पिथौरागढ। नेपाल और चीन की सीमा से सटे सीमांत क्षेत्र के गुंजी गांव में सेना के शिविर के लिए चिन्हित स्थल पर जा रही कथित लापरवाही के खिलाफ लोगों में भारी आक्रोश है।
स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर पहुंच कर विरोध जताया और कहा कि जिस स्थान पर मिट्टी का डंपिंग जोन बनाया गया है वहां पर प्रत्येक बारह वर्ष में आध्यात्मिक और पौराणिक मेला लगता है। गुंजी गांव की यह भूमि चारागाह भी रही है। वन पंचायत गुंजी व ग्राम पंचायत गुंजी के प्रयास से पिथौरागढ वन प्रभाग के माध्यम से इस पूरे पौराणिक परिक्षेत्र पर पौधारोपण किया गया और सुरक्षा दीवार बनाई गई। इसी स्थान पर ग्रामीणों का शमशान गृह भी सदियों से चला आ रहा है। दूसरे स्थान में जहां ठेकेदार ने रेत कंकड़ का डंपिंग जॉन बना रखा है उधर सदियों से पौराणिक ‘जुमलियाशमो’ पर्व होता है जो हर 12 साल में होता है। यह पर्व इस क्षेत्र की रक्षा और खुशहाली से जुड़ा है।
ग्रामीणों का आरोप है कि गुंजी गांव की वन पंचायत, ग्राम पंचायत को विश्वास में लिए बिना पूरे इलाके को तहस नहस कर दिया गया है। वन विभाग द्वारा लगाए गए एक सौ से अधिक पौधे काट दिए गए हैं। सेना के स्थानीय अधिकारी जबरन काम करने की धमकी दे रहे हैं, ऐसे में ग्रामीण समाज में बेहद आक्रोश पनप रहा है।
ग्राम प्रधान सुरेश गुंज्याल के नेतृत्व में भुवन गुंज्याल, सत्तल गुंज्याल, अबन गुंज्याल, चंदू गुंज्याल, सूरज गुंज्याल आदि ने प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। ग्राम प्रधान सुरेश गुंज्याल ने कहा है कि यदि निर्माण कार्य नहीं रोका गया तो सीमांत क्षेत्र के लोग उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इस संदर्भ में संबंधित ठेकेदार और सेना इकाई का पक्ष प्राप्त नहीं हो सका है।