उर्गम घाटी। हेलंग में 15 जुलाई 2022 को एक महिला घासियारी के साथ उस दिन उसे पुलिस एवं औद्योगिक सुरक्षा बलों के द्वारा जबरदस्ती घास के बोझ को छीना झपटी किया गया, जिसकी वीडियो पूरे उत्तराखंड में वायरल हुई थी और उसमें मुख्यमंत्री उत्तराखंड ने जांच के आदेश दिए थे, इन सब घटनाओं को देखकर स्थानीय नागरिक काफी आक्रोशित हैं और आज इसी घटना को लेकर हेलंग मे बैठक का आयोजन किया गया।
स्थानीय महिला संगठनों एवं महिला मंच के पदाधिकारियों के द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी एवं पर्यावरणविद डॉ रवि चोपड़ा इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे कार्यक्रम में कामरेड अतुल सती के अलावा महिला संगठनों ने इस बैठक को संबोधित किया।
सिंबॉलिक रुप से 9 अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन का ऐतिहासिक दिन है। इस दिन को इसलिए चुना गया, जल, जंगल और जमीन के संघर्ष को मजबूती दी जा सके। डॉ रवि चोपड़ा ने कहा कि पहाड़ों को बचाने के लिए समुदाय के लोगों की भागीदारी आवश्यक है। जल जंगल जमीन की लड़ाई मजबूती से लड़ी जानी चाहिए।
कमला पंत ने कहा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे लोगों के जल और जंगल और जमीन के संघर्षों में साथ रहे। जिससे कि लोगों को लड़ाई में मजबूती मिलेगी। घसियारी मंदोदरी देवी ने अपनी लड़ाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मैं पिछले 35 से 40 वर्षों से इस गांव में पशुपालन एवं खेती कर रही हूं। जिस जमीन को टीएचडीसी के द्वारा मक डिस्पोजल पॉइंट बनाया जा रहा है, वह हमारा मुख्य पशु चारा केंद्र है। जिससे जानबूझकर कुछ लोग अपने निजी हितों के लिए इस तरह का प्रयास कर रहे हैं। मेरे साथ जो घटना हुई मैं उसे कभी भूल नहीं सकती हूं।
वक्ताओं ने यह भी यह भी कहा जिस दिन मंदोदरी देवी के साथ जो घटना घटी उसमें 2 वर्ष की अबोध बालिका को भी 6 घंटे तक पुलिस कस्टडी में रखा गया, जो निंदनीय है और उस पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इस प्रकरण में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के इंद्रेश मैखुरी के द्वारा पूर्व में ही उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखा जा चुका है। जिसमें बाल संरक्षण आयोग के द्वारा पुलिस अधीक्षक चमोली से एवं जिलाधिकारी चमोली से स्पष्ट रूप से रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। अब यह प्रकरण पुलिस वालों की भी गले की फांस बनता जा रहा है।
अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए जांच के आदेश और बाल संरक्षण आयोग उत्तराखंड के जांच आदेश में क्या निकल कर आता है। यह देखने वाला मुख्य प्रश्न होगा। दूसरी तरफ क्या उत्तराखंड में जल जंगल और जमीन की लड़ाई इस घटना घटना के बाद मजबूत होगी या कमजोर। जोशीमठ की लड़ाई में क्षेत्रीय विधायक राजेंद्र सिंह सिंह भंडारी ने समर्थन तो दिया है, किंतु जिस तरह से विपक्षी पार्टी होने के नाते भारतीय कांग्रेस पार्टी को मुखर होकर संघर्ष करना चाहिए था, किंतु उनके छोटे नेता आज भी इस संघर्ष में दूरी बनाए हुए हैं। सत्ता पक्ष के द्वारा इस प्रकरण में कुछ भी नहीं कहा गया। मौन रहना ही उचित रहा है, जबकि जोशीमठ में कई आंदोलन में भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी दोनों मुखर होकर के आंदोलन करती रही हैं। इन दोनों आंदोलनों में दोनों पार्टी दूरी बनाए हुए हैं। अब देखना होगा कि 10 अगस्त 2022 को बड़ा गांव में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में क्या इन दोनों मुद्दों पर मुख्यमंत्री अपने विचार व्यक्त करेंगे और जोशीमठ के स्थानीय नेता गण इस बात को प्राथमिकता से उठाएंगे?
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट