प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। जोशीमठ प्रखंड के सबसे दूरस्त गांव डुमक को सड़क संपर्क से जोड़ने की कवायद परवान चढ़ती नहीं दिख रही। ग्रामीणों की शिकायत पर जिलाधिकारी ने जांच कमेटी तो गठन की, लेकिन वो भी डुमक गावँ नहीं पहुंचे।
सीमान्त विकास खंड जोशीमठ के दूरस्त गावँ डुमक आजादी के बाद से ही सड़क की वाट जोह रहा है। कई संघर्षों व समय समय पर चुनाव वहिष्कार के बाद किसी तरह सड़क निर्माण की स्वीकृति मिल सकी, जिसे स्यूण से होते हुए डुमक और उसके बाद कलगोठ गावँ को जोड़ा जाना था, लेकिन विभाग व ठेकेदार की मिलीभगत के कारण अब स्वीकृत प्लान के विपरीत स्यूण से सीधे कलगोठ को जोड़ने तथा डुमक के लिए कलगोठ से लिंक मार्ग दिए जाने की योजना तैयार की गई।
डुमक के ग्रामीणों को इसकी भनक लगते ही विरोध शुरू हो गया, शासन व प्रशासन से पत्राचार के साथ ही ग्रामीणों ने हाई कोर्ट की भी शरण ली।
मामले की गंभीरता को समझते हुए जिलाधिकारी ने विभिन्न स्तरों पर कई दौर की बैठकों के बाद जांच कमेटी गठित कर मौके पर डुमक के ग्रामीणों से भी वार्ता करने का निर्देश दिया था, लेकिन जांच कमेटी डुमक के ग्रामीणों का पक्ष सुने ही स्यूण से ही वापस लौट गई।
सड़क जैसे गंभीर मामले एवं जिलाधिकारी के निर्देश के बावजूद कमेटी के रवैये से ग्रामीणों में भारी नाराजगी देखी गई।
संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक प्रेम सिंह सनवाल ने जांच कमेटी के गावँ में नहीं पहुंचने तथा जिलाधिकारी के आदेशों की अवहेलना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारियों व ठेकेदार की जुगलबंदी के कारण ही वर्ष 2007-08 से आज तक सड़क नहीं बन सकी। जिसके कारण उच्च न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होना पड़ा।
उन्होंने कहा कि न्यायालय की शरण के साथ साथ संघर्ष के लिए भी ग्रामीण कमर कस चुके हैं। ग्रामीण हर हाल में पूर्व स्वीकृत एलाइमेंट से ही सड़क का निर्माण चाहते हैं।