रिपोर्ट- सत्यपाल नेगी
रुद्रप्रयाग: जनपद के उप वन संरक्षक वन प्रभाग अभिमन्यु ने समस्त जनपद वासियों से अपील करते हुए कहा कि अधिसंख्य वनाग्नि दुर्घटनाएं मानवीय असावधानी एवं लापरवाही के कारण होती हैं,इसलिए सावधानी बरतना सर्वाधिक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है । उन्होंने वनाग्नि की रोकथाम हेतु आवश्यक सावधानियां बरतने को लेकर कहा कि, वनों के समीप स्थित खेतों में आडा जलाते समय विशेष सावधानी बरती जानी चाहिएl इसके साथ ही उन्होंने अपील करते हुए कहा कि वनों में जलती तीली,बीड़ी,सिगरेट न फेंकें घास प्राप्ति के लिए वनों में आग न लगाएं इससे अग्नि प्रभावित क्षेत्र में अच्छी घास समाप्त हो जाती है तथा कठोर व पोषक तत्वों से रहित घास उत्पन्न होती है,वनाग्नि को रोकने हेतु आवश्यक सावधानी बरतने को लेकर उन्होंने अपील की है कि चीड़ की पत्तियों(पिरुल) का प्रयोग कंपोस्ट बनाने के लिए करेंlसाथ ही घरों तथा खेतों के आसपास ज्वलनशील पदार्थ घास-फूल,सूखा कूड़ा-करकट एकत्र न होने देंl कहा कि असामाजिक तत्वों द्वारा जान बूझकर आग लगने पर वन,राजस्व अथवा पुलिस विभाग को सूचना कर उन्हें पकडने में सहायता करें l
वही उप वन संरक्षक अभिमन्यु ने वनों की सुरक्षा संबंधी वैधानिक चेतावनी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय वन अधिनियम के अनुसार आरक्षित वन में आग लगाना प्रतिबंधित है,उलंघन करने पर कारावास व जुर्माने का प्राविधान है,इसके अलावा जो व्यक्ति आरक्षित वन क्षेत्रों के समीप स्थित गाँव में निवासरत हैं तथा किसी भी प्रकार की राजकीय सेवा अथवा राज्य द्वारा किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता,अनुदान प्राप्त करता है वह वन अग्नि की दशा में वन विभाग की सहायता करने हेतु बाध्य है,ऐसा न करने की दशा में एक वर्ष का कारावास या दो हजार रुपए जुर्माना(अथवा दोनों) का प्राविधान हैlउन्होंने सभी से आवश्यक सहयोग व सावधानी बरतने की अपील की है.