01– तिमुण्डा मेले मे उमडे श्रद्धालु ।
02- बकरे का कच्चा मंास खाने के बाद कच्चे चावल खाते तिमुण्डा के पश्वा ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हजारो लोग गवाह बने तिमुण्डा मेले का। तिमुण्डा बीर द्वारा एक बकरी व कच्चे चावल को चट कर जाने के इस मेले को देखने के लिए सुबह से ही लोगो की भीड मठांगण मे जमा हो गई थी।
भगवान बदरीविशाल के कपाटोदघाटन से पूर्व अनादिकाल से ही चली आ रही पंरपरा के अनुसार प्रतिवर्ष जोशीमठ नृसिंह मंदिर के मठांगण मे तिमुण्डा मेले का आयोजन किया जाता है। भगवती नवदुर्गा के बीर रूप मे मठांगण मे मौजूद तिुमुण्डा बीर वर्ष मे एक बार बकरे की बलि लेता है। पंरपरानुसार तिमुण्डा बीर के अवतारी पुरूष द्वारा मठांगण मे एक बकेरे की कच्ची मीट, करीब मणभर चावल व गुड के साथ ही दो घडें पानी भी देखते ही देखते चट किया जाता है। इस अदभुद दृष्य को देखने के लिए दूर-दूर से लेाग मठांगण पंहुचते है। अपरान्ह बाद मेले की शुरूवात होती है। सबसे पहले माॅ नवदुर्गा के आलम को निश्चित स्थान से बाहर मठांगण मे लाया जाता है। यहाॅ आलम के साथ तिमुण्डा बीर का पश्वा नवदुर्गा , नृसिंह मंदिर दर्शनो के उपरांत मठांगण मे ही आलम के साथ घूमते है। और घूमते-घूमते ही तिमुण्डा का पश्वा बेहोस हो जाता है। और पश्वा को होश तभी आता है जब उनके मॅुह मे बकरे का खून पंहुचता है। इसके बाद पश्वा माॅस की मांग करते है, और पूरा बकरा चट होने के बाद ही चावल व गुड की मांग करता है। इस दौरान तिमुण्डा के पश्वा द्वारा करीब दो घडे पानी भी पिया जाता है। इसी दृष्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग मठांगण पंहुचते है।
- क्या है तिमुण्डा बीर–
पौराणिक कथानुसार जोशीमठ पं्रखड के ही पाखी-गरूडगंगा के सामने हयूॅणा गाॅव मे तिमुण्डा नाम के राक्षस ने आंतक मचाया था। और वह नर बली करने मे भी देर नही करता था। इससे तंग आकर हयूॅणा गाॅव के ग्रामीणों ने जोशीमठ के नवदुर्गा को न्यौता दिया। और नवदुर्गा ने हयॅूणा गाॅव पंहुचकर उक्त राक्षस तिमुण्डा को अपने वश मे किया। और यह बचन दिया कि वे तिमुण्डा को अपने साथ नवदुर्गा सिद्धपीठ के परिसर मे स्थान देगे और प्रतिवर्ष एक बकरा, एक मण चावल का भोग दिए जाने का भी बचन दिया। तब से ही यह पंरपरा चली आ रही है।
धार्मिक कार्यक्रमों के संपादन करने वाली देव पुजाई समिति-रजि0 द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी देव पुजाई समिति के अध्यक्ष/बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी भुवनच्रद उनियाल, सचिव उमेश सती, कोषाध्यक्ष विजय डिमरी, उपाध्यक्ष आदित्य भूषण सती सहित देवपुजाई समिति से जुडे सभी गा्रमीणों के सहयोग से तिमुण्डा मेले का भब्य आयोजन किया गया।
भगवती दुर्गा के पश्वा भोला सिंह नामड व तिमुण्डा के पश्वा भरत सिंह बैजवाडी हैं जिन पर वंशानुसार पश्वा अवतरिंत होते है।