• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

ऋतुओं का राजा बसंत

16/02/21
in उत्तराखंड, संस्कृति
Reading Time: 1min read
0
SHARES
487
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रकृति और मानव का संबंध आदिकाल से रहा है। प्रारंभ में सभी आवश्यकताओं हेतु उसे प्रकृति पर ही निर्भर रहना पड़ता था और उसी से प्रेरणा ग्रहण करके उसमें कल्पना एवं विचार की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। प्रकृति के परिवर्तनशील बहुवर्णी स्वरूप को देखकर ही उसके मन में उद्भावनाएँ जागृत हुईं। कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से असाम तक विविधता में एकता का दर्शन कराने वाला भारत उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक और भौगोलिक दृष्टि किसी न किसी रूप में एक रही है।

प्राकृतिक अवस्था के अनुसार दो.दो महीने की छः ऋतुएँ वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर जैसी ऋतुएँ आकर प्रकृति को शोभायमान करती रहती हैं। जीवनधारियों को एक नए उत्साह के साथ कार्य करते हुए पृथ्वी को मनोहारिणी छटा से अलंकृत कर देती हैं। ऋतुओं को लेकर हिन्दी साहित्य तथा संस्कृत साहित्य के कवि, मनीषी अपनी लेखनी के माध्यम से बड़ा ही मनोहारी दृश्य.चित्र उकेरने का प्रयास करते रहे हैं। ऋतु चक्र के अनुसार शिशिर ऋतु के बाद चैत्र और वैशाख दोनों ही महीने वसंत ऋतु के माने गए हैं। इस महीने को ऋतुराज नाम से तो कहीं मधुमास से भी संबोधित किया जाता रहा है।

इस महीने में आकाश से कुहरा कम हो जाता है, ठंड कम पड़ने लगती है, आसमान निर्मल स्वच्छ हो जाता है, नदी, सरोवर, तालाब का जल अपनी भौतिक छवि से सबके मन को आकर्षित करते हैं। इसी महीने में पेड़ों में नई.नई कोपलें फूटती है। महुए की गंध से वन महक जाते हैं। बसंत पंचमी हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। इसे श्रीपंचमी भी कहते हैं। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार माघ महीने के पांचवें दिन पंचमी पर हर साल मनाया जाता है।

उत्तराखंड में बसंत पंचमी से बैठकी होली की शुरुआत हो जाती है। मां सरस्वती के पूजन के साथ लोग पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनते हैं और पीला खाना खाते हैं। उत्तराखंड के ज्यादातर हिस्सों में बसंत पंचमी के दिन पीले और मीठे चावल बनाएं जाते हैं और लोग इसका सेवन करते हैं। बसंत पंचमी, ज्ञान, संगीत और कला की देवी, सरस्वती की पूजा का त्यौहार है। इस त्यौहार में बच्चों को हिंदू रीति के अनुसार उनका पहला शब्द लिखना सिखाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने का रिवाज़ है। बसंत पंचमी सर्दियों के मौसम के अंत का प्रतीक है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी से ऋतुओं के राजा वसंत का आरंभ हो जाता है। यह दिन नई ऋतु के आने का सूचक है। इसीलिए इसे ऋतुराज वसंत के आने का पहला दिन माना जाता है। साथ ही यह मां सरस्वती की जयंती का दिन है।

इस दिन से प्रकृति के सौंदर्य में निखार दिखने लगता है। वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और उनमें नए.नए गुलाबी रंग की कलियां और पत्ते मन को मुग्ध करते हैं। इस दिन को बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा.आराधना के रूप में मनाया जाता है। पहाड़ों में आज भी कृषक परिवारों के घरों में सुबह के समय खीर बनती है। सुबह.सुबह घर की लिपाई.पुताई की जाती है। मुख्य दरवाजे के ऊपर टीका लगाते हैं। घर के मंदिर में पूजा के बाद घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर स्तम्भ के दोनों ओर गोबर के साथ जौ की हरी पत्तियों को लगा दिया जाता है। बहुत से गावों में बिना गोबर के जौ की पत्तियों को रखा जाता है। कहीं कहीं घर की मुख्य देली में सरसों के पीले फूल भी डाले जाते हैं। मंदिर में भी सरसों के पीले फूल चढ़ाये जाते हैं। जौ की हरी पत्तियां घर के प्रत्येक सदस्य के सिर अथवा कान में रखे जाते हैं और उसे आर्शीवचन दिये जाते हैंण् आज के दिन बच्चों को पीले कपड़े पहनाते हैं। बच्चियों के नाक और कान छेदे जाते हैंण् बच्चियों के नाक कान छेदते समय खाज़ कच्चे चावल और गुड़ खिलाया जाता है। कुछ स्थानों में आज यहां अपनी.अपनी स्थानीय नदियों को गंगा समझ स्नान किया जाता है। पहाड़ों में माना जाता है कि आज का दिन इतना पवित्र होता है कि आज किसी भी के शुभ कार्य के लिये लग्न करने की आवश्यकता नहीं होती।

भारत प्राकृतिक सुषमा का देश है। यहाँ की ऋतु का अपना एक अलग ही अंदाज़ है जिसमें नागाधिराज हिमालय से लेकर चींटीए पशु.पक्षी, जीव.जन्तु, पेड़.पौधे, पुष्पलता आदि सभी मिलकर इसकी शोभा को अलग.अलग किन्तु अनेकता में एकता का दर्शन करते हैं। वसंत का यह ऋतु कवि विद्ववजन से लेकर ग्रामीणों लोगों तक को हर्षित करता रहा है। आज वृक्षों के कटाव और शहरी जीवन की जीने की होड़ में पर्यावरण को प्रभावित किया है। फिर भी आज के कवि इस वसंत से नहीं बच सके हैं। प्रकृति की पुकार दृश्य को बचाने और संवारनें की आवश्यकता है। प्रकृति पर सदैव विजय पाने की इच्छा निश्चय ही घातक सिद्ध हो सकती है। हम सबको प्रकृति के प्रति, जीव.जगत के प्रति सचेष्ट होना होगा।

ShareSendTweet
Previous Post

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे 18 मई को

Next Post

विधायक कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे आपदा प्रभावित गांव

Related Posts

उत्तराखंड

ग्रामोत्थान परियोजना से प्रदेश के 10 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका को मिला सहारा

July 13, 2025
8
उत्तराखंड

यक्षवती नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वैच्छिक पहल शुरू

July 13, 2025
62
उत्तराखंड

हरेला पर्व के उपलक्ष्य में किया पौधारोपण

July 13, 2025
30
उत्तराखंड

अब राज्य में सरकारी सेवाओं में चयन का आधार केवल और केवल मेरिट, प्रतिभा व योग्यता है: धामी

July 12, 2025
17
उत्तराखंड

जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं

July 12, 2025
16
उत्तराखंड

राष्ट्रीय खेलों के बाद उत्तराखंड में खेलों की नई उड़ान, सीएम धामी ने दिए लिगेसी प्लान पर तेज़ कार्यवाही के निर्देश

July 12, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

ग्रामोत्थान परियोजना से प्रदेश के 10 हजार से अधिक परिवारों की आजीविका को मिला सहारा

July 13, 2025

यक्षवती नदी संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वैच्छिक पहल शुरू

July 13, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.