डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला:
उत्तराखंड भूकम्प की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है. सम्पूर्ण राज्य भूकंप की श्रेणी में जोन 4.5 में आता है. बीते दिनों लगातार निरंतर अंतराल से प्रदेश में आये छोटे और मध्य श्रेणी के भूकम्प दिखा रहे हैं कि इस क्षेत्र में भूकम्पीय गतिविधियां बढ़ रही हैं. भूकंप से होने वाली क्षति को कम करने के लिए उत्तराखंड के अंतर्गत भूकंप सुरक्षा के दृष्टिगत विगत के वर्षों में कई कार्य उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा किये जा रहे हैं.उत्तराखंड के पहाड़ जियोलॉजिकली नए हैं।
इसका अर्थ यह है कि अगर जमीन के अंदर किसी तरह की हलचल होगी तो उसका असर साफ साफ दिखाई देगा। जहां तक पहाड़ों में भूकंप के आने का सवाल है तो हल्के फुल्के झटके आते रहते हैं लेकिन वो महसूस नहीं होते हैं। यह बात अलग है कि जब भूकंप का केंद्र जमीन की सतह के करीब होता है तो झटके तेजी से महसूस होते हैं।
एक बार फिर उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। जोशीमठ से 31 किमी पश्चिम दक्षिण पश्चिम में आज प्रातः 5:58 बजे भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, इस भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4।6 रही। हालांकि अभी तक भूकंप के कारण किसी जानमाल के हानि की खबर नहीं है। बता दें कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बहुत संवेदनशील है। उत्तराखंड भूकंप के जोन 5 में आता हैवही इस के चलते उत्तराखंड के चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा आदि शहरों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। हालांकि भूकंप के झटकों के कारण व्यक्तियों में दहशत फैल गई तथा वह अपने घरों से बाहर निकल आए।
इससे पूर्व अगस्त में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 3.8 तीव्रता का भूकंप आया था। जबकि 24 जुलाई को देर रात्रि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.4 रही थी। उत्तरकाशी से पूर्व उत्तराखंड के एक और पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ में भी पिछली 28 जून को 3।7 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था। तब इस भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 55 किमी दूर पाया गया था।वही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के एक्सपर्ट्स की टीम ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप बनाया है, जोकि 5।5 तीव्रता का भूकंप आने पर अलर्ट करेगा।
उत्तराखंड में भूकंप आने पर मौजूदा वक़्त में 71 सायरन तथा 165 सेंसर लगे हैं। देश में प्रथम बार ऐसा मोबाइल एप उत्तराखंड में बनाया गया है जो भूकंप आने से 20 सेकंड पहले न केवल चेतावनी देगा बल्कि भूकंप आने के पश्चात् फंसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की व्यक्तियों की भी लोकेशन बताएगा। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखंड सरकार तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की रुड़की की टीम के द्वारा उत्तराखंड भूकंप अलर्ट ऐप विकसित किया गया है।भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली वास्तविक समय में भूकंप की निगरानी करती है।
विशेष रूप से सबसे धीमी भूकंपीय तरंगें भी 11,100 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा करती हैं, जो लोगों को उपरिकेंद्र से दूर के क्षेत्रों में प्रतिक्रिया करने के लिए कुछ ही सेकंड का समय देती है।चेतावनी उन कुछ सेकंड में एक पूर्व चेतावनी प्रणाली द्वारा भेजी जाती है।मुख्य सेंट्रल थ्रस्ट ज़ोन (हिमालयी क्षेत्र में एक प्रमुख भूवैज्ञानिक दोष) में 200 सेंसर से भूकंपीय डेटा का उपयोग करते हुए, उत्तराखंड सुविधा उसी पैटर्न का पालन करेगी।उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की द्वारा एक नया ऐप, उत्तराखंड भूकंम्प अलर्ट ऐप विकसित किया गया है। लोगों को एक टाइमर के साथ भूकंप की तीव्रता और स्रोत की सूचना प्राप्त होगी जो काउंट डाउन करता है। समय समाप्त होने के बाद, “मुझे मदद चाहिए” का संकेत देने वाला एक लाल बटन दिखाई देगा और एक हरा बटन “मैं सुरक्षित हूं” दर्शाता है।
उस जानकारी का उपयोग बचाव कार्यों की योजना बनाने के लिए पहले उत्तरदाताओं द्वारा किया जा सकता है, जैसा कि दैनिक ने बताया भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- रुड़की अनुसार, सिस्टम के साथ कुछ सेकंड से एक मिनट तक प्राप्त किया जा सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई भूकंप के केंद्र के कितना करीब है। उदाहरण के लिए एक पहाड़ी जिले में भूकंप के दौरान लोगों को खाली करने के लिए लगभग 15 सेकंड का समय मिलेगा।इसके अलावा, सरकार विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जनता को सचेत करने के लिए सायरन लगा रही है। 1991 में उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे। 1999 में, चमोली में एक और 6.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए।
यह अनुमान लगाया गया था कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ा भूकंप दो सदियों पहले, 1803 में, 7 की तीव्रता के साथ आया था। हिमालय पर्वतमाला का मध्य भाग है और इसका ज्यादातर हिस्सा उत्तराखंड में है. कई अध्ययनों में दावा किया गया है कि इस क्षेत्र में आठ या इससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आने की संभावना है. इस संदर्भ में सह-भूकंपीय भूस्खलन की माप महत्वपूर्ण हो गया है.पर्वतीय और भूकंपीय रूप से सक्रिय पर्वतीय क्षेत्र में सह-भूकंपीय भूस्खलन एक काफी खतरनाक परिस्थिति है. भूकंप के चलते होने वाले भूस्खलन से होने वाली तबाही अक्सर ही धरती हिलने की तुलना में कहीं अधिक होती है. उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा से जूझता रहा है. भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को बेहद संवदेनशील माना गया है.
प्रदेश में छोटे भूकंप आते रहते हैं. प्रदेश को जोन चार और पांच में रखा गया है. सुबह भूकंप के झटके महसूस होते ही इलाके में हड़कंप मच गया. कई लोग खौफ से अपने घरों से बाहर निकल आए. इस भूकंप से कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 मापी गई.फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में. यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा. आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप बनाया है, दावा किया गया है कि ये एप 5.5 तीव्रता या उससे अधिक का भूकंप आने पर अलर्ट करेगा।
इस एप से लोगों को सतर्क करने के लिए कवायद शुरू हो गई है। एप एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है। सीएम धामी कई घोषणाएं की है। ये एप भूकंप से पहले लोगों को अलर्ट मैसेज भेजेगा। यह भूकंप के दौरान फंसे लोगों की लोकेशन का पता लगाने में भी मदद करेगा और संबंधित अधिकारियों को भी अलर्ट भेज देगा। लेकिन वहीं भूकंप के पूर्वानुमान पर सवाल खड़े हो रहे है। वैज्ञानिकों की माने तो उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से जोन 4 और जोन 5 में आता है। लिहाजा अगर जोन 4 की बात करें तो पूरे विश्व में किसी भी देश में अभी तक भूकंप के पूर्वानुमान की प्रणाली नहीं है। क्योंकि इससे लोगों को जान माल बचाने के लिए बहुत ही कम समय मिलेगा।
हमारी वैज्ञानिक हमेशा से हिमालय पर अलग-अलग जगह पर जगह बनाई ना के रखे हैं और उनकी मूवमेंट को रोज स्टडी करते आ रहे हैं ताकि भूकंप से आने से पहले हुई उसके प्रति पूर्व अनुमान लगाया जा सके उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार से है कि हम दोनों के बीच में है तो यह तो तय है कि जब भी भूकंप आएगा तो यहां पर इसका ठीक-ठाक प्रभाव रहेगा। हमें भूकंप से बचने के लिए सरकार द्वारा वैज्ञानिकों द्वारा बताए हुए भवन निर्माण की ओर जाना चाहिए जिससे जानमाल की क्षति कम हो।