डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड ने अपनी स्थापना के रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर लिया है। कह सकते हैं कि अब यह राज्य परिपक्व होने लगा है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान लिए गए निर्णयों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विशेषकर, समान नागरिक संहिता की पहल, मतांतरण पर रोक को सख्त कानूनी प्रविधान, लव-लैंड जिहाद पर अंकुश को उठाए गए कदम, सख्त नकलरोधी कानून और राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं व राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण ने उत्तराखंड को देश में एक विशिष्ट पहचान दी है।इस दृष्टिकोण से अगर यह कहा जाए कि अब उत्तराखंड एक बड़े परिवर्तन की प्रक्रिया का साक्षी बन रहा है, तो गलत नहीं होगा। उत्तराखंड को अलग राज्य बने अब 24 वर्ष हो गए हैं। इस अवधि में सरकारों द्वारा राज्यहित में लिए गए तमाम निर्णय इसकी प्रगति के सोपान बने, लेकिन पिछले ढाई-तीन वर्षों में इस प्रक्रिया में तेजी आई है। देवभूमि के स्वरूप के अनुरूप राज्य के सभी नागरिकों के लिए सिविल कानून भी समान रूप से हों, इसी दृष्टि से समान नागरिक संहिता की सरकार ने पहल की है। स्वतंत्रता के बाद ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। अब जबकि इससे संबंधित नियमावली तैयार हो चुकी है तो शीघ्र ही समान नागरिक संहिता कानून राज्य में अस्तित्व में आ जाएगा। राज्य गठन और फिर उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मातृशक्ति के सशक्तीकरण के क्रम में राज्याधीन सेवाओं में राज्य की महिला अभ्यर्थियों के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रविधान किया गया है। महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए महिला नीति भी लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा। उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में उन्होंने एसडीजी इंडेक्स में राज्य को प्रथम स्थान, ईज आफ डूइंग बिजनेस मेें एचीवर्स व स्टार्टअप रैंकिंग में लीडर्स की श्रेणी प्राप्त होने का उल्लेख किया। साथ ही कहा कि जी-20 की तीन बैठकें उत्तराखंड को मिलना एक बड़ी उपलब्धि है, जो प्रधानमंत्री की उत्तराखंड के लोगों की क्षमता व प्रतिभा पर अटूट विश्वास का प्रतीक है। राज्य आंदोलन के मूल में उत्तराखंड के समग्र एवं संतुलित विकास की अवधारणा थी। इसी भावना को मूर्त रूप देने के दृष्टिगत नई गाथा लिखने की पहल की गई है। राज्य की जनता के आशीर्वाद, सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और प्रधानमंत्री के राज्य के प्रति विशेष लगाव व केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड हर क्षेत्र में तेजी से विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जहां हमारी समृद्ध संस्कृति, परंपरा और जनहित की नीतियों का सामंजस्य हो।राज्यपाल ने इस अवसर पर राज्य निर्माण आंदोलन के समस्त ज्ञात व अज्ञात बलिदानियों एवं आंदोलनकारियों का भावपूर्ण स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य स्थापना के 24 वर्षों की इस यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव आए। अनगिनत सपनों को साकार होते देखा। प्रधानमंत्री के कथन को साकार करने की दिशा में एवं 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने की यात्रा में यह वर्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हिमालय का यह अंश विश्व की अमूल्य धरोहर है और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। जलवायु परिवर्तन के खतरे को देखते हुए पर्यावरण संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना होगा। वनों की रक्षा, जल-संरक्षण योजनाओं का क्रियान्वयन, और पर्यटन को पर्यावरणीय संतुलन के साथ जोड़ना अति आवश्यक है। उच्चतम स्तर की स्वास्थ्य सेवाएं हर गांव तक ले जाना हमारा लक्ष्य है। मंडुआ, झंगोरा जैसे पहाड़ी अनाज को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है. नए पर्यटन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है. टिहरी झील में वाटर स्पोर्ट्स के चलते यह क्षेत्र आज विश्व फलक पर आ गया है तो सुदूरवर्ती मुनस्यारी, चम्पावत में नए डेस्टिनेशन पर्यटकों को लुभा रहे हैं तो इसके पीछे युवा धामी की दौड़भाग और दूरदर्शी सोच ही है. मानसखण्ड मंदिर माला मिशन के मंदिरों का देशभर में प्रचार प्रसार के उद्देश्य से पर्यटन विभाग द्वारा आईआरसीटीसी के सहयोग से भारत गौरव मानसखंड एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। अब तक पुणे, बंगलूरू, मदुरै (तमिलनाडु) और मुंबई से इस ट्रेन का संचालन किया गया है। योजना के तहत श्रद्धालुओं और पर्यटकों को पूर्णागिरी, हाटकालिका, पाताल भुवनेश्वर, जागेश्वरधाम, गोलज्यू देवता मंदिर, नंदा देवी, कैंची धाम आदि मंदिरों के दर्शन कराए जा रहे हैं। प्रचार-प्रसार के साथ ही मंदिरों के सौंदर्यीकरण पर भी विशेष जोर दिया गया है वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत जादुंग को पर्यटन गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है। जादुंग गांव को वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय खाली कराया गया था। तब से यह गांव वीरान पड़ा था। अब सरकार ने गांव में जीर्ण शीर्ण भवनों का जीर्णोद्धार कर उन्हें होमस्टे के रूप में विकसित करने का अभिनव प्रयास किया है। योजना के प्रथम चरण में छह भवनों का जीर्णोद्धार कार्य शुरू कर दिया गया है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या हर साल नया रिकॉर्ड बना रही है। कोरोना काल के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक/तीर्थयात्री उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार सात वर्षों में ही पर्यटकों की संख्या में 61.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2018 में 3.68 करोड़ पर्यटक उत्तराखंड आए थे जबकि 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 5.96 करोड़ पहुंच गया। इस वर्ष अगस्त तक करीब तीन करोड़ पर्यटक आ चुके हैं। दिसंबर तक यह आंकड़ा छह करोड़ से अधिक पहुंचने की उम्मीद है। प्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू करने के साथ ही एस्ट्रो, एयरो, ईको और साहसिक पर्यटन में कई नवाचार किए हैं। उत्तराखंड से कहा था कि ये दशक उत्तराखंड का दशक होगा। उत्तराखंड वासियों ने मेरे इस विश्वास को सही साबित किया है और आज उत्तराखंड नए कीर्तिमान बना रहा है। उत्तराखंड सरकार के प्रयासों के उत्तराखंड के लोगों और महिलाओं का जीवन आसान बन रहा है। उत्तराखंड में लगातार सड़कें बन रही हैं। इसके साथ ही लोगों के घर नल से जल और बिजली पहुंच रहा है। डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंड का दोगुना विकास हो रहा है!। लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।