आज की कहानी सत्य पर आधारित
आज सुबह हिमाचल प्रदेश से मेरे एक अजीज पुराने मित्र का फोन कॉल आया हालचाल पूछने के बाद बात थोड़ी लंबी हो गई। वो हिमाचल प्रदेश की बागवानी से लेकर वहां के टूरिज्म तक वहाँ के विकास के बारे में चर्चा करता रहा। पड़ोसी प्रदेश के होने के नाथे हमारी माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड के एक सरकारी विद्यालय में साथ.साथ हुई। ये दौर 1998 से 2004 तक का है। जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था, बाद में नया प्रदेश बन गया था।
उस दौरान हमारा तीज त्यौहारों में अक्सर हिमाचल आना जाना होता रहता था। साथ ही हमारी दोनों प्रदेशों के विकास को लेकर बहस होती रहती थी। हम में अपने-अपने प्रदेश को बेहतर साबित करने की होड़ रहती थी। वो अपने प्रदेश को बेहतर बताते और हम अपने प्रदेश को। उनको हमेशा अपने प्रदेश की राजधानी शिमला, कुल्लू मनाली आदि जगह के टूरिज्म एवं सम्पदाओं पर गर्व होता। वहीं हम भी अपने प्रदेश में नैनीताल, मसूरी, कौसानी आदि एवम चार धाम को लेकर अपने प्रदेश को हिमाचल से बेहतर बताने का प्रयास करते। आखिर में हम हिमाचल जहां वो निवास करते थे, वहाँ इंटर कॉलेज न होने के कारण देकर अपने उन साथियों को बहस में हराने में सफल हो जाते और कहते कि देखो इंटर कॉलेज की पढ़ाई तो आपने आखिर हमारे यहाँ की करनी है। ऐसे तंज मारकर आखिर हम उनसे हार मनवा ही लेते थे, लेकिन आपसी भाई चारा और प्रेम भाव हमेशा बना रहता था। ये ही कारण है कि आज भी हमारी बात अक्सर होती रहती है।
आज ये पुरानी कहानी इसलिए मत्वपूर्ण हो जाती है कि जब सुबह हमारे उस मित्र का फ़ोन आता है तो मैने उससे घर परिवार के हालचाल पूछने के बाद आदतन पड़ोसी प्रदेश के विकास पर चर्चा आरम्भ हो गई। चर्चा थोड़ी लंबी चली। अब पुराने साथी पुराना स्कूल अगर चर्चा न हो तो फिर चर्चा व्यर्थ हो जाती है। उसने प्रश्न किया कि यार हमारा वो स्कूल अब कैसा है।
मैने उत्तर दिया कि यार वैसे तो ठीक है, लेकिन बंद होने के कगार पर जल्द आने वाला है। यहाँ तो सरकारी स्कूलों की हालत बहुत खराब है। आप बताओ वहाँ किया चल रहा है। तो उसने मुझको उत्तर दिया!हो सकता है कि वो मुझको तंज भी कस रहा होगा या मेरा बहम हो, लेकिन जब उसने कहा कि जहां 20 वर्ष पहले जहाँ हमारा हाई स्कूल नहीं था, वहाँ आसपास आज इंटर कालेज के साथ साथ आज डिग्री कॉलेज चल रहा है। तो मैंने मन ही मन वहाँ की सरकार के प्रगतिशील कार्यों को सुनकर सरकार के प्रति आदर भाव तो बढ़ गया, लेकिन साथ में अपना भी ईगो आड़े आ रहा था कि ये तो आज मुझ पर भारी पढ़ रहा है। जिस विषय को लेकर मैं अक्सर उसको छेड़ता रहता था आज वो उस विषय को फक्र से सुना रहा था और मैं शर्म से पानी पानी हो रहा था।
लेकिन हमने भी कभी जिन्दगी में हार मानना नही सीखा। अब फिर से पहले की तरह प्रश्न और उत्तर का दौर हम दोनों के बीच शुरू हो गया। मुझको भी लगाने लगा था कि अब मेरे आँकडे मित्र के सामने कमजोर पड़ने वाले हैं, तो मैने फिर उनसे प्रश्न किया कि.
हिमाचल प्रदेश की स्थापना दिवस कब था ?
उत्तर मिला 25 जनवरी 1971
दुसरा प्रश्न किया कि तुम अपने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों के नाम बताओ
उत्तर आया
1.यशवंत सिंह परमार
2.ठाकुर राम लाल
3.शांता कुमार
4.बीर भद्र
5.प्रेम कुमार धूमल
6.जय राम ठाकुर
फिर मैंने उसको मुस्कराते हुए बोला कि बस इतने ही। अगर आप तरक्की की बात करते हो तो सुनो कि उत्तराखंड राज्य की स्थापना 9 नवम्बर 2000 ई0 में हुई और हमने अभी तक यहाँ.
1.नित्यानंद स्वामी
2.भगत सिंह कोश्यारी
3.नारायण दत्त तिवारी
4.भवन चंद खंडूरी
5.रमेश पोखरियाल निशंक
6.विजय बहगुणा
7.हरीश रावत
8.त्रिवेंद्र सिंह रावत
9.तीरथ सिंह रावत
जैसे विकास पुरुषों को जन्म दिया है। तुम आज भी हमसे कहीं न कहीं पिछड़े हुए हो जो काम तुम 50 वर्षों में नहीं कर पाए वो हमने 20 वर्षों में डबल करके दिखा दिया है। पहले यहाँ पर हमारी बराबरी करोए आखिर इतनी तो हमने भी उत्तराखंड में रहकर राजनीति सीख ही ली है और दोनों ने मुसकुराते हुए फोन काट दिए। अगर आपको लगता है कि मेरी इस बातचीत पर दम है तो शेयर करके आगे जरूर भेजें।
आपका
गजेन्द्र जोशी