनसे प्रसन्न हो सकती हैं लेकिन मनुष्य मोह माया उन्नति के चक्कर में पड़ कर सब भूल जाता है। यदि मनुष्य को उन्नति के पथ पर चलना है तो उसे अंधविश्वास का चढ़ा चश्मा उतारना होगा और अच्छे कर्म करने पड़ेंगे।

Share92SendTweet58
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक का तृतीय स्थापना दिवस समारोह

Next Post

दीपावली पर दो साल बाद दिखी बाजारों में चहल-पहल

Related Posts

उत्तराखंड

इंटर कॉलेज मोटाढाक में हुआ ब्लॉक स्तरीय विज्ञान महोत्सव संपन्न

October 26, 2025
3
उत्तराखंड

उत्तराखंड ग्रामीण बैंक ने आपदा प्रभावितों की सहायता एवं पुनर्निर्माण कार्यों के लिए ₹ 35,49,371 की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की

October 25, 2025
10
उत्तराखंड

जिलाधिकारी ने दिव्य दिव्यांग संस्था का दौरा कर दिव्यांगजनों से किया भावनात्मक संवाद

October 25, 2025
5
उत्तराखंड

बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली पहुंची ओंकारेश्वर मंदिर, जयकारों से गूंज उठी केदारघाटी

October 25, 2025
5
उत्तराखंड

गौरा देवी जन्म शताब्दी पर डाक विभाग द्वारा विशेष डाक टिकट का अनावरण एवं विमोचन किया गया

October 25, 2025
9
उत्तराखंड

चिपको की धरती रैणी में हुआ गौरा देवी जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन

October 25, 2025
5

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67470 shares
    Share 26988 Tweet 16868
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

इंटर कॉलेज मोटाढाक में हुआ ब्लॉक स्तरीय विज्ञान महोत्सव संपन्न

October 26, 2025

उत्तराखंड ग्रामीण बैंक ने आपदा प्रभावितों की सहायता एवं पुनर्निर्माण कार्यों के लिए ₹ 35,49,371 की धनराशि मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की

October 25, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.