डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रधानमंत्री ने आज उत्तराखंड के आपदाग्रस्त इलाकों के बाद उच्चस्तरीय बैठक में भाग लिया. जिसमें आपदा से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। 2013 में केदारनाथ में आई आपदा के बाद इस साल राज्य में सबसे अधिक आपदाएं आईं है. जिसके कारण सरकारी संस्थानों की करीब 1900 करोड़ की संपत्तियां नष्ट हो गईं है. और बड़े स्तर पर गांवों को नुकसान भी हुआ है. जिससे जनहानि के साथ पशु हानि हुई है। अभी भी आपदाओं व बारिश के कारण कई क्षेत्रों में भू-धंसाव जारी है। इस नुकसान के मद्देनजर राज्य सरकार ने 5702 करोड़ रुपये की राहत राशि केंद्र से मांगी है. जिसके लिए केंद्र की टीम भी निरीक्षण करके जा चुकी है। वही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उत्तराखण्ड के लिए 20 हज़ार रोड़ का विशेष राहत पैकेज. भविष्य की चुनौतियों के लिए विशेषज्ञ टीमों की तैनाती, 5 सितंबर को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में रखी गई। उत्तराखंड में आपदा ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के लिए केंद्र सरकार की टीम देहरादून पहुँची थी. टीम ने सबसे पहले आपदा से हुए नुकसान को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव व संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ ख़ास बैठक कर जानकारी ली थी। उत्तराखंड में मानसून सीजन के दौरान उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, नैनीताल जिलों में काफी नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार की ओर से नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार से आपदा मद की मांग की गई है। प्रदेश सरकार ने प्राथमिक स्तर पर नुकसान का आकलन कर केंद्र सरकार को भेज दिया था. जिसके चलते केंद्र की टीम ने प्रदेश के इन सभी जिलों का दौरा किया था। केंद्र की ओर से आई टीम ने दो ग्रुपों में विभिन्न जिलों का दौरा किया था और अधिकारियों के साथ बैठक कर नुकसान का आकलन किया। बता दें कि मानसून सीजन के दौरान लगातार बारिश का दौर अभी भी जारी है विभिन्न इलाकों में भारी बारिश की वजह से काफी नुकसान हुआ है प्रदेश सरकार की ओर से प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। प्रभावितों को उचित मुआवजा और उनका सही तरीके से विस्थापन हो इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। अब केंद्र की ओर से क्षति का आकलन हो जाने के बाद जो धनराशि जारी की जाएगी उससे प्रभावित क्षेत्र का विकास होगा और वहां पर फिर से स्थिति को सामान्य करने में मदद मिलेगी। वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उत्तराखण्ड के लिए 20 हज़ार करोड़ का विशेष राहत पैकेज भविष्य की चुनौतियों के लिए, विशेषज्ञ टीमों की तैनाती, और 5 सितंबर को लिखे पत्र में रखी गई प्रमुख मांगों को दोहराया है। कारण माहरा ने प्रधानमंत्री से अलग और विशेष राहत पैकेज जारी करने की मांग करते हुए कहा कि पहले उन्होंने 10 हज़ार करोड़ की सहायता का आग्रह किया था. लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए अब यह राशि अपर्याप्त है। धामी सरकार ने केंद्र से केवल ₹5,700 करोड़ मांगे हैं. जबकि अकेले जोशीमठ के पुनर्निर्माण में लगभग ₹6,000 करोड़ की आवश्यकता है। उन्होंने पिछले वर्ष की जोशीमठ आपदा का उल्लेख करते हुए कहा कि इतनी बड़ी राशि सिर्फ एक क्षेत्र के लिए ही जरूरी है। माहरा ने राज्य के अन्य आपदा प्रभावित इलाकों का भी जिक्र किया. जहां लोगों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। कर्णप्रयाग के बहुगुणा ग्राम में 35 मकान क्षतिग्रस्त हुए लेकिन प्रभावित परिवारों को सहायता नहीं मिली है। गोपेश्वर और नैनीताल में लगातार भूस्खलन हो रहे हैं। खटिया, खाती गांव, भराड़ी, सौंग और धारचूला जैसे क्षेत्रों में भी आपदाएं आईं है. पर अब तक आर्थिक मदद नहीं पहुंची। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुल मिलाकर उत्तराखंड को कम से कम 20 हज़ार करोड़ की आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए. ताकि गांवों का पुनर्निर्माण किया जा सके। माहरा ने यह भी कहा कि आकलन के लिए टीम भेजने के बजाय केंद्र और राज्य सरकार को वैज्ञानिकों, भू वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीमें भेजनी चाहिए। ये टीमें आने वाले समय में संभावित आपदाओं का आकलन कर उत्तराखंड को तैयार करने की ठोस रूपरेखा प्रस्तुत कर सकती हैं।,केदारनाथ त्रासदी के बाद सबसे बड़ी आपदा इस साल उत्तराखंड में आई है. इसके चलते कई करोड़ का नुकसान सरकारी संस्थानों को झेलना पड़ा है. बड़े पैमाने पर गांवों को भारी नुकसान हुआ है. जनहानि के साथ-साथ पशु हानि भी हुई है. उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर सहित कई जिलों में आपदाएं आई हैं. हालांकि अभी भी ऐसा नहीं है कि सबकुछ थम गया हो. अभी भी कई जगह लैंडस्लाइड हो रही है. कहीं पहाड़ दरक रहे हैं. इसी नुकसान को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 5702 करोड़ रुपये की राहत राशि केंद्र से मांगी है, जिसके लिए केंद्रीय टीम निरीक्षण करके जा भी चुकी है. . *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*